Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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1. देश पर दंड: अध्याय 1 योएल की भविष्यद्वाणी के दिनों में देश पर बहुत सी आपदाएँ आईं।सारी पफसलें नष्ट हो गईं। सब कुछ टिड्डियाँ खा गईं। ;1:4द्ध इस कारण भयंकर अकाल पड़ गया। इस प्रकार के दंड के बारे में मूसा ने पहले से कहा था। ;व्यवस्था. 28:38-39द्ध। इस दंड से बचाव केवल पश्चाताप और प्रार्थना के द्वारा ही संभव है। ;1 राजा 8:37-39। परमेश्वर के लोग यहोवा को छोड़कर अन्य देवताओं की आराध्ना करने लगे जिसके परिणामस्वरूप यह दण्ड उन पर आया। भविष्यद्वक्ता उनसे कहता है कि मन पिफराएँ और परमेश्वर की ओर मुड़ें। ;पद 13-14। यह एक विश्वासी पर भी लागू हो सकता है जो पाप में पड़ गया हो। ;1 यूहन्ना 1:8-10द्ध। स्वयं भविष्यद्वक्ता परमेश्वर के लोगों के छुटकारे के लिए विनती करता है। ;1:19द्ध। 2. प्रभु का दिन ;2:1-15 यहाँ पर हम प्रभु के दिन का आरंभ देखते हैं क्योंकि इस्राएल राष्ट्र ने मन पिफराने में विलंब किया। अध्याय 1 के पद 6 में हम पढ़ते हैं कि एक सामर्थी राष्ट्र उनके विरु( चढ़ाई कर रहा है। उस सामर्थी राष्ट्र के आक्रमण का परिणाम हम 2:1-10 में देखते हैं अर्थात् प्रभु के दिन का वर्णन। इस प्रकार के प्रभु के दिन ;यशा. 20:10-22द्ध भविष्य में पिफर से आएँगे जिसका संकेत प्रकाशितवाक्य 19:11-21 में दिया गया है। 3. पश्चाताप ;2:12-17 इस्राएल राष्ट्र के सामने एकमात्रा मार्ग यह था कि पश्चाताप करें और लौट आएँ। परन्तु उन्होंने उस क्षण तक मन न पिफराया। अतः पद 12 में परमेश्वर उन से पिफर से कहते हैं कि ‘‘उपवास के साथ, रोते-पीटते,अपने पूरे मन से पिफरकर मेरे पास आओ।’’ यद्यपि परमेश्वर सच्चा न्यायी और ध्र्मी है तौभी वह प्रेमी और दयालु ;पद 13भी है। वह क्षमा करने के लिए तैयार है। 4. आशीषें ;2:18-32ऋ 3:18-20 सच्चा पश्चाताप आशीष लाता है। अतः परमेश्वर ने उन्हें उनके शत्रुओं से बचाया और उन्हें सांसारिक और आत्मिक आशीषें दीं। ओबद्याह: भविष्यद्वक्ता और उसका संदेश: इस भविष्यद्वक्ता के विषय में हमें अध्कि जानकारी नहीं मिलती।माना जाता है कि योशिय्याह राजा के समय उसने भविष्यद्वाणी की थी।उसके नाम का अर्थ है‘‘दास’’ अथवा ‘‘यहोवा का आराध्क’’ उसने एदोम पर परमेश्वर के न्याय के विषय में प्रचार किया। एदोम: एसाव का दूसरा नाम एदोम है। दो भाइयों की संतानें होने के कारण इस्राएली और एदोमियों में अच्छे संबंधें की अपेक्षा की जाती है। पद 3 और 11 से यह ज्ञात होता है कि एदोमी ज्ञानी लोग थे। परन्तु उनके ज्ञान का परिणाम प्रेम नहीं परंतु शत्रुता थी। बाइबल में हम अनेक स्थानों पर देखते हैं कि विभिन्न अवसरों पर एदोमियों ने इस्राएलियों के विरु( बलवा किया। अतः परमेश्वर ने उन्हें दण्ड देने का निश्चय किया और अंततः एदोमी एक तिरस्कृत जाति बन गई। एदोम का पाप और दंड: अन्यजाति जब यरूशलेम की संपत्ति लूट कर ले जा रहे थे, तब एदोमियों को इस्राएलियों की सहायता करनी चाहिए थी। परन्तु वे शत्रुओं के साथ मिलकर इस्राएल के विरु( खड़े हुए। परन्तु इस्राएली एदोमियों के इस विषय को परमेश्वर के सम्मुख लाए। पद 9 से 15 में हम उस,क्रूरता को देखते हैं जो एदोमियों ने उन पर किए।हम एदोमियों पर परमेश्वर के न्याय के विषय में भी पढ़ते हैं। और यह भी कि किस प्रकार एदोम के देश पर शत्रुओं ने कब्जा कर लिया और इस्राएली एदोमियों के हाथ से छुड़ाए गए। एदोमियों को यह समझाया गया कि ‘‘राज्य यहोवा का ही है।’’ ;पद 21। नए नियम में एदोम को इदुमिया कहा गया है। ईस्वी सन् 70 में एदोमियों का इतिहास समाप्त हो गया।
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