यीशु ने कलवरी दुःख क्यों सह लिया?
मुझ पापी में क्या देखा था,
कोई खूबी न थी, कोई खूबी नहीं,
मुझमें कोई भी खूबी नहीं ।
1 प्रेमियों ने तो छोड़ दिया था,
कोई न मेरा था तेरे ही सिवाय।
2 पाप में मर के जी उदास हुआ,
जीना ही मेरा था मौत की तरह।
3 पाँव से न मैं तेरी राह चला,
हाथ से मैंने न तेरी सेवा की।
4 नैन से मैंने पाप किया था,
जीभ से मैंने न तेरी महिमा की।
5 प्रेम की सन्ति क्या मन देऊं?
सोच सोच मैं उसके पांव पर गिरुं।