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उद्धार के कार्य में पवित्रा आत्मा का महत्वपूर्ण भूमिका है। ‘‘आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। पृथ्वी बेड़ौल और सुनसान पड़ी थी और गहरे जल के ऊपर अन्ध्यिारा थाऋ तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था।’’ ;उत्पत्ति 1:1-2। जिस प्रकार पवित्रा आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था और पिफर जीवन की उत्पत्ति हुई उसी प्रकार आत्मिक रूप से जीवन रहित मनुष्य के जीवन में पवित्रा आत्मा कार्य करता है और उसे पाप, धर्मिकता और न्याय के विषय में बोध कराता है। विश्वास करने वाले व्यक्ति को पवित्रा आत्मा नया जीवन देता है। नया जन्म या नया जीवन पुराने जीवन को सुधरना नहीं है। यह तत्काल ही होने वाला एक परिवर्तन है। यह नए जन्म के द्वारा हमें नई सृष्टि बनाना है। ;2 कुरि. 5:18। इस नए जन्म में पवित्रा आत्मा हमें नया शरीर नहीं देते पर एक नया जीवन देते हैं। हम अपने पुराने शरीर में ही रहते हैं। प्रभु यीशु के दोबारा आगमन पर ही हमें नया शरीर प्राप्त होगा।पवित्र आत्मा का निवास: हर एक नया जन्म पाए हुए विश्वासी में पवित्रा आत्मा का निवास होता है। जिस क्षण एक व्यक्ति अपने पापों से पश्चाताप करके प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करता है,उसी समय पवित्रा आत्मा उसके भीतर निवास करने आते हैं। यह अस्थायी नहीं बल्कि एक स्थायी स्थिति है। यदि किसी के भीतर पवित्रा आत्मा का निवास नहीं है तो इसका अर्थ है कि उसका उद्धार नहीं हुआ। पवित्रा आत्मा का बपतिस्मा: पवित्रा आत्मा का बपतिस्मा तब होता है जब एक व्यक्ति प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता मानता है और उसी क्षण पवित्रा आत्मा उसे नया जीवन देकर उसके भीतर निवास करने के लिए आता है और उसके शरीर को परमेश्वर का मंदिर बनाता है। सभी विश्वासियों को एक बार होने वाली इस घटना का अनुभव होता है। ;1 कुरि. 12:13। वचन में कहीं भी हमें इस बपतिस्मे का इंतशार करने के लिए नहीं कहा गया क्योंकि यह उसी क्षण हो चुका होता है और दोहराया नहीं जाता। पवित्रा आत्मा का अभिषेक: सभी मसीहियों का पवित्रा आत्मा के द्वारा अभिषेक होता है ;2 कुरि. 1:21। पुराने नियम में भविष्यद्वक्ताओं, याजकों और राजाओं का अभिषेक किया जाता था। उनका अभिषेक उन्हें उनके सेवा कार्य के लिए तैयार करता था। जब हम स्वयं को पवित्रा आत्मा के नियंत्राण में कर देते हैं तब वह हमें परमेश्वर की सेवा करने और भक्तिपूर्ण जीवन व्यतीत करने में सहायता करते हैं। ;1 यूहन्ना 2:20,27।पवित्रा आत्मा की छाप: हम पर पवित्रा आत्मा की छाप लगी है। ;2 कुरि. 1:22 (इफि 1:13 क्योंकि हम मसीह के हैं। हमारे भीतर पवित्रा आत्मा हमारे सच्चे होने की गवाही देता है। ;रोमियों 5:5( 8:9।आत्मा हमें यह निश्चय देता है कि वह हमारी सुरक्षा करेंगे क्योंकि हम प्रभु की संपत्ति हैं। पवित्रा आत्मा हमारा बयाना: पवित्रा आत्मा, परमेश्वर की ओर से हमारा बयाना ;गारंटी, सुरक्षाद्ध है, कि एक दिन हम प्रभु के साथ स्वर्ग में होंगे ;इपिफ. 1:14। अपने हृदय में स्वर्गीय आशीषों का आनंद उठाने के लिए पवित्रा आत्मा हमारी सहायता करते हैं। बयाना एक रुचिकर शब्द है! पौलुस के समय में किसी शमीन जायदाद को पूरा ध्न देकर खरीदने से पहले थोड़ा धन जिसे बयाना कहते हैं देकर उसे अपना बनाया जाता था। आज के समय में भी यह किया जाता है जिसे ‘एडवांस’’कहते हैं। पवित्रा आत्मा परमेश्वर की ओर से पहली किश्त है कि हमें खरीदा गया है और हम प्रभु के हैं और अपना कार्य पूरा करके वे हमें अपने पास ले जाएँगे। यह कार्य तब पूरा होगा जब प्रभु दोबारा आएँगे और हमारे शरीरों का भी छुटकारा होगा। ;रोमियों 8:18-23( 1 यूहन्ना 3:1-3।पवित्र आत्मा का बपतिस्मा, पवित्रा आत्मा का अभिषेक, पवित्रा आत्मा की छाप और पवित्रा आत्मा हमारा बयाना आदि सभी बातों को हमेशा भूतकाल में कहा गया है। इसका अर्थ यह है कि यह एक बार हमेशा के लिए पूरा किया गया कार्य है। दूसरे शब्दों में यह वे कार्य हैं जो नया जन्म प्राप्त व्यक्ति में दोहराए नहीं जाते। तथापि, पवित्रा आत्मा की भरपूरी वह है जो जीवन में लगातार होते रहना चाहिए। पवित्रा आत्मा की भरपूरी के द्वारा हम विजयी मसीही जीवन जी सकते हैं। हम पवित्रा आत्मा से कैसे भरे जा सकते हैं? पवित्रा आत्मा एक व्यक्ति हैं। अतः पवित्रा आत्मा से परिपूर्ण होना का अर्थ है कि हमें पूरी तरह से स्वयं को पवित्रा आत्मा के अधीनता में रखकर अपने जीवन का नियंत्राण उन्हें सौंप देना है।इसका अर्थ यह हुआ कि जितना अधिक हम स्वयं को पवित्रा आत्मा के अधीन करते हैं उतना अध्कि हम पवित्रा आत्मा से परिपूर्ण होते हैं।आत्मा से परिपूर्ण व्यक्ति ‘‘आत्मिक’’ होता है। ;1 कुरि. 2:12-3:3। इस भाग में प्रेरित पौलुस लोगों को तीन वर्गों में बाँटते हैं-स्वाभाविक जिसका नया जन्म नहीं हुआ।शारीरिक जिसका नया जन्म हो चुका परन्तु वह‘‘स्वयं’’ से भरा हुआ आत्मिक शिशु है। आत्मिक नया जन्म प्राप्त, पवित्रा आत्मा से परिपूर्ण परिपक्व मसीही रोमियों 8:9 कहता है - ‘‘परन्तु जब कि परमेश्वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं परन्तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं, तो वह उसका जन नहीं।’’ उद्धार प्राप्त व्यक्ति के विषय में रोमियों 8:16 कहता है- ‘‘आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की संतान हैं।’’हमारा शरीर परमेश्वर का मंदिर बन जाता है। ;1 कुरि. 6:19-20। यद्यपि शरीर को नाश होना है तौभी आत्मा जीवन देता है ताकि हम परमेश्वर की सेवा कर सकें। यदि हमारी मृत्यु हो जाए तौभी यह शरीर प्रभु के आगमन पर जिलाया जाएगा, क्योंकि पवित्रा आत्मा ने हर एक विश्वासी पर छाप दी है। ;इपिफ. 1:13-14।
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