Class 8, Lesson 20: दानिय्येल 8

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राजा दारा ने अपने प्रशासन में कुछ परिवर्तन किए। उसने अपने राज्य में एक सौ बीस अध्पिति ठहराए जो पूरे राज्य पर अध्किार रखें। इन एक सौ बीस अध्पितियों के ऊपर उसने तीन अध्यक्ष ठहराए जिनमें से एक दानिय्येल था। तब अध्यक्ष और अध्पिति जो दानिय्येल से जलते थे वे उसके विरु( दोष ढूँढ़ने लगे। परन्तु दानिय्येल विश्वासयोग्य था इस कारण किसी को उसमें कोई दोष नहीं मिला। तब वे लोग कहने लगे कि दानिय्येल के परमेश्वर की व्यवस्था को छोड़ किसी भी अन्य विषय में हमें उसके विरु( कुछ भी दोष नहीं मिलेगा। तब उन्होंने दानिय्येल के विरु( एक साजिश की और वे राजा के पास जाकर कहने लगे, ‘‘हे राजा, तू युगयुग जीवित रहे। तेरे राज्य के सब अध्यक्षों, हाकिमों, अध्पितियों ने मिलकर यह सम्मति की है कि राजा ऐसी कड़ी आज्ञा निकाले, कि तीस दिन तक जो कोई तुझे छोड़ किसी अन्य देवता की आराध्ना करे वह सिंहों की माँद में डाल दिया जाए। इसलिए अब तू इस पत्रा पर हस्ताक्षर कर ताकि यह आज्ञा बदली न जाए।’’ तब राजा ने उस आज्ञा पत्रा पर अपना हस्ताक्षर कर दिया।दानिय्येल परमेश्वर से प्रार्थना करता है:जब दानिय्येल को यह बात पता चली तब वह अपने घर गया। उसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियाँ यरूशलेम की ओर खुली रहती थीं। वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के सामने घुटने टेककर प्रार्थना और धन्य करता था। उस दिन भी उसने वैसा ही किया। तब उन पुरुषों ने उतावली से आकर दानिय्येल को अपने परमेश्वर से विनती करते और गिड़गिड़ाते हुए पाया। दानिय्येल सिंहों की माँद में: तब वे राजा के पास गए और उन्होंने राजा से दानिय्येल की शिकायत की कि उसने राज आज्ञा का उल्लंघन किया और अपने परमेश्वर से प्रार्थना की। अतः अब उसे सिंहों की माँद में डाल दिया जाए। यह सुनकर राजा बहुत ही उदास हुआ और दानिय्येल को बचाने के उपाय सोचने लगा। परन्तु उन दानिय्येल के शत्रुओं के दबाव के कारण दानिय्येल को लाया गया। तब राजा ने दानिय्येल से कहा, ‘‘तेरा परमेश्वर जिसकी तू नित्य उपासना करता है, वही तुझे बचाए!’’ तब दानिय्येल माँद में डाला गया और गड़हे के मुँह पर पत्थर रख दिया गया और उस पर राजा की अंगूठी और प्रधनों की अंगूठियों से मुहर लगा दी गई। दानिय्येल का छुटकारा: राजा अपने महल में चला गया परन्तु उस रात को उसने भोजन नहीं किया, और राजा को नींद भी नहीं आई। बहुत सवेरे राजा उठ गया और सिंहों की माँद की ओर जल्दी से पहुँच गया। गड़हे के निकट आकर बड़े दुःख के साथ वह चिल्लाया, ‘‘हे दानिय्येल, हे जीवते परमेश्वर के दास, क्या तेरा परमेश्वर जिसकी तू नित्य उपासना करता है, तुझे सिंहों से बचा सका है?’’ तब दानिय्येल ने राजा से कहा, ‘‘हे राजा, तू युगयुग जीवित रहे। मेरे परमेश्वर ने अपना दूत भेजकर सिंहों के मुँह को ऐसा बंद कर दिया कि उन्होंने मेरी कुछ हानि नहीं की। क्योंकि मैं परमेश्वर के सामने निर्दोष पाया गया, और हे राजा, तेरे सम्मुख भी मैंने कोई गलती नहीं की।’’ तब राजा बहुत ही प्रसन्न हो गया और उसने दानिय्येल को गड़हे में से निकालने की आज्ञा दी। पिफर राजा ने आज्ञा दी कि जिन पुरुषों ने दानिय्येल के विरु( यह साजिश रची थी उन्हें और उनके पूरे परिवार को सिंहों की माँद में डाल दिया जाए। ऐसा ही किया गया और वे गड़हे की पेंदी तक भी न पहुँचे थे कि सिंहों ने उन पर झपटकर उन्हें चबा डाला। दारा राजा की आज्ञा: तब राजा दारा ने सारी पृथ्वी के रहने वाले भिन्न-भिन्न जाति और भाषा वालों के पास यह लिख भेजा कि यह मेरी आज्ञा है कि लोग दानिय्येल के परमेश्वर का भय मानें क्योंकि वही परमेश्वर है जो जीवता और युगानुयुग तक रहने वाला है। इस प्रकार दानिय्येल दारा और कुस्त्रु दोनों के राज्य के दिनों में सुख-चैन से रहा।

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