Return to Index

35

36

धन्य वह दिन रहता स्मरण

37
SongInstrumental

1 धन्य वह दिन रहता स्मरण जिस दिन हुआ शुद्ध मेरा मन, प्रभु यीशु के लहू से छुटकारा पाया पापों से। कोः- धन्य दिन, धन्य दिन खुशनुमा कैसा धन्य दिन, हमेशा अब आराधना स्तुति आनन्द और होशन्ना। 2 अनन्त स्वर्गीय आशिषें प्रभु की दृढ़ प्रतिज्ञाएं, है मेरे प्राणों के लिए आराम और चैन सब के लिये। 3 रहता प्रभु के चरणों पास धन्य हुआ पाई मीरास, चिन्ता और भय से मुक्त हुआ पूरा उद्धार मुझे मिला। 4 प्रभु मेरा मध्यस्थ है पिता के पास पहुंच भी हैं, आता है शीघ्र लेने मुझे रहूँगा नित स्वर्गीय धाम में।