प्यारे मसीह! तेरे सिवाय, कौन है मेरा, (2)
रोज-ब-रोज खेदों में होके
कहरता यह मेरा मन
तेरे सिवाय मन के प्यारे
कोई न मेरा सहारा (2)
1 तेरे साथ जंगल में घूमेंगे
प्रीतम, तेरा नाम लेकर चलूँगा,
तेरे चरणाब्द पदत छुऊँगा
जगत में जब लों रहूँगा ।
2 जगतल में तेरा सा कोई न
प्यारा, मरू में मैं प्यासा सहारा,
क्षण में मसीहा तुझ से लिपटूँगा
मन में तसल्ली यह मेरी।
3 दुनिया में थोड़े दिन वास हमारा
उस में क्या संर्घष हमारा,
क्षण भर बीत परपद पाऊँगा
प्रभु तेरे संग रहूँगा।
4 भवन में जाने की ध्वनी मैं सुनूँगा
प्रिय की आवाज सुनूंगा,
सरिता समुन्दर मध्य में जैसी
प्रिय से मिलने को मैं रमुँगा।