परमात्मा वन्दना सुन्दरानन,
नर लोक में तू आ गया जीवपालक!
1 संकट को तूने सहा कैसे बेमिसाल,
ऐसे भयानक क्रूस पर तूने जान दी ।
2 निन्दित होके लोक की घोर निन्दया,
तूने सभी कैसे सहा यीशु प्रेमवान।
3 दीन जनों के हेतु यह सर्व दीनता,
कैसे महान तू दीनित हो गया दयाल।
4 धूलों में हम जो रहे निन्दितों की यह,
श्रेष्ठ पद कहाँ से है यीशु वन्दित।
5 ऐसी महान कृपा का मैं पात्र न रहा,
तूने महान दया करी जीवदायका।
6 ज्ञान परम वैभव सारे जीवद,
सारे मिलने योग्य है तू दयानिधे।
7 सुन्दर पद पंकज है समाश्रय,
उस में युगों रहेंगे हम सुन्दराधिप।