Class 8, Lesson 33: उद्धार की सुरक्षा 2

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उद्धार से हमारा तात्पर्य है - अनंत नरक से छुटकारा। जैसे हमने देखा, यह उद्धार परमेश्वर का निःशुल्क दान है। जब एक पापी प्रभु यीशु को अपना प्रभु और उद्धारकर्ता स्वीकार करता है, तब एक बार सदा के लिए उसका उद्धार हो जाता है। ;यूहन्ना 5:24(6:37)( 10:27-31। अनंतकाल तक सुरक्षा: ‘‘क्या एक बार उद्धार प्राप्त व्यक्ति फिर खो सकता है?’’ अक्सर लोग यह प्रश्न पूछते हैं। ‘‘विश्वास के द्वारा अनुग्रह से तुम्हारा उद्धार हुआ है’’ यह वाक्य स्पष्ट है कि वह व्यक्ति अनंतकाल के लिए बचाया गया है। ;इन पदों को पढ़ें -इपिफ. 2:5-8 रोमियों 8:24( तीतुस 3:4, 5( 2 तीमु. 1:9-10( प्रेरितों 2:47। यदि इन सत्यों को हम स्वीकार नहीं करते तब पिफर हमें यह कहना होगा कि एक व्यक्ति का कभी-कभी उद्धार होता है जब वह आवश्यक नैतिक स्तर को बनाए रखता है! इसका अर्थ यह हुआ कि बाकी सब समयों में वह खोई हुई दशा में है। निस्संदेह कोई भी व्यक्ति अपने व्यावहारिक जीवन में सि(ता का दावा नहीं कर सकता। अतः किसी आत्मा के उद्धार का निश्चय उसके जीवन के अंत में ही हो सकता है। यदि यही सच है तो पिफर यह उद्धार के सिद्धांत को खोखला साबित करता है कि विश्वास के द्वारा अनुग्रह से हमारा उद्धार हुआ है, और यह निःशुल्क दान है। 2. उद्धार का अर्थ है पुनर्जन्म। जब एक व्यक्ति का उद्धार होता है तब उसका नया जन्म होता है। इस प्रकार वह परमेश्वर का पुत्रा/पुत्री बन जाता है ;यूहन्ना 1:12। स्पष्टतः परमेश्वर उस उद्धार प्राप्त व्यक्ति का पिता है। यह पिता-पुत्रा संबंध् कभी भी समाप्त नहीं होता। 3. प्रभु यीशु मसीह के याजक पद के आधर पर हमारा उद्धार सुरक्षित है। ‘‘इसी लिए जो उस के द्वारा परमेश्वर के पास आते हैं, वह उनका पूरा-पूरा उद्धार कर सकता है, क्योंकि वह उनके लिए विनती करने को सर्वदा जीवित है।’’ 4. हमारे उद्धार को अनंत उद्धार कहा गया है। ‘‘और सिद्धांत ( बनकर,अपने सब आज्ञा मानने वालों के लिए सदा काल के उद्धार का कारण हो गया।’’ ;इब्रा. 5:9। 5. विश्वासी को जो जीवन प्राप्त हुआ है वह अनंत जीवन है।;यूहन्ना 3:16। 6. परमेश्वर की अनंत सामर्थ विश्वासी को संभालती है। ‘‘हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का ध्न्यवाद हो, जिसने यीशु मसीह के मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिए नया जन्म दिया, अर्थात् एक अविनाशी, और निर्मल, और अजर मीरास के लिए जो तुम्हारे लिए स्वर्ग में रखी है जिनकी रक्षा परमेश्वर की सामथ्र्य से विश्वास के द्वारा उस उद्धार के लिए, जो आने वाले समय में प्रगट होने वाली है, की जाती है।’’ ;1 पतरस 1:3-5। 7. विश्वासी लोग मसीह यीशु में पूर्ण हैं। ‘‘क्योंकि उसमें ईश्वरत्व की सारी परिपूर्णता संदेह वास करती है। और तुम उसी में भरपूर हो गए हो जो सारी प्रधनता और अध्किार का शिरोमणि है।’’ ;कुलु. 2:9-10। 8. मसीह हमारा जीवन है। ‘‘क्योंकि तुम तो मर गए और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है। जब मसीह जो हमारा जीवन है, प्रगट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा सहित प्रगट किए जाओगे।’’ ;कुलु. 3:3-4। मसीह का जीवन अनन्त काल का है। 9. हम परमेश्वर के पूर्वज्ञान के अनुसार बचाए गए हैं। अतः हमारा उद्धार सुरक्षित है। ;रोमि. 8:29( इफि 1:4-12(प्रेरितों. 13:48(1 थिस्स 5:9। पिफर भी हमें पाप करने की अनुमति नहीं है। यदि हम पाप करें परमेश्वर एक पिता के रूप में उसका दण्ड देते हैं। परमेश्वर अपने संतान का अनुशासन करते हैं। ‘‘क्योंकि प्रभु जिस से प्रेम करता है,उसकी ताड़ना भी करता है, और जिसे पुत्रा बना लेता है, उसको कोड़े भी लगाता है।’’ ;इब्रा 12:6। सच्चाई यह है कि कमशोर मनुष्य होने के कारण हम से पाप होने की संभावना है। क्या यदि हम से पाप हो जाए? प्रेरित यूहन्ना कहते हैं, ‘‘यदि हम कहें कि हम में कुछ पाप नहीं,तो अपने आप को धेखा देते हैं, और हम में सत्य नहीं। यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुरू ( करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।’’ ;1 यूहन्ना 1:8-9। अतः हमें अपना पाप अंगीकार करके अपन पिता परमेश्वर से क्षमा प्राप्त करना होगा। किस आधर पर परमेश्वर हमें क्षमा कर सकते हैं? ‘‘...उसके पुत्रा यीशु का लहू हमें सब पापों से शु( करता है।’’ ;1यूहन्ना 1:7। यूहन्ना कहते हैं, ‘‘हे मेरे बालकों, मैं ये बातें तुम्हें इसलिए लिखता हूँ कि तुम पाप न करो, और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात् ध्र्मी यीशु मसीह, और वही हमारे पापों का प्रायश्चित है, और केवल हमारे ही नहीं वरन् सारे जगत के पापों का भी।’’ ;1 यूहन्ना 2:1-2। परमेश्वर अपने पुत्रा के बलिदान के बहाए हुए रक्त के आधर पर और अपने पुत्रा और हमारे उद्धारकर्ता की मध्यस्थता के कारण हमें क्षमा कर देते हैं। यह आश्वासन हमें प्रेरणा देता है कि हम पूर्ण भक्ति के साथ अपने प्रभु से प्रेम करें ओर उनकी सेवा करें।

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