(Tune:- God sent His Son)
1 पिता का पैगाम यीशु है लाया,
माफी शांति और दिव्य प्रेम का,
बेदाग जीवन और पापबली द्वारा,
कर्ज जग का माफ किया, वह है मृत्युंजय।
कोः- जलाली है, प्रभु आता है,
मरणहार प्राणियों सर झुकाओ,
हे मौत...तेरा डंक कहाँ रहा ?
मेरा जीवन अर्पण है प्रभु चरणों में।
2 नव जनम पाकर, ईश्वर की संतान,
मैं बन गया, हाँ कितना आनन्द,
महान अनुग्रह! इज्जत और जीवन,
इसलिये मिला, क्योंकि प्रभु, वह जिन्दा है।
3 और फिर एक दिन, उस नदी पार कर,
दर्द भरे तन की अंतिम लड़ाई,
तेजोमय प्रभु का मुँह जरूर देखूँगा,
क्षण भर का कष्ट दूर हुआ, हल्लेलुय्याह!