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दानिय्येल का पहला अध्याय बँधुआई के विषय में है। परमेश्वर अपने लोगों का न्याय कर रहे थे। इस न्याय के विषय में हम चार बातें देखते हैं- 1. न्याय का समय: यहोयाकीम के राज्यकाल में ई.पू. 606 में बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम पर चढ़ाई करके उसे जीत लिया। वह बहुत से यहूदियों को बँधुआ बनाकर ले गया जिनमें दानिय्येल और उसके मित्रा भी थे। ई.पू598 और ई.पू. 587 में यह आक्रमण पिफर दोहराया गया। 2. न्याय का कारण: परमेश्वर के वचन के प्रति यहोयाकीम की अवहेलना के कारण उन पर यह न्याय आया। यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा दी गई व्यवस्था की पुस्तक को उसने जला दिया ;यिर्मयाह 36:20-23। 3. न्याय का तरीका: अनेक बार चेतावनी के दिए जाने के पश्चात् ही उन पर यह न्याय आया। परमेश्वर ने अपने लोगों से अनुनय विनय किया कि वे मूर्तिपूजा, अभक्ति और अध्र्म को छोड़कर उसके पास लौट आएँ। बेबीलोन के राजा के द्वारा परमेश्वर ने उन्हें दण्ड दिया। 4. न्याय के परिणाम: यहोयाकीम के साथ ही परमेश्वर के न्याय का आरंभ हो गया था।‘‘तब परमेश्वर ने यहूदा के राजा यहोयाकीम को परमेश्वर के भवन के कई पात्रों सहित उस के हाथ में कर दिया।’’ ;दानि. 1:2। उनमें से अनेक मार डाले गए और बचे हुए बँधुआई में बेबीलोन ले जाए गए। निश्चित रूप से अब अन्यजातियों का समय ;एक नया युगद्ध आरंभ हो चुका था। ‘‘वे तलवार का कौर हो जाएँगे, और सब देशों के लोगों में बन्दी होकर पहुँचाए जाएँगे, और जब तक अन्यजातियों का समय पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्य जातियों से रौंदा जाएगा।’’ ;लूका 21:24। यहूदियों ने अपना राष्ट्र खो दिया था। प्रभावशाली राजनैतिक प्रशासन की व्यवस्था के लिए नबूकदनेस्सर ने एक योजना बनाई। वह समझ गया था कि इस कार्य के लिए वह यहूदियों का उपयोग कर सकता है। अतः उसने आज्ञा दी, ‘‘इस्राएली राजपुत्रों और प्रतिष्ठित पुरुषों में से ऐसे कई जवानों को लाओ जो निर्दोष, सुन्दर और सब प्रकार की बुद्धि में प्रवीण, और ज्ञान में निपुण और विद्वान, और राजमंदिर में हाजिर रहने के योग्य हों और उन्हें कसदियों के शास्त्रा और भाषा की शिक्षा दी जाए।’’ ;दानि. 1:3-4। तब यहूदा की सन्तान में से दानिय्येल, हनन्याह, मीशाएल और अजर्याह नामक यहूदी चुने गए। सबसे पहले उनके नाम बदले गए और उन्हें बेबीलोन देश के नाम दिए गए। इब्रानी नाम अर्थ बेबीलोन नाम अर्थ 1. दानिय्येल परमेश्वर मेरा बेलतशस्सर बेल उसके जीवन न्यायी है की सुरक्षा करता है 2. हनन्याह यहोवा शद्रक आकू की आज्ञा अनुग्रहकारी है ;चाँद देवताद्ध 3. मीशाएल परमेश्वर जैसा मेशेक आकू जैसा कौन है।कौन है 4. अजर्याह जिसकी सहायता अबेदनगो नेबो का सेवक यहोवा करता है पिफर राजा ने आज्ञा दी कि राजा के भोजन और पीने के दाखमधु में से उन्हें प्रतिदिन खाने-पीने को दिया जाए। इस प्रकार तीन वर्ष तक उनका पालन-पोषण होता रहे। तब उसके बाद वे राजा के सामने हाजिर किए जाएँ। यह एक सच्चे इस्राएली के लिए स्वीकार योग्य नहीं था।क्योंकि उनके भोज में ऐसी वस्तुएँ थीं जो एक यहूदी के लिए वर्जित थीं। ;लैव्य. 11द्ध। इसके अलावा वह भोज संभवतः पहले देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता था। अतः अब दानिय्येल के सामने एक चुनौती थी। ‘‘परन्तु दानिय्येल ने अपने मन में ठान लिया था कि वह राजा का भोजन खाकर और उसके पीने का दाखमधु पीकर अपवित्रा न होगा। उसके इस निर्णय में उसके साथियों ने भी साथ दिया। ‘‘परमेश्वर ने खोजों के प्रधन के मन में दानिय्येल के प्रति कृपा और दया भर दी। खोजों के प्रधन ने दानिय्येल से कहा, ‘मैं अपने स्वामी राजा से डरता हूँ, क्योंकि तुम्हारा खाना-पीना उसी ने ठहराया है, कहीं ऐसा न हो कि वह तेरा मुँह तेरे संग के जवानों से उतरा देखे और तुम मेरा सिर राजा के सामने जोखिम में डालो।’ तब दानिय्येल ने अपने देखभाल करने वाले मुखिए के पास जाकर कहा, ‘मैं तुझ से विनती करता हूँ कि अपने दासों को दस दिन तक जाँच और हमें सागपात और पानी ही दिया जाए। दस दिन के बाद हमारी तुलना उन जवानों से करना जो राजा का भोजन खाएँगे। और जैसा तुझे देख पड़े, उसी के अनुसार अपने दासों से व्यवहार करना।’ उनकी यह विनती मुखिए ने मान ली।’’ ;दानि. 1:9-14। दस दिन के पश्चात् जब उन्हें जाँचा गया तो वह हर प्रकार से अन्य जवानों से बेहतर निकले। ‘‘परमेश्वर ने उन चारों जवानों को सब शास्त्रों और सब प्रकार की विद्याओं में बुद्धिमानी और प्रवीणता दी।’’ ;दानि1:17। हमारे जीवन में भी जो निर्णय हम लेते हैं उसके अनुसार हमारा जीवन निर्धरित होता है।यह सच है कि परमेश्वर के लोगों के पापों के कारण उन पर न्याय आया था, परन्तु इन जवानों के परमेश्वर के प्रति समर्पित जीवन के द्वारा हमें रोशनी की किरण नशर आती है।
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