1 जान मैंने अपनी दी,
खून दिया बेशबहा,
कि पाएं ज़िन्दगी,
और मौत से हो रिहा,
यह जान, यह जान यूं दी तुझे
क्या देता तू मुझे।
2 मैं छोड़कर खास जलाल
ज़मीन पर आया था,
हुआ गरीब तंग हाल
सदमा उठाया था,
यूं मैंने (2) छोड़ा सब
क्या छोड़ता है तू अब।
3 मुसीबत बे बयान
मैंने गवारा की,
कि बचे तेरी जान
और पाये मखलसी,
यूं दुःख (2) में मैं रहा
क्या तूने कुछ सहा।
4 मैं लाया हूं नजात
और मुआफ़ी का इनाम,
मैं लाया अब हयात
और सुलह का पैगाम,
यह सब कुछ (2) लाया मैं
अब तू क्या लाया है।