1 जंगली वृक्षों के दरमियान
एक सेब के पेड़ के समान,
नज़र आता है मुझे ऐ मसीह
सारे सन्तों के बीच में तू।
कोः- हम्द करूं तेरी है प्रभु,
अपने जीवन भर
इस जंगल के सफर में,
गाऊं शुक्र गुजारी से मैं।
2 तू ही है नरगिस खास शारोन का,
हां तू सोसन की वादियों का,
सन्तों से भी तू है अति पवित्र,
कैसा कामिल और शान से भरा।
3 इत्र के समान है तेरा नाम,
खुशबू फैलाता है जहाँ में,
तंगी,मुसीबत और बदनामी में,
बना खुशबूदार तेरे समान।
4 घबराहट की लहरों से गर
डूबु दुःखों के सागर में
अपने जोरावर हाथ को बढ़ा
मुझे अपने सीने से लगा।
5 अभी आ रहा हूँ मैं तेरे पास,
पूरी करने को तेरी मर्जी,
ताकि दे दूं मैं काम को अंजाम,
पाऊं तेरे दीदार में इनाम।