1. सनातन महान परमेश्वर की महिमा,
कल और आज और युग युग तक हो सर्वदा,
निज पु़त्र को दिया हम सब के लिए, छुटकारा हमारे प्राणों के लिए।
स्तुति हो! स्तुति हो !महिमावान प्रभु की,
स्तुति हो! स्तुति हो !यीशु उद्धारकर्ता की,
उस ने किया प्रायश्चित जग के लिए
हो स्वर्ग का द्वार खुला मनुष्य के लिए।
2. सम्पूर्ण छु्रटकारे का दाम भर दिया, उद्धार का कार्य सब पूरा हो गया,
अब चाहे कोई भी पापी और लाचार,
विश्वास से प्राप्त करता आशीष बेशुमार।
3. श्रेष्ठ है उसके वचन और भय-योग्य है काम, महा-आनन्द होता लेने से यीशु नाम,
लेकिन देखुंगा जब उसका रूप तेजवान,
खुश होकर करूंगा स्तुति और प्रणाम।