1 धन्य वह दिन रहता स्मरण
जिस दिन हुआ शुद्ध मेरा मन,
प्रभु यीशु के लहू से
छुटकारा पाया पापों से।
कोः- धन्य दिन, धन्य दिन
खुशनुमा कैसा धन्य दिन,
हमेशा अब आराधना
स्तुति आनन्द और होशन्ना।
2 अनन्त स्वर्गीय आशिषें
प्रभु की दृढ़ प्रतिज्ञाएं,
है मेरे प्राणों के लिए
आराम और चैन सब के लिये।
3 रहता प्रभु के चरणों पास
धन्य हुआ पाई मीरास,
चिन्ता और भय से मुक्त हुआ
पूरा उद्धार मुझे मिला।
4 प्रभु मेरा मध्यस्थ है
पिता के पास पहुंच भी हैं,
आता है शीघ्र लेने मुझे
रहूँगा नित स्वर्गीय धाम में।