इस जग का मैं दीपक हूँ
जीवन ज्योति जला दूंगा।
1 दीपक हूँ मैं अपने घर का
रोज जला ही करता हूँ,
मैं जल जलकर अपने घर का
अंधियारा दूर भगा दूंगा
जीवन ज्योति जला दूंगा।
2 समाज, नगर भी ख्रिस्त बिना
सोये से हैं अंधियारे में,
मैं यीशु मसीह की ज्योति को
हर कोने में फैलाऊँगा
जीवन ज्योति जला दूंगा।
3 जो ज्योति मिली प्रभु से मुझको
वह त्याग, प्रेम, सत सेवा की,
मैं खुश होकर इस जीवन को
बलिदान उसे चढ़ा दूंगा
जीवन ज्योति जला दूंगा।