प्रभुजी ने किया स्नेह में,
अधम पापी का छुटकारा।
1 एकलौते को पाप निवारण,
के लिए तूने अवनि में दिया,
भेज दिया उस क्रूस को सहने,
यही है स्तुति के योग्य।
2 पाप के मारे क्रोध को सहने,
वालों पर तूने कैसी दया की,
तेरे दुलारे पुत्र को सजा दी,
अधम पापी को बचाया ।
3 मेरे परमेश्वर मेरे परमेश्वर,
तूने मुझे क्यों छोड़ दिया है,
ऐसी पुकारों को भी नकारा,
अधम पापी को विचारा ।
4 क्रूस पर प्राण की आहुति करके
त्राण किया परम पातकियों का,
घोर मरन के भीकर भय से,
प्रभु ने हमें छुड़ाया ।
5 हमको पिता के समक्ष में स्मरने
के लिये यीशु मलिकी-सिदेक के,
क्रम में है याजक पद में उसी को,
समस्त गण भजेंगे।
6 यीशु मसीह है राजाधिराजा
बादलों पे वह शीघ्र पधारे
ईष्ट जनों को लेवेगा नभ में
हाल्लेलूयाह गीत गाएं।