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‘‘उसका शरीर पफीरोशा के समान, उसका मुख बिजली के समान, उसकी आँखें जलते हुए दीपक की सी, उसकी बांहें और पाँव चमकाए हुए पीतल के से, और उसके वचनों का शब्द भीड़ के शब्द का सा था।’’ ;दानि. 10:6।फारस देश के राजा कुस्त्रु के राज्य के तीसरे वर्ष ;ई.पू. 536 में दानिय्येल ने यह अंतिम दर्शन देखा। बेबीलोन की बँधुआई से छूटकर इस्राएली वापस अपने देश जा चुके थे और उन्होंने मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य आरंभ कर लिया था। संभवतः अपनी व्यवस्थाविवरण के कारण दानिय्येल उनके पास नहीं गया। यह माना जाता है कि इस समय तक दानिय्येल की उम्र 90 वर्ष हो चुकी थी। उन दिनों में दानिय्येल ने तीन सप्ताह परमेश्वर की उपस्थिति में बिताए। वह तीन सप्ताह तक शोक करता रहा। उस समय के पूरे होने तक दानिय्येलने न तो स्वादिष्ट भोजन किया और न माँस या दाखमधु अपने मुँह में रखा और न ही अपनी देह में कुछ तेल लगाया। पहले महीने के चैबीसवें दिन दानिय्येल और उसके साथी हिजेकेल नामक नदी के तट पर खड़े थे। तब उसने सन का वस्त्रा पहिने हुए एक पुरुष का दर्शन देखा। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में हम प्रभु यीशु मसीह के विषय में बिल्कुल ऐसा ही वर्णन पढ़ते हैं। ;प्रका. 1:13-16।मसीह यीशु की महिमा की तुलना देह-धारण से पहले दानिय्येल10:5-6: ‘‘तब मैंने आँखें उठाकर देखा कि सन का वस्त्र पहिने हुए और ऊपफाज देश के कुन्दन से कमर बाँधें हुए एक पुरुष खड़ा है। उसका शरीर फीरोशा के समान, उसका मुख बिजली के समान, उसकी आँखें जलते हुए दीपक की सी, उसकी बांहें और पाँव चमकाए हुए पीतल के से, और उसके वचनों का शब्द भीड़ों के शब्द का सा था।’’ महिमावन्त प्रभु प्रकाशितवाक्य 1:13-15 ‘‘और उन दीवटों के बीच में मनुष्य के पुत्र के सदृश्य एक पुरुष को देखा, जो पाँवों तक का वस्त्र पहिने, और छाती पर सोने का पटुका बाँधे हुए था। उसके सिर और बाल श्वेत ऊन के वरन पाले के समान उज्ज्वल थे, और उसकी आँखें आग की ज्वाला के समान थीं।उसके पाँव उत्तम पीतल के समान थे जो मानो भट्ठी में तपाया गया हो और उसका शब्द बहुत जल के शब्द के समान था। ’’प्रभु यीशु ने अनेक पुराने नियम के सन्तों के सामने स्वयं को प्रकट किया जैसे अब्राहम, मूसा और दानिय्येल। दानिय्येल ने प्रभु को उनके देहधरण से पहले देखा जबकि यूहन्ना ने प्रभु को उनके क्रूस की मृत्यु और पुनरुत्थान के पश्चात महिमान्वित रूप में देखा। प्रभु के दर्शन का प्रभाव दानिय्येलऔर यूहन्ना पर एक जैसा था। दानिय्येल कहता है,‘‘तब मैं अकेला रहकर यह अद्भुत दर्शन देखता रहा, इससे मेरा बल जाता रहा, मैं भयातुर हो गया, और मुझ में कुछ भी बल न रहा।’’;दानि. 10:8। यूहन्ना कहता है ‘‘जब मैं ने उसे देखा तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा।’’ ;प्रका. 1:17।दानिय्येल के मित्रों ने प्रभु को नहीं देखा। ‘‘उसको केवल मुझ दानिय्येल ही ने देखा, और मेरे संगी मनुष्यों को उसका कुछ भी दर्शन न हुआ, परन्तु वे बहुत ही थरथराने लगे, और छिपने के लिए भाग गए।तब मैं अकेला रहकर यह अद्भुत दर्शन देखता रहा, इससे मेरा बल जाता रहा, मैं भयातुर हो गया और मुझ में कुछ भी बल न रहा। तौभी मैंने उस पुरुष के वचनों का शब्द सुना। तब मैं मुँह के बल गिर गया और गहरी नींद में भूमि पर औंधे मुँह पड़ा रहा।’’ ;दानि. 10:7-9।प्रभु ने दोनों से कहा ‘‘मत डर’’। ;दानि. 10:12( प्रका. 1:17द्ध। वे दोनों ही प्रभु को बहुत प्रिय थे। ;दानि. 10:11( यूहन्ना 21:7।दानिय्येल की प्रार्थना का उत्तर: ;दानि. 10:10-14 यह माना जाता है कि यह स्वर्गदूत जिब्राएल था। उसने दानिय्येल को तीन बार छुआ ;पद 10, 16, 18द्ध। उसने दानिय्येल से कहा, ‘‘हे दानिय्येल मत डर, क्योंकि पहले ही दिन को जब तू ने समझने-बूझने के लिए मन लगाया और अपने परमेश्वर के सामने अपने को दीन किया, उसी दिन तेरे वचन सुने गए, और मैं तेरे वचनों के कारण आ गया हूँ। पफारस के राज्य का प्रधन इक्कीस दिन तक मेरा सामना किए रहा, परन्तु मीकाएल जो मुख्य प्रधनों में से है, वह मेरी सहायता के लिए आया, इसलिए मैं पफारस के राजाओं के पास रहा।दानिय्येल इस स्वर्गीय दर्शन के कारण बहुत कमशोर हो गया था। तब मनुष्य के समान किसी ने दानिय्येल को छूकर उसका हियाब बँधवाया और उससे कहा, ‘‘हे अति प्रिय पुरुष, मत डर, तुझे शांति मिले, तू दृढ़ हो और तेरा हियाब बंध रहे। अब मैं फारस के प्रधन से लड़ने को लौटूँगा और जब मैं निकलूँगा, तब यूनान का प्रधन आएगा।’’ ये ‘‘प्रधान’’ शैतान के प्रतिनिधियाँ हैं जो आत्मिक शक्तियों का विरोध् करने के लिए ठहराए गए हैं। जिब्राएल दानिय्येल को यह बताने आया था कि सच्ची बातों से भरी हुई पुस्तक में क्या लिखा है। जिब्राएल दानिय्येल को बताने आया था कि इस्राएल के लिए परमेश्वर की क्या योजना है। इसे दानिय्येल 11:2-35 में पढ़ते हैं।
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