Class 8, Lesson 15: दानिय्येल 3

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इस पाठ का शीर्षक हम ‘‘एक विशाल मूर्ति’’ रख सकते हैं। राजा नबूकदनेस्सर ने एक स्वप्न देखा परन्तु वह उसे भूल गया। परन्तु उसे लगा कि वह एक महत्वपूर्ण स्वप्न था। अतः उसने उस स्वप्न और उसके अर्थ का पता लगाया और हम सीखेंगे कि कैसे।परमेश्वर ने उसे वह स्वप्न क्यों दिखाया? अपने विशाल राज्य और अपनी सामथ्र्य पर उसे घमंड हो गया था।अतः उसे यह बताना आवश्यक था कि उसके शासन की अव्धि थोड़ी है और स्वर्ग का शासन पृथ्वी पर लाया जाएगा। उसको यह बताना भी आवश्यक था कि उस के शासन काल में जो अन्यजातियों का काल आरंभ हुआ था, उसका भी अंत सदा के लिए हो जाएगा।स्वप्न के विषय में राजा का क्या विचार था?उस स्वप्न को देखने के पश्चात् उसका मन बहुत व्याकुल हो गया और पिफर उसको नींद नहीं आई। संसार के राष्ट्र और शासक सामथ्र्य प्राप्त कर सकते हैं परन्तु शांति नहीं। संसार तब तक शांति प्राप्त नहीं कर सकता जब तक कि ‘‘शांति का राजकुमार’’ का राज्य इस संसार में न आए।’’ ;यशायाह 9:6।सांसारिक ज्ञान परमेश्वर के मार्गों को समझने में असमर्थ है:तब राजा ने आज्ञा दी, कि ज्योतिषी, तंत्राी, टोनहे ओर कसदी बुलाए जाएँ कि वे राजा को उसका स्वप्न बताएँ।राजा ने उनसे कहा कि मैंने एक स्वप्न देखा है कि अब मेरा मन व्याकुल है। तब उन लोगों ने राजा से कहा कि राजा अपना स्वप्न बताएँ और हम उसका अर्थ बताएँगे। तब राजा ने उनसे कहा कि यदि तुम मेरा स्वप्न भी बताओ तभी मैं जानूँगा कि उसका अर्थ भी तुम जानते हो। अन्यथा मैं तुम सब को मरवा डालूँगा। उन्होंने राजा से कहा कि पूरी पृथ्वी पर ऐसा कोई मनुष्य नहीं कि वह राजा के मन की बात बता सके। तब राजा ने उन सब को मार डालने की आज्ञा दी।संसार की समस्याओं का समाधन कौन कर सकता है?राजा के सम्मुख जो लोग आए थे उनमें दानिय्येल और उसके साथी नहीं थे, परन्तु मृत्यु दंड की आज्ञा उन पर भी लागू होती थी क्योंकि वे लोग भी बुद्धिमान लोगों में गिने जाते थे।तब दानिय्येल ने अंगरक्षकों के प्रधन अर्योक से जो बेबीलोन के पंडितों को मार डालने निकला था, इस विषय पर बात की। अर्योक ने दानिय्येल को सब बातें विस्तार से बताईं। तब दानिय्येल राजा के पास गया और उसने राजा से कहा कि उसे कुछ समय दिया जाए और वह उस स्वप्न का अर्थ बता देगा। दानिय्येलऔर उसके मित्रों की प्रार्थना: तब दानिय्येलअपने घर गया। और अपने मित्रों को बुलाकर इस विषय में स्वर्ग के परमेश्वर की दया के लिए प्रार्थना की। तब रात में दर्शन में परमेश्वर ने दानिय्येल पर सब कुछ प्रकट कर दिया। तब दानिय्येल ने अर्योक के पास जाकर उसे बता दिया कि वह राजा को उसका स्वप्न और उसका अर्थ बताने के लिए तैयार है। अतः बेबीलोन के पंडितों को नाश न कर। दानिय्येल राजा के सम्मुख: अर्योक दानिय्येल को लेकर राजा के सम्मुख गया। राजा ने दानिय्येल से पूछा कि क्या वह राजा का स्वप्न और उसका भेद बता सकता है। दानिय्येल ने उत्तर दिया कि इस संसार का कोई ज्ञानी पंडित, या ज्योतिषी यह कार्य नहीं कर सकता। परन्तु भेदों का प्रगटकर्ता परमेश्वर जो स्वर्ग में है वही यह बता सकता है। ;2:27-28। तब दानिय्येल ने राजा को उसका वह स्वप्न जिसे वह भूल चुका था और उसका अर्थ भी समझाया। स्वप्न और उसका अर्थ: नबूकदनेस्सर राजा ने स्वप्न में एक बड़ी सी मूर्ति देखी थी। दानिय्येल ने कहा, ‘‘हे राजा, जब तू स्वप्न देख रहा था तब एक बड़ी मूर्ति देख पड़ी, और वह मूर्ति जो तेरे सामने खड़ी थी, वह लंबी-चैड़ी थी,उसकी चमक अनुपम थी, और उसका रूप भयंकर था। उस मूर्ति का सिर तो चोखे सोने का था, उसकी छाती और भुजाएँ चाँदी की, उसका पेट और जाँघें पीतल की, उसकी टाँगें लोहे की और उसके पाँव कुछ तो लोहे के और कुछ मिट्टी के थे। पिफर तूने देखा कि एक पत्थर ने,बिना किसी के खोदे, अपने आप उखड़कर उस मूर्ति के पाँवों पर लगकर जो लोहे और मिट्टी से बने थे, उनको चूर-चूर कर डाला। तब लोहा, मिट्टी, पीतल, चाँदी और सोना भी सब चूर-चूर हो गए, और भूसे के समान हवा से उड़ गए। और वह पत्थर जो मूर्ति पर लगा था,वह बड़ा पहाड़ बनकर सारी पृथ्वी पर पफैल गया।’’ ;दानि 2:31-35। राजा को उसका स्वप्न बताकर दानिय्येल ने उसका अर्थ भी बताया जो हम अगले अध्याय में सीखेंगे।

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