तेरे सन्मुख शीश नवाते है जग के करतार,
डूबे हुओं को दे दो सहारा कर दो बेड़ा पार।
1 पाप के बादल सिर पर छाये
घिरा हुआ तूफान,
तुम बिन नैया कौन संभाले मेरे प्रभु महान,
आके बचालो प्राण हमारे जग के खेवनहार।
2 जन्म के अंधे को दी आंखे,
रोगी लिये बचाए,
पाप क्षमा किए सब पापिन के
मुर्दे दिये जिलाए,
पापी हृदय हम भी लाये धो दो तारणहार।
3 सुन्दर पक्षी पर्वत सागर सबके सृजनहार,
आके विराजो मन मंदिर में बन्दे करे पुकार,
व्याकुल हृदय तुमको पुकारे,
आजा तारणहार ।