कलवरी के पास खड़ा हो,
खून की धारा को देखता जा
तेरे पापों का यही दाम,
दिया है मसीह यीशु ने।
कोः-हर एक आँख उसे देखेगी, देखेगी, बादलों पर आते हुए,
छेदा था जिन्होंने उसे,
छाती पीट के सिजदा करेंगें।
2 ऐ नादान क्यों होता उदास,
कर कबूल चश्मे में नहा
सारे दाग मिटा दे पापों के,
रहेगा आराम और खुशी से।
3 जल्दी वक्त गुजरता जाता है,
रात अंधेरी आती है
तौबा का दरवाजा होगा बन्द
कुछ न होगा फिर पछताने से।
4 कबर का वह तोड़कर बन्धन,
ऊपर गया भेजा रूह-ऐ-पाक
तुम्हें लेने जल्दी आवेगा,
हो तैयार उससे मिलने को।
5 ये हुआ सब तेरे लिए,
तू ने भी उसे छोड़ा है
फिर भी प्यार से तुझे बुलाता,
जाता क्यों नहीं उसके पास।