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अन्य भविष्यद्वक्ता से अलग, यिर्मयाह अपने विषय में कापफी कुछ बताता है। वह एक याजक था ;1:1उद्धार छोटी उम्र में ही परमेश्वर ने उसे अपने सेवाकार्य के लिए अलग किया था। भविष्यद्वाणी के महान कार्य को देखते हुए उसने कहा, ‘‘हाय, प्रभु यहोवा! देख, मैं तो बोलना भी नहीं जानता क्योंकि मैं लड़का ही हूँ।’’ परन्तु यहोवा ने उससे कहा,‘‘मत कह कि मैं लड़का ही हूँ। क्योंकि जिस किसी के पास मैं तुझे भेजूँ वहाँ तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आज्ञा दूँ, वही तू कहेगा।’’उसने आज्ञा मानी। परमेश्वर ने उसे विवाह करने से मना किया। ;16:2।इस दयालु भविष्यद्वक्ता ने बहुत दुःख उठाए। परमेश्वर की ओर से आने वाले न्याय के संदेश से उसका दिल बहुत दुःखी हुआ। लोगों के लिए उसके संदेश को स्वीकार करना कठिन था। उसके परिवार ;12:6, उसके शहर के लोग ;11:8द्ध और यरूशलेम के लोगों ने ;18:8 उसके विरु( कार्य किया। उन्होंने उसे मारा और काठ में जकड़ दिया। ;20:2 उन्होंने उसे मार डालने का भी यत्न किया। ;26:15। अनेकों बार उसे कैदखाने में डाला। ;37:1-11ऋ 38:6-8। जब नबूकद्नेस्सर ने यरूशलेम पर कब्जा किया तब यिर्मयाह रिहा किया गया। लोगों के साथ उसे भी शबरदस्ती मिस्र ले जाया गया ;43:6-7। इतिहास कहता है कि चालीस वर्षों के सेवा कार्य के पश्चात् उसे पत्थरवाह करके मार डाला गया। उसका संदेश: भविष्यद्वक्ता शोर देकर इस बात को कहता है कि इस्राएल परमेश्वर से दण्ड पाएगा क्योंकि उन्होंने अन्य देवताओं की उपासना की। परन्तु वह यह भी कहता है दया और अनंत प्रेम करने वाला परमेश्वर अपने लोगों पर दया करेगा और उन्हें वापस ले आएगा। यिर्मयाह नाम का अर्थ है ‘‘यहोवा के द्वारा ऊँचा उठाया जाना’’। भविष्यद्वक्ता का चुना जाना: परमेश्वर ने उसे छूकर, उसके मुँह में अपने वचन डाले। उसका उत्तरदायित्व था कि भटक गए लोगों को परमेश्वर का संदेश सुनाए!परमेश्वर ने उसे नियुक्त किया, ‘‘उन्हें गिराने और ढ़ा देने के लिए, नष्ट करने और काट डालने के लिए, या उन्हें बनाने और रोपने के लिए।’’;1:10। सुसमाचार सुनाने की तुलना में यह अध्कि कठिन कार्य था। पहले के शब्द न्याय को दर्शाते हैं और अंतिम दो शब्द पश्चाताप करने वालों के लिए आश्वासन को दर्शाते हैं। अंततः परमेश्वर दो दर्शनों के द्वारा अपने सेवक को ढ़ाढ़स बँधते हैं। बादाम के पेड़ की टहनी का दर्शन दिखाकर उसे दिलासा दिया कि वह लगातार परमेश्वर के वचन की पूर्ति होते देखता रहेगा ;1:12द्ध बादाम की टहनी, प्रभु यीशु के जी उठने की सामर्थ का उदाहरण है। ;गिनती 17:8द्ध। दूसरे दर्शन में भविष्यद्वक्ता ने एक उबलता हुआ हण्डा देखा ;1:13द्ध जिसका मुँह उत्तर दिशा की ओर था। परमेश्वर इसकी व्याख्या करके कहते हैं कि पूर्व के राजा यरूशलेम के विरु( आकर उससे यु( करेंगे। परन्तु यिर्मयाह को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि परमेश्वर की उपस्थिति उनके साथ है। परमेश्वर का मंदिर और मूर्तियाँ ;7:10 यहूदियों के लिए परमेश्वर का मंदिर महत्वपूर्ण था परन्तु उनकी जीवन शैली इस बात को नकारती थी। वे स्वर्ग की रानी के लिए रोटी बनाने के लिए उत्सुक थे। परन्तु परमेश्वर ने उन्हें चेतावनी दी थी कि यदि वे अपने बुरे मार्गों से नहीं पिफरे तो उनके साथ भी वही होगा जो शीलोह के साथ हुआ। और ऐसा हुआ कि पलिश्तिी परमेश्वर का संदूक ले गए और एली याजक के पुत्रा मार डाले गए। ;1 शमू. 