दुनिया का डेरा छोड़कर,
एक दिन पहुँचूगा मैं अनन्त घर,
गाऊँगा खुशी से वहाँ जयगान,
क्लेशों पर जयवन्त होकर।
1. दुनिया के सुख न चाहूँ,
दौलत इज्जत न चाहूँ
जाना मुझे है यीशु के कदमों पर,
सर्वस्व करता तुझे अर्पण,
जग के विधाता प्रभुवर।
2. नफरत से मेरे अपने,
मुझसे अपना मुँह मोड़े,
ठुकराते मुझको गैरो की तरह
अपने प्रभु के बांहों में,
जल्द ही रहूंगा मैं हरपल।
3. धरती और सारी सृष्टि,
निश्चय उस दिन बदलेगी,
होगा प्रभु से जब मेरा मिलन
जाऊँगा पंछी के समान उड़कर,
हूंगा महिमा में रूपान्तर।