यह कैसा भाग्य यीशु ने
अधम पापी को मोल लिया,
राज राज यीशु मेरा
मित्र है यहाँ सदा।
1 धरती पे दरिद्र रूप
धारण कर के वह चला,
जगत का पाप भार
वो ही कलवरी के काठ पर,
मरा बराबर आत्मा ने
जगा दिया भलाई से। (2)
2 कुकर्मी हो नराधम हो
यहां का भूला दुष्ट हो,
सभी प्रकार अयोग्य हो
जनो के द्वारा त्यक्त हो,
मसीह ने यह कहा चरण में
मेरे कोई भी आ सकता। (2)
3 हमेशा ही यहां पर हम को
होने वाले दुःख में,
विपत्ति में जगत में
सदा से होती मृत्यु में,
सदा स्मरण करूंगा
यह प्यार से कहा उसने।(2)
4 पिता के उस जलाल को लेकर
यीशु जल्दी आएगा,
उसी की सेवा में रतों को
अपने सामने लाऐगा,
उसी की पुण्य सेवा में
युगानुयुग बितायेंगे। (2)