1. यीशु नाथ के प्रेम आपार का,
करूंगा मैं स्तुतिगान,
उसने क्रूस पर प्राण दे अपना,
मुझे मुक्ति की प्रदान।
कोः- गाओ, गाओ प्रेम मसीह का,
जिसके रक्त से हुआ त्राण,
मेरा सारा ऋण भर दिया,
उसने क्रूस पर किया प्राण।
2. उसके इस अनोखे प्रेम का,
नित करूंगा मैं बखान,
पापियों के त्राण के लिए,
प्राण दे दिया बलिदान।
3. उसकी स्तुति क्यों न गाऊं,
जिसकी सामर्थ है अक्षय,
मृत्यु नरक पाप के ऊपर,
मुझे देता कैसी जय।
4. प्रेम का प्रेरित हो मैं गाऊं,
यीशु का अनूठा प्यार,
उसने मुझे जीवित किया,
वह है मेरा प्राण आधार।