Audio | Prayer | Song | Instrumental |
---|---|---|---|
जब एक व्यक्ति प्रभु यीशु पर विश्वास करके उद्धार प्राप्त करता है तब से एक नई शुरुआत होती है। परमेश्वर का अनुग्रह तीन तरह से उसमें कार्य करता है। वह धर्मी ठहराया जाता है, वह पवित्रा किया जाता है और उसे महिमा दी जाती है। हम उद्धार के इन तीन पहलुओं का अध्ययन करेंगे। धर्मी ठहराना: ‘‘धर्मी ठहराया जाना एक दिव्य कार्य है, जिसके द्वारा अनंत पवित्र परमेश्वर न्यायपूर्ण घोषणा करते हैं कि विश्वास करने वाला पापी धर्मी ठहरा है, और वह परमेश्वर के सम्मुख ग्रहणयोग्य है, क्योंकि प्रभु यीशु मसीह ने पापी के पाप को क्रूस पर उठा लिया और उसे अपने लिए धार्मिकता बना लिया।’’परमेश्वर के साथ हमारा सच्चा संबंध् जब वापस जुड़ जाता है उसे धर्मी ठहरना कहते हैं। यह संबंध् पाप के कारण टूट गया था। हमारी धार्मिकता का आधर परमेश्वर का वह अनुग्रह है, जो हमारे प्रभु यीशु की आज्ञाकारिता और बलिदान के सि( जीवन से प्रकट हुआ है ‘‘हम उसके लहू के कारण धर्मी ठहरे’’ ;रोमियों 5:9। प्रभु की धर्मिकता को हम पर रोपा गया ;रोमि. 4:6( 1 कुरि 1:30( 2 कुरि. 5:21। रोमियों 5:1 कहता है, ‘‘अतः जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर से मेल रखें।’’ धर्मी ठहराया जाना एक ऐसा कार्य है जो पूर्ण हो चुका है। पवित्रीकरण: यह परमेश्वर के मुफ़्त अनुग्रह का कार्य है, जिसके द्वारा हम पूर्ण रूप से नए होकर परमेश्वर के स्वरूप में बदलते हैं, और पाप के लिए और अधिक मर जाते और धर्मिकता के लिए जीवन बिताते हैं। धर्मी ठहरना पवित्रीकरण से भिन्न है।धर्मी ठहरना ;मसीह हमारे लिएद्ध पवित्राीकरण ;मसीह हम मेंद्ध नए जन्म के समय पवित्रा आत्मा के द्वारा हमें दिए गए नए जीवन में लगातार उन्नति पवित्रीकरण से संबंध्ति है। मसीह में प्राप्त नए जीवन के कारण एक विश्वासी परमेश्वर के लिए अलग किया हुआ है, यह उसका स्थान है। ;1 कुरि. 6:11। इस पद में क्रिया शब्द भूतकाल में है जिससे यह संकेत मिलता है कि यह कार्य पूरा हो चुका है। नया जन्म पाना तुरंत होता है जबकि पवित्रीकरण प्रगतिशील है जिसका अर्थ है कि एक विश्वासी को बढ़ना चाहिए। प्रेरित पतरस कहते हैं- ‘‘पर हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ।’’ ;2 पतरस 3:18। प्रेरित पौलुस कहते हैं- ‘‘हे भाइयो, तुम्हारे विषय में हमें हर समय परमेश्वर का ध्न्यवाद करना चाहिए, और यह उचित भी है, इसलिए कि तुम्हारा विश्वास बहुत बढ़ता जाता है, और तुम सबका प्रेम आपस में बहुत ही बढ़ता जाता है।’’ ;2 थिस्स1:3। बाइबल अनुग्रह में बढ़ने, आशा और प्रेम बहुतायत से होने और स्वर्गीय बातों के ज्ञान में उन्नति करने की बात कहती है। यह कहने की आवश्यकता न होती यदि नए जन्म के समय हमारी पवित्राता सिद्धांत( हो जाती। पवित्राीकरण में यह बात भी आती है कि एक विश्वासी परमेश्वर के लिए अलग किया हुआ है, जिसमें उसका स्थान और कार्य को सिद्धांत ताल मेल में लाया जाएगा। ;इफि 5:26, 27( यहूदा 24:25। पवित्रीकरण का तिगुना पहलू 1 कुरि. 6:11 (1 पतरस 1:15-16 (फिलि. 3:21 (1 थिस्स. 5:23 में पौलुस प्रार्थना करते हैं कि ‘‘शांति का परमेश्वर आप ही तुम्हें पूरी रीति से पवित्रा करे, और तुम्हारी आत्मा और प्राण और देह हमारे प्रभु यीशु मसीह के आने तक पूरे-पूरे और निर्दोष सुरक्षित रहें।’’ पवित्रा किए हुए लोग परमेश्वर के द्वारा चुने हुए लोग हैं, और पुत्र के द्वारा छुड़ाए गए हैं और पवित्रा आत्मा के द्वारा पवित्र किए गए हैं ;यशा. 62:12। परमेश्वर का उद्धार मनुष्य के प्राण, आत्मा और शरीर के लिए संपूर्ण है। महिमावंत करना: परमेश्वर के उद्धार के कार्य की कड़ी में यह अंतिम चरण है। ‘‘फिर जिन्हें उसने पहले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें ध्र्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।’’ ;रोमि. 8:30। मसीह की मृत्यु, पुनरुत्थान और बिचवई के कार्य में हमारी महिमा सुरक्षित है। ‘‘पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है, और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के वहाँ से आने की बाट जोह रहे हैं। वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर,अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।’’ ;फिलि. 3:20-21। हमारे प्रभु के दोबारा आगमन पर हम महिमा प्राप्त करेंगे।
Not Available