Class 8, Lesson 9: यहेजकेल

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यहेजकेल ऐसा भविष्यद्वक्ता था जिसने बेबीलोन में बँधुआई में रहने वाले लोगों के बीच अपना संदेश दिया था। उसने यहोवा की आवाश और उपस्थिति का प्रतिनिध्त्वि उन लोगों के बीच में किया जिनके पास न पवित्रा नगर, न मंदिर और न ही राष्ट्रीय पहचान थी। यरूशलेम में यिर्मयाह अपने सेवा काल के अंत में लोगों को आनेवाले विनाश की चेतावनी दे रहा था, उस समय यहेजकेल बेबीलोन में बँधुआई में जी रहा था। भविष्यद्वक्ता के विषय में तीन तथ्य हमें उसके महत्वपूर्ण कार्य को समझने में सहायक होंगे जो उसने बेबीलोन के बँधुआई में पड़े लोगों के जीवन में किया। 597 ई.पू. में यहेजकेल को बेबीलोन ले जाया गया:586 ई.पू. में नबूकद्नेस्सर की सेना ने यरूशलेम को पूरी तरह तबाह कर दिया था परन्तु उसके पहले दो बार 605 ई.पू. और 597 ईपू. में लोगों को बँधुआई में ले जाया गया था। ;2 राजा 24:8-17यहेजकेल 1:1-3 के अनुसार वह 25 वर्ष का था जब 597 ई.पू. में वह बँधुआई में गया था और 30 वर्ष की उम्र में परमेश्वर ने उसे भविष्यद्वाणी करने के लिए बुलाया।यहेजकेल याजकों के परिवार से था। याजक लोग परमेश्वर की सेवा 30 वर्ष की उम्र में ही आरंभ करते थे। ;गिनती 4:3द्ध। परमेश्वर का मंदिर न होने पर भी परमेश्वर ने उसे अपनी सेवा के लिए बुलाया ताकि वह परमेश्वर के वचनों का प्रचार करे। यहेजकेल नाम का अर्थ है‘‘परमेश्वर सामर्थ देते हैं।’’परमेश्वर ने यहेजकेल को गूँगा कर दिया था परन्तु जब परमेश्वर की ओर से संदेश दिया जाना होता था तब ही वह बोल पाता था। यह स्थिति सात वर्षों तक यरूशलेम के संपूर्ण विनाश तक बनी रही। यहेजकेल के लिए सबसे दुःखद पाठ अपनी पत्नी को खो देना था। ;24:16। और उसे रोने की अनुमति भी नहीं थी। यह बँधुआई में पड़े लोगों के लिए निर्देश की तरह था कि वे भी अपनी ‘‘आँखों की प्रिय’’ यरूशलेम के मंदिर की आनेवाली तबाही पर न रोएं।परमेश्वर का हाथ यहेजकेल पर था:परमेश्वर का सामर्थी हाथ यहेजकेल पर था। यह आवश्यक था क्योंकि बँधुआई में पड़े लोगों के पास न मंदिर था न याजक थे और न बलिदान जिसके द्वारा परमेश्वर की महिमा प्रकट होती। अतः परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता को चुना कि वह परमेश्वर की पवित्राता का प्रचार कर सके। विषय वस्तु का अवलोकन: यिर्मयाह की तरह यहेजकेल भी यहूदा पर और राष्ट्रों पर परमेश्वर के न्याय और अपने लोगों की पुनःस्थापना का वर्णन करता है। अध्याय 1-3 बताता है कि परमेश्वर भविष्यद्वक्ता को अपने कार्य के लिए अलग करते हैं। अध्याय 4:23 में यहूदा के पाप और उसके दण्ड का वर्णन है। पद 25-32 में अन्यजाति राष्ट्रों पर आने वाले न्याय का वर्णन है। अध्याय 33-48 में परमेश्वर की महिमा की वापसी और अपने लोगों के साथ अनंत काल की उपस्थिति की भविष्यद्वाणी की गई है। यहेजकेल की बुलाहट: यहेजकेल बन्दियों के बीच कबार नदी के तट पर था जब उसने देखा कि स्वर्ग खुल गया और उसने परमेश्वर के दर्शन पाए। उसने देखा कि उत्तर दिशा से बड़ी घटा और लहराती हुई आग सहित बड़ी आँधी आ रही है। उसके बीच से चार जीवधरियों के समान कुछ निकले। उनका रूप मनुष्य के समान था। उनमें से हर एक के चार-चार मुँह और चार-चार पंख थे। पंखों के नीचे मनुष्यों के से हाथ थे। भूमि पर उनके पास चारों मुखों की गिनती के अनुसार एक-एक पहिया था।