गाऊँगा मैं तेरे ही गीत
हे यीशु तू है महान,
तेरा ही नाम मेरे मसीह
लेता हूँ सुबह और शाम।
1 जब मैं गुनाहों में पड़ा
तेरे प्रेम से मैं दूर था,
तेरे सन्मुख आने के लायक
मैं कदापि योग्य ना था,
पर तू ही मेरा सहारा बना
अपने पास मुझे बुलाया,
इसलिये मसीहा होठों से अपने
स्तुति तेरी करूंगा।
2 तेरे अनुग्रह तेरी दया को
कैसे भूलुं मैं मसीह,
मेरे श्राप को तूने हटाकर
खुद श्रापित बना मसीह,
तुने क्रूस पर लहू बहाकर
मुझे पापों से शुद्ध किया,
मेरे आँसूओं को तूने पोंछकर
सारे दुख को दूर किया।