धन्यवाद सदा प्रभु ख्रिस्त तुझे
तेरे सन्मुख शीश नवाते है,
हम तेरी आराधना करने को
दरबार में तेरे आते है ।
1 धन्य वीरों का इस मण्डली के
तेरे नाम पर जो बलिदान हुए,
हम उनके साहस त्याग को ले
नित्य आगे बढ़ते जाते है ।
2 जिस क्रूस पर तेरा रक्त बहा
संसार के पापी जन के लिये,
उस क्रूस-ध्वजा से प्रेम तेरा
हम दुनिया में फैलाते हैं ।
3 अपराध क्षमा कर दयानिधि,
बल पौरूष दे अगुवाई कर,
फिर अपने तन मन जीवन को
वेदी पर आज चढ़ाते हैं ।