पहियों के घेरों में चारों ओर आँखें ही आँखें भरी हुई थीं। जब जीवधरी चलते थे, तब पहिए भी उनके साथ चलते थे। उनका चलना-पिफरना बिजली का सा था। ;1:14 इस प्रकार यशायाह और यिर्मयाह की तरह ही यहेजकेल को भी सेवाकार्य के लिए बुलाए जाने से पहले परमेश्वर की महिमा और भव्यता दिखाकर तैयार किया गया।परमेश्वर ने यहेजकेल को अलग किया कि बलवा करने वाले इस्राएल के घराने को परमेश्वर का संदेश सुनाए। ;अध्याय 2द्ध परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता को अपने आत्मा की सामर्थ दी, अपने वचन से भरा और विश्वासयोग्यता के साथ उसे संदेश सुनाने की आज्ञा दी और उसे उनके बीच में भेजा। ;अध्याय 3। यहूदा के विरु( न्याय: चिन्हों और दृष्टांतों के द्वारा यहेजकेल ने यहूदा पर आने वाले परमेश्वर के न्याय के विषय में लोगों को बताया। यद्यपि लोग बँधुआई में चले गए थे पिफर भी परमेश्वर चाहते थे कि वे जानें कि यरूशलेम के विनाश का उत्तरदायित्व उन पर है। परमेश्वर की आज्ञानुसार यहेजकेल ने एक ईंट पर यरूशलेम का चित्रा बनाया। पिफर उसकी घेराबन्दी करके शहर की होने वाली स्थिति के विषय में बताया। ;अध्याय 4। उसने बाल और दाढ़ी के बाल मूँड़ दिए और तौलने का काँटा लेकर उसके हिस्से किए और नगर के भीतर एक तिहाई आग में डालकर जला दिया और एक तिहाई लेकर चारों ओर तलवार से मारा और एक तिहाई को हवा में उड़ा दिया। उनमें से थोड़े से बाल लेकर कपड़े की छोर से बाँध और कुछ को लेकर आग में डाल दिया। ये सब कुछ यरूशलेम पर परमेश्वर के क्रोध् के प्रतीक के रूप में था। ;5:2-4। अध्याय 11 में हम बँधुआई में गए लोगों से परमेश्वर की प्रतिज्ञा के विषय में पढ़ते हैं। ‘‘मैं उनका हृदय एक कर दूँगा और उनके भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूँगा, और पत्थर का हृदय निकालकर उन्हें माँस का हृदय दूँगा, ताकि वे मेरी विध्यिों पर चल सकें और मेरे नियमों को मानें तब वे मेरी प्रजा ठहरेंगे और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा। ;11:19-20।अध्याय 12-24 में यहूदा पर आने वाले न्याय की सीमा और उसके कारणों का वर्णन किया गया है। यहूदा ने विश्वासघात किया परन्तु परमेश्वर वायदा करते हैं कि उसके न्याय के बाद उसे पुनःस्थापित करेंगे। क्योंकि परमेश्वर कहते हैं, ‘‘क्या मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न होता हूँ? क्या मैं इससे प्रसन्न नहीं होता कि वह अपने मार्ग से पिफरकर जीवित रहे?’’ ;18:23। ‘‘क्योंकि प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि जो मरे उसके मरने से मैं प्रसन्न नहीं होता, इसलिए पश्चाताप करो तो तुम जीवित रहोगे।’’ ;18:32। अन्यजातियों पर न्याय: ;अध्याय 25-32 अम्मोन, मोआब, एदोम और पलिश्तिया इस्राएल के पड़ोसी और पुराने शत्रु थे। ;अध्याय 25द्ध। परमेश्वर ने उन्हें भी चेतावनी दी कि उनका भी न्याय शीघ्र ही होने वाला है। तीन अध्याय 26-28 में सोर के विरु( भविष्यद्वाणी की गई है। परमेश्वर ने यहेजकेल से कहा, ‘‘इस्राएल के घराने के चारों ओर की जितनी जातियाँ उनके साथ अभिमान का बर्ताव करती हैं, उनमें से कोई उनका चुभनेवाला काँटा या बेध्नेवाला शूल पिफर न ठहरेगी, तब वे जान लेंगे कि मैं परमेश्वर यहोवा हूँ ।’’ ;28:24द्ध। अध्याय 29-32 में मिस्र के विरु( भविष्यद्वाणी की गई है।‘‘वह सब राज्यों में छोटा होगा, क्योंकि मैं मिस्रियों को ऐसा घटाऊँगा कि वे जाति-जाति पर पिफर प्रभुता न करने पाएँगे। वह पिफर इस्राएल के घराने के भरोसे का कारण न होगा। तब वे जान लेंगे कि मैं परमेश्वर यहोवा हूँ।’’ ;29:15:16। परमेश्वर के लोगों की पुनःस्थापना: ;अध्याय 33-48 परमेश्वर की ओर से नियुक्त पहरेदार की तरह यहेजकेल ने इस्राएली लोगों के प्राणों का बोझ अपने कंधें पर उठाया। उसके ऊपर उत्तरदायित्व था कि वह परमेश्वर के लोगों को उनके पाप के विषय में और आने वाले न्याय के विषय में चेतावनी दे। ;अध्याय 33परमेश्वर का न्याय एक वास्तविकता तब बनी जब नबूकद्नेस्सर ने यरूशलेम का विनाश किया।तब परमेश्वर ने उनकी पुनःस्थापना का वायदा देकर उन्हें आश्वासन दिया। यरूशलेम के विनाश का समाचार सुनने के पश्चात् उसके आश्वासन का पहला संदेश था कि परमेश्वर स्वयं इस्राएल का महान चरवाहा होगा। क्योंकि जिन चरवाहों को परमेश्वर ने अपने लोगों के ऊपर ठहराया था उन्होंने अपने ही लाभ के लिए कार्य किया और लोगों की परवाह नहीं की। ;34:1-10। परमेश्वर ने वायदा किया कि वे स्वयं ही अपने लोगों की सुधि लेंगे। ;34:11-16। परमेश्वर कहते हैं, ‘‘मैं तुमको एक नया मन दूँगा और तुम्हारे भीतर एक नई आत्मा उत्पन्न करूँगा और तुम्हारी देह में से पत्थर का दिल निकालकर तुम को माँस का हृदय दूँगा।’’ ;36:26।अध्याय 37 में यहेजकेल के दर्शन के अनुसार जिस प्रकार उन सूखी हड्डियों पर माँस चढ़ गया और चमड़े से ढँप गया और साँस आ गई और वह जीवित मनुष्य बन गए उसी प्रकार परमेश्वर अपने लोगों को पिफर से जीवित और स्वस्थ करने का वायदा करते हैं। ;यूहन्ना 10:10द्ध। में बहुतायत के जीवन का वायदा दिया गया है। अध्याय 40-48 में पुनःस्थापना का चित्राण और भावी मंदिर, याजकों और बलिदान का विस्तृत वर्णन किया गया है। परमेश्वर के लोगों के लिए नए शहर और नई भूमि का भी वायदा दिया गया है। यहेजकेल के दर्शन का आरंभ बेबीलोन की समतल भूमि से आरंभ होता है, परन्तु परमेश्वर का नए मंदिर में महिमा के साथ वापसी के दर्शन से अंत होता है। परमेश्वर अपने लोगों के मध्य सदा सर्वदा के लिए! ‘‘उस दिन से आगे को नगर का नाम ‘यहोवा शाम्मा’ रहेगा।’’ ;48:35द्ध।

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