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तुम जगत की ज्योति हो

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SongInstrumental

तुम जगत की ज्योति हो, तुम धरा के नमक भी हो। 1 तुमको पैदा इसलिए किया तुमको जीवन इसलिये मिला, उसकी मर्जी कर सको सदा । 2 वह नगर जो बसे शिखर पर, छिपता ही नहीं किसी की नज़र तुम्हारे भले काम चमके इस तरह। 3 पड़ोसी से प्रेम तुमने सुना है, दुश्मनों से प्रेम मेरा कहना है, तभी तुम सन्तान परमेश्वर समान। 4 आँख के बदले आँख बुराई का सामना है, फेरो दुसरा गाल सहलो सब अन्याय, ऐसा जीवन ही पिता को भाता है ।