मन मन्दिर में बसने वाला
यीशु तू है निराला।
1 जिसके मन में तू जन्म ले,
अविनाशी आनन्द से भर दे,
आदि अनन्त और प्रीति-रीति की,
जल जायेगी ज्वाला।
2 मूसा को तू ने पास बुलाया,
स्वर्गलोक का भवन दिखाया,
महापवित्र स्थान में रहकर,
आप ही उसे संभाला।
3 पाप में दुनिया डूब रही थी,
परम पिता से दूर रही थी,
महिमा अपनी आप ही तजकर,
रूप मनुष्य ले आया।
4 प्रेम हमें अनमोल दिखाया,
प्रेम के खातिर रक्त बहाया,
क्रूस पर अपनी जान को देकर,
मौत से हमें छुड़ाया।
5 हर विश्वासी प्रेम से आये,
खुशी से अपनी भेंट चढ़ाएं,
अन्धकार अब दूर हुआ है,
मन में हुआ उजाला ।