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आमोस भविष्यद्वक्ता एक साधरण सा चरवाहा था। ;7:14। यद्यपि वह यहूदा से था, परन्तु उसने इस्राएल के विरु( भविष्यद्वाणी की। उसके नाम का अर्थ है परिचारक अथवा संदेशवाहक। अपने नाम के अनुरूप ही उसने परमेश्वर के संदेश को लोगों तक पहुँचाया। उसका संदेश: आमोस ने न्याय के विषय में भविष्यद्वाणी की। जो लोग ऐशो आराम और बहुतायत में जी रहे थे उनको एक कठोर सत्य का संदेश सुनाया। लोगों के पापों के कारण यह दण्ड समस्त राष्ट्र पर आया। पद 1:1 में हम भूकम्प के विषय में पढ़ते हैं जो उस न्याय का हिस्सा था। जकर्याह भविष्यद्वक्ता उस भूकम्प के विषय में कहता है कि वह इतना भयंकर होगा कि बहुत समय तक याद रहेगा। ;जक. 14:5। इस पुस्तक को हक 5 भागों में बाँट सकते हैं 1. पड़ोसी राष्ट्रों पर न्याय ;1:2-2:3 2. इस्राएल और यहूदा पर न्याय ;2:4-16 3. इस्राएल के विरु( तीन बातें ;अध्याय 3-6 4. इस्राएल के विषय में दर्शन ;7:1-9:10 5. इस्राएल की पुनः स्थापना ;9:11-15 1. पड़ोसी राष्ट्रों पर न्याय: अराम ;1:3-5, पलिश्तिया ;1:6-8, सोर ;1:9-10, एदोम ;1:11-12, अम्मोन ;1:13-15, मोआब ;2:1-3इन राष्ट्रों पर परमेश्वर का न्याय सुनाया गया। 2. इस्राएल और यहूदा पर न्याय: पद 4-5 में हम देखते हैं कि परमेश्वर यहूदा पर अपना क्रोध् उंडेल रहे हैं क्योंकि उन्होंने मूर्तियों की आराध्ना की। पद 6-8 में हम देखते हैं कि इस्राएल के पाप के कारण परमेश्वर उनका भी न्याय चुका रहे हैं। इस्राएलियों को छुड़ाने के लिए परमेश्वर ने अम्मोरियों से जो किया यह इस्राएल के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए थी। परन्तु उन्होंने ‘‘नाशीरों को दाखमधु पिलाया और नबियों को आज्ञा दी कि भविष्यद्वाणी न करें।’’ ;पद 12। 3. इस्राएल के विरु( तीन बातें: इस्राएल के विरु( तीन बातें इस चेतावनी के साथ आरंभ होती हैं,‘‘हे इस्राएलियो, यह वचन सुनो जो यहोवा ने तुम्हारे विषय में कहा है।’’ ;पद 1। पहली बात: ;अध्याय 3:1-15: परमेश्वर के चुने हुए लोग इस्राएली दंगा करने लगे और अपने ही जाति भाइयों को कष्ट देने लगे। परमेश्वर ने घोषणा की कि यद्यपि वे समृ( और सामर्थी हैं, तौभी शत्रु उन पर टूट पड़ेगा और नाश कर देगा। इण् दूसरी बात: ;अध्याय 4:1-13: सामरिया की स्त्रिायाँ गरीबों और शरूरतमंदों पर अत्यंत अत्याचार कर रही हैं। वे अन्य देवताओं की उपासना कर रही हैं और साथ ही साथ बेतेल में यहोवा के लिए बलिदान भी चढ़ाती हैं। परिणामस्वरूप देश में अकाल पड़ गया ;पद 4:9। परमेश्वर कहते हैं कि पिफर भी वे यहोवा परमेश्वर की ओर नहीं पिफरे। ;पद 9, 11द्ध अंत में परमेश्वर उन्हें मन पिफराव का एक और मौका देते हैं ;पद 12द्ध परमेश्वर उन्हें कठोर चेतावनी देते हैं, ‘‘हे इस्राएल, अपने परमेश्वर के सामने आने के लिए तैयार हो जा।’’वर्ण तीसरी बात: ;अध्याय 5, 6 यहाँ भविष्यद्वक्ता इस्राएल राष्ट्र के पतन और नाश के विषय में उनको बताता है। ;पद 5:1 और अपने आह्वान को दोहराता है, ‘‘यहोवा की खोज करो तो जीवित रहोगे।’’;पद 6 ‘‘बुराई से बैर और भलाई से प्रीति रखो, और पफाटक में न्याय को स्थिर करो।’’ ;पद 15। परन्तु लोग परमेश्वर को बलिदान चढ़ाते रहे और अध्र्म में बने रहे। परमेश्वर उनसे कहते हैं, ‘‘चाहे तुम मेरे लिए होमबलि और अन्नबलि चढ़ाओ, तौभी मैं प्रसन्न न होऊँगा।’’;पद 22। अतः भविष्यद्वक्ता उनसे कहता है-‘‘इस कारण सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल के घराने, देख, मैं तुम्हारे विरु( एक ऐसी जाति खड़ी करूँगा, जो हमात की घाटी से लेकर अराबा की नदी तक तुमको संकट में डालेगी।’’ ;6:14 4. इस्राएल के विषय में दर्शन ;7:1-9:10 टिड्डियों और आग के दर्शन के द्वारा परमेश्वर ने इस्राएल को नाश करने की अपनी योजना को प्रकट किया था। भविष्यद्वक्ता ने प्रार्थना की कि उनको क्षमा किया जाए, और परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना सुनी। परन्तु उसके बाद के दर्शनों के द्वारा परमेश्वर ने यह प्रकट किया कि उन्हें कठोर दंड दिया जाएगा। तब अमस्याह याजक ने आमोस से कहा, ‘‘हे दर्शी, यहाँ से निकलकर यहूदा देश में भाग जा, और वहीं रोटी खाया कर, और वहीं भविष्यद्वाणी किया कर।’’ ;पद 12द्ध। इस प्रकार अमस्याह याजक ने परमेश्वर को और उसके भविष्यद्वक्ता को तुच्छ जाना। उसे इसका जो दण्ड मिला वह पद 17 में हम पढ़ते हैं। 5. इस्राएल की पुनः स्थापना ;9:11-15 अंततः भविष्यद्वक्ता आमोस के द्वारा परमेश्वर यह प्रतिज्ञा करते हैं कि वह इस्राएल को पूरी तरह से नष्ट नहीं करेंगे ;9:8। इस प्रकार भविष्यद्वक्ता हमें संकेत देता है कि प्रभु के दोबारा आगमन से पहले इस्राएल की पुनःस्थापना होगी। ‘‘मैं उन्हें उन्हीं की भूमि में बोऊँगा, और वे अपनी भूमि में से जो मैं ने उन्हें दी है, पिफर कभी उखाड़े न जाएँगे। तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का यही वचन है।’’ ;पद 9:15। यद्यपि यह असंभव प्रतीत होता है, परन्तु द्वितीय महायु( से इस्राएल के इतिहास की घटनाएँ यह दिखाती हैं कि परमेश्वर अपने समय में इस भविष्यद्वाणी को पूरा करेंगे।
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