4 भजन 78:57-60द्ध। इस्राएलियों की दुर्दशा देखकर यिर्मयाह रोता है ;8:7द्ध ‘‘भला होता कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आँखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिए रोता रहता।’’ ;9:1द्ध। हम दावा करते हैं कि हम मूर्तिपूजा नहीं करते। परन्तु याद रखें कि प्रभु यीशु और एक विश्वासी के मध्य में आने वाली हर वस्तु मूर्ति है।1 यूहन्ना 5:21 की आज्ञा पर ध्यान दें, ‘‘हे बालको, अपने आपको मूरतों से बचाए रखो।’’ लुंगी का उदाहरण: यहोवा ने उससे कहा, ‘‘जाकर सनी की एक लुंगी मोल ले और उसे कमर में बाँध् और जल में मत भीगने दे।’’ उसने यहोवा की इस आज्ञा का पालन किया। तब यहोवा ने दूसरी बार उससे कहा, ‘‘जो लूँगी तू ने मोल लेकर अपनी कमर में बाँधी है, उसे पफरात के तट पर ले जा और उसे वहाँ एक चट्टान की दरार में छिपा दे।’’ उसने पिफर परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया। बहुत दिनों के बाद यहोवा ने उससे कहा, ‘‘उठ और पफरात के तट पर छिपाई लुंगी को लेकर आ।’’ तब वह गया और उस लूँगी को लेकर आया। परन्तु अब वह बिगड़ गई थी और किसी काम की न रही थी। तब यहोवा का यह वचन यिर्मयाह के पास पहुँचा, ‘‘इसी प्रकार से मैं यहूदियों का गर्व और यरूशलेम का बड़ा गर्व नष्ट कर दूँगा। वे इस लुंगी के समान हो जाएँगे जो किसी काम की नहीं रही। जिस प्रकार से लुंगी मनुष्य की कमर में कसी जाती है, उसी प्रकार मैं ने इस्राएल और यहूदा के सारे घराने को अपनी कटि में बाँध् लिया था कि वे मेरी प्रजा बनें और मेरे नाम और कीर्ति और शोभा का कारण हों, परन्तु उन्होंने न माना।’’ कैद में उसका जीवन: राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह को कैद में डलवा दिया क्योंकि उसने राजा से कहा कि परमेश्वर यरूशलेम को बेबीलोन के राजा नबूकद्नेस्सर के हाथ में कर देगा। राजा ने सोचा कि वह शत्रुओं से मिला हुआ है।यदि यिर्मयाह राजा के पक्ष में बातें कहता तो राजा सिदकिय्याह उसे रिहा करने के लिए तैयार था, परन्तु यिर्मयाह इस बात के लिए राजी न हुआ। अंततः हाकिमों ने राजा से कहा, ‘‘उस पुरुष को मरवा डाल, क्योंकि वह ऐसे वचन कहता है जिससे यो(शत्रुओं के हाथ-पाँव ढीले पड़ जाते हैं। क्योंकि वह पुरुष इस प्रजा के लोगों की भलाई नहीं वरन् बुराई ही चाहता है।’’ सिदकिय्याह राजा ने उन से कहा, ‘‘सुनो, वह तुम्हारे वश में है।’’ तब उन्होंने यिर्मयाह को एक गड्हे में डाल दिया। उसमें पानी नहीं, केवल दलदल था। और यिर्मयाह कीचड़ में ध्ँस गया। परन्तु परमेश्वर ने उसे वहाँ से निकलवा दिया। एबेदमेलेक नाम का एक कूशी था जो राजभवन का एक खोजा था, उसने राजा से आज्ञा लेकर यिर्मयाह को गड्हे में से निकाल दिया और पिफर वह पहरे के आंगन में रहने लगा। दस्तावेज का जलाया जाना: राजा यहोयाकीम शीतकाल के भवन में एक अंगीठी के सामने बैठा था। बारूक के द्वारा लिखे गए यिर्मयाह के वचन के दस्तावेज में से कुछ राजा को पढ़कर सुनाया गया। राजा ने बहुत क्रोध्ति होकर उस पुस्तक को चाकू से काटा और अंगीठी में जल रही आग में पेंफक दिया, और वह पुस्तक जलकर भस्म हो गई। यहूदियों का राजा होने के कारण उसे परमेश्वर के वचन की सुरक्षा और आदर करना चाहिए था, परन्तु उसने यिर्मयाह की भविष्यद्वाणियों को जला दिया। परन्तु परमेश्वर ने यिर्मयाह की सहायता की और वह भविष्यद्वाणियों को पिफर से लिख सका।
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