1. भोर के समय बोते,
दया रूपी बीज को,
धूप में भी परिश्रम,
करते संध्या लों,
धीरज से काम करते,
फल की बांट हम जोहते,
कटनी आनन्द से, फल हम पावेंगे।
कोः- काम का पूरा फल (2)
लावेंगे आनन्द से काम का पूरा फल।
2. हम दौड़ धूप को सहते,
छाया में भी बोते,
बादल से न ठण्ड से,
साहस छोड़गे,
कटनी के समय पर,
पक्का फल मिलेगा,
तब आनन्द से, फल हम पावेंगे।
3. प्रभु ख्रीस्त के लिए,
रोते हुए बोवे,
यदि हानि देख के,
हम घबराते हों,
दुख का अन्त तो होगा,
प्रतिफल वह देगा,
तब आनन्द से, फल हम पावेंगे।