जिस क्रूस पर यीशु मूआ था
वह क्रूस अद्भुत जब देखता हूं,
संसारी लाभ को टोटा सा
और यश को निन्दा जानता हूं।
1 मत फूल जा मेरे मूरख मन
इस लोक के सुख और संपत पर,
हो ख्रिस्त के मरण से प्रसन्न
और उस पर सारी आशा धर।
2 देख उसके सिर हाथ पाँव के घाव
यह कैसा दुःख और कैसा प्यार,
अनूठा है यह प्रेम स्वभाव
अनूप यह जग का तारणहार।
3 जो तीनों लोक दे सकता मैं
इस प्रेम के योग्य वह होता क्यों!
हे यीशु प्रेमी आपके तई
मैं देह और प्राण चढ़ाता हूँ।