1 यहोवा को धन्य कह मेरे मन,
उपकार कोई भी भूले बिन
अधर्म सारे क्षमा करता है वह,
सब रोगों को भी चंगा करता।
कोः- कैसे कहूं तेरा धन्यवाद,
मन मंदिर के स्वामी
फैसला है दिलो जान से
पाक जीवन से चुकाऊं
क्रूस प्रेम का भारी ऋण।
2 अशुद्ध कोड़ी मैं अपनों से दूर,
खुद से भी थी मुझे नफरत
जोरावर हाथो से छुआ मुझे
शिफा दिया तूने हल्लेलूयाह।
3 बरतिमाई जैसे ताने सुनके,
ज़माने से मुझे आसरा
नज़र दिया रहम दिल से,
हरदम कहूं तेरी ही महिमा।
4 गुणाहों का बोझ और तंगी हाल में, पत्थर मारते ये कपटी लोग
यीशु ने ही मुझे माफी दी,
हर्ष के आंसू से आराधना।