यीशु तेरा मधुर स्मरण
दिल को उभारता है,
स्तुति के योग्य बलिदान
तुझको चढ़ाते है।
1 शब्द हमारे है निर्बल
फिर कैसे हो वर्णन,
स्वर्गीय प्रेम अक्षय अटल
करते उस पर मनन।
2 टूटे हृदय की तू ही आस
सन्तों का है आनन्द,
गिरते हुओं का मित्र खास
भक्तों का खुदावन्द।
3 धन्य है तू तेरा वैभव
दूतगण भी है मगन,
स्वर्ग की तू शोभा गौरव
पिता तुझसे प्रसन्न।
4 कलीसिया का उन्नत सिर
धर्मी का प्रतिफल,
यीशु तू लेने आता
फिर होगा जीवन सफल।