1. रह मेरे पास दिन ढला जाता है,
अंधेरा प्रभु बढ़ता आता है;
जब हूं अकेला मित्रहीन निराश,
दीनों के आश्रय रह तू मेरे पास।
2. वेग बीतते है इस लोक के थोड़े दिन, आनन्द भी स्थिर न रहता तेरे बिन,
सब ठौर विकार देख पड़ता और विनाश, अटल प्रभु रह तू मेरे पास।
3. हर घड़ी तू ही मुझे दिखा कर,
शैतान का छल तू कृपा करके हर,
तू अगुवाई कर और मन में वास,
सब दुख और सुख में रह तू मेरे पास।
4. निडर मैं होऊं जो तू शरण दे,
दुख भी मैं सहूं जो तू धीरज दे,
मृत्यु के दिन में तू ही मेरी आस,
जय निश्चय होगी जो तू मेरे पास।
5. जब मरना हो तू अपना क्रूस दिखा,
अंधेरे में तू अपनी ज्योति चमका,
भोर वहां होगी रात से कर निकास,
जीवन और मरण में रह मेरे पास।