Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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दानिय्येल ने राजा को वह स्वप्न बता दिया जो राजा ने देखा था परन्तु भूल गया था। पिफर दानिय्येल ने उस स्वप्न का अर्थ राजा नबूकदनेस्सर को यों बताया कि ‘‘यह सोने का सिर तू ही है। तेरे बाद एक राज्य और उदय होगा जो तुझ से छोटा होगा। पिफर एक और तीसरा, पीतल का सा राज्य होगा जिसमें सारी पृथ्वी आ जाएगी। चैथा राज्य लोहे के तुल्य मजबूत होगा। लोहे से तो सब वस्तुएँ चूर-चूर हो जाती और पिस जाती हैं। अतः चैथे राज्य से सब कुछ चूर-चूर होकर पिस जाएगा। अंत में पाँव जो कुछ मिट्टी और कुछ लोहे का था, उसी प्रकार वह राज्य बँटा हुआ होगा। वह राज्य कुछ तो दृढ़ और कुछ निर्बल होगा। उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन् वह सब राज्यों को चूर-चूर करेगा और उनका अन्त कर डालेगा और वह सदा स्थिर रहेगा। यह वह पत्थर है जो हाथ के बिना खोदे पहाड़ में से उखड़ा और उसने लोहे, पीतल, मिट्टी, चाँदी और सोने को चूर-चूर किया।’’ ;दानि. 2:38इ-45। इतना सुनकर राजा ने मुँह के बल गिरकर दानिय्येल को दण्डवत् किया और राजा ने दानिय्येल से कहा, ‘‘सच तो यह है कि तुम लोगों का परमेश्वर, सब ईश्वरों का ईश्वर, राजाओं का राजा और भेदों का खोलने वाला है।’’ तब राजा ने दानिय्येल और उसके साथियों का पद बड़ा किया।राजा के इस स्वप्न में हम संसार के राष्ट्रों की तस्वीर देख सकते हैं। यह यहूदियों पर शासन करने वाले चार अन्यजाति शक्तियों का प्रतिनिध्त्वि करते हैं। सोने का सिर बेबीलोन के राज्य का प्रतीक है जो स्वयं नबूकदनेस्सर है। चाँदी से बनी छाती और बाजुएँ मादी-पफारसी राज्य का प्रतीक हैं। पेट और जाँघें जो पीतल की थीं वह यूनानी साम्राज्य का प्रतीक हैं। लोहे और मिट्टी से मिले-जुले बने हुए पैर रोमी राज्य का प्रतीक हैं, जो बाद में पूरबी और पश्चिमी राज्य में विभाजित हो गया। हम इस विशाल मूर्ति की कुछ विशेषताएँ देख सकते हैं - 1. आकार और सौंदर्य: इसकी विशालता और भव्यता संसार के राष्ट्रों की सामथ्र्य और महानता का प्रतीक है। उन साम्राज्यों के द्वारा बनाई गई सभ्यता भव्य है। 2. कमशोर निर्माण: ऊपरी हिस्सा भारी था परन्तु निचला भाग कमशोर था, क्योंकि लोहा और मिट्टी आपस में जुड़ नहीं सकते। यह साम्राज्यों की अस्थिरता को दर्शाता है और इस बात का प्रतीक है कि वह किसी भी समय चूर-चूर हो सकता है। 3. सभी वस्तुएँ पृथ्वी के नीचे की थीं: इसके निर्माण में लगी सभी वस्तुएँ पृथ्वी के नीचे से खोद कर निकाली जाने वाली हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि इस पृथ्वी के राष्ट्र भी ‘‘सांसारिक’’ ही हैं। उनमें ‘‘स्वर्गीय’’ जैसी कोई बात पाई नहीं जाती। 4. दस उंगलियाँ: इस मूर्ति के पाँवों में हम दस उंगलियाँ देखते हैं जो इस बात का प्रतीक हैं कि भविष्य में जो रोमी राज्य होगा उसके अधीन दस राष्ट्र होंगे। वर्तमान का यूरोपीय संघ ;म्नतवचमंद न्दपवदद्ध और उसकी मुद्रा ‘‘यूरो’’ इस बात का प्रतीक हो सकता है। एक पत्थर: एक पत्थर जिसे किसी ने खोदा नहीं था, वह प्रभु यीशु मसीह को दर्शाता है। अपने जन्म, जीवन और मृत्यु में वह ‘‘छूआ नहीं गया’’ अर्थात् वह पवित्रा और पाप रहित था। वह स्वर्ग से था। वह स्वयं परमेश्वर था। इसी कारण वह मृतकों में से जी उठा और स्वर्ग पर चढ़ गया। ;रोमियों 1:4। प्रभु यीशु के दोबारा आगमन पर भी यह बात प्रासंगिक है, जब प्रभु संसार की राजनीतिक प्रणाली को पूरी तरह कुचल देंगे और पूरे विश्व पर स्वयं शासन करेंगे। वह पत्थर जिसने पूरी मूर्ति को चूर-चूर कर दिया था और पिफर बड़ा पहाड़ बनकर सारी पृथ्वी में पफैल गया था, स्वयं प्रभु हैं। यह सहस्र वर्ष के प्रभु के शासन काल में होगा। परलोक सिद्धांत में इसे ‘‘पाँचवाँ साम्राज्य’’ कहते हैं। इस अध्याय में पिछली और आने वाली बातों को सटीक बताया गया है। चार साम्राज्य समाप्त हो चुके हैं। हमारे आस-पास हो रही घटनाएँ इस बात का प्रमाण हैं कि किस प्रकार भविष्यद्वाणियाँ पूरी हो रही हैं। बाइबल सर्वज्ञानी परमेश्वर की पुस्तक है। अतः हम देख सकते हैं कि इसमें भविष्य कितना स्पष्ट और सत्य रूप से प्रकट किया गया है। आगे के पाठों में हम इस विषय में और अध्ययन करेंगे।
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