Class 8, Lesson 12: मलाकी

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मलाकी नाम का अर्थ है - ‘‘मेरा संदेशवाहक’’। मलाकी को नए नियम में अनेक बार उद्धार किया गया है - ;मलाकी 3:1 = मत्ती 11:10, मलाकी 4:5 = मत्ती 17:12 मलाकी 3:1 = मरकुस 1:2 मलाकी 4:5 = मरकुस 9:11-12 मलाकी 4:5, 6 = लूका 1:17 मलाकी 1:2-3 = रोमियों 9:13। इस पुस्तक में इसके लिखे जाने के समय के विषय में कुछ नहीं कहा गया। परन्तु पद 1:8 में हमें एक संकेत मिलता है जहाँ शब्द ‘‘हाकिम’’ ;राज्यपालद्ध आया है। क्योंकि इस शब्द का सामान्य तौर पर पफारसी राज्यपालों के लिए ही उपयोग होता था ;एस्तेर 3:12द्ध अतः यह स्पष्ट होता है कि यह पुस्तक पफारसी शासन के दौरान लिखी गई थी। दारा राजा के शासन काल ;ई.पू. 12 मार्च - 516 ;एज्रा 6:15द्ध के छठे वर्ष के अदार नाम महीने के तीसरे दिन को मंदिर के निर्माण का कार्य पूरा हुआ। ई.पू. 444 में नहेम्याह की अगुआई में यरूशलेम की शहरपनाह का पुनः निर्माण हुआ। ई.पू. 432 में नहेम्याह वापस पफारस चला गया और ई.पू. 425 में वह वापस यरूशलेम आया। ई.पू. 432 से 425 तक मलाकी ने भविष्यद्वाणी की जिस समय नहेम्याह यरूशलेम में नहीं थे। इस्राएली लोगों की नैतिक और आत्मिक दशा बिगड़ गई थी। उन्होंने दशमांश देना बंद कर दिया था इस कारण लेवीयों ने अपना सेवाकार्य छोड़ दिया था ;नहेम्याह 13:4-11।लोग सब्त के विषय में लापरवाह हो गए थे ;नहे. 13:15-18। वे परमेश्वर के प्रेम के प्रति संदेह करने लगे ;मलाकी 1:2। उनकी शिकायत थी कि दुष्टता करने वाले समृ( होते जा रहे थे ;मलाकी 3:14-15। ऐसे हालातों में मलाकी ने भविष्यद्वाणी की। परमेश्वर का संदेश लोगों तक पहुँचने पर उन्होंने प्रश्नों के द्वारा अवरोध् उत्पन्न किया परन्तु भविष्यद्वक्ता ने उनके सटीक उत्तर दिए। पुस्तक की समीक्षा: परमेश्वर की बड़ी घोषणा के साथ मलाकी का संदेश आरंभ होता है- ‘‘मैं ने तुम से प्रेम किया है।’’ ;मलाकी 1:2द्ध। यह प्रत्येक विश्वासी के लिए एक चुनौती होना चाहिए। परमेश्वर का प्रेम ही परमेश्वर की सेवा करने का आधर होना चाहिए। मलाकी 1:2-14 इस्राएल के प्रति परमेश्वर के प्रेम का वर्णन करता है। परन्तु वे लंगडे़ और रोगी पशुओं का बलिदान चढ़ाकर परमेश्वर का निरादर कर रहे थे। मलाकी 2:1-16 में याजकों के लिए संदेश है। उन्हें चेतावनी दी गई कि यदि वे अपने मार्गों को बदलेंगे नहीं तो उन पर भयंकर न्याय आएगा। विवाह-विच्छेद और अन्यजाति स्त्रिायों से विवाह की भी निंदा की गई है। मलाकी 2:17-3:6 तक भविष्यद्वक्ता आने वाले न्याय के विषय में कहता है। ‘‘तुम लोगों ने अपनी बातों से यहोवा को उकता दिया है। तौभी पूछते हो ‘हम ने किस बात में उसे उकता दिया?’’ इसमें कि तुम कहते हो ‘जो कोई बुरा करता है वह यहोवा की दृष्टि में अच्छा लगता है, और वह ऐसे लोगों से प्रसन्न रहता है,’ और यह कि, ‘न्यायी परमेश्वर कहाँ है?’ ;पद 2:17। तब परमेश्वर उत्तर देते हैं ‘‘देखो, मैं अपने दूत को भेजता हूँ और वह मार्ग को मेरे आगे सुधारेगा’’ ;यह दूत यूहन्ना बपतिस्मादाता हैद्ध। ‘‘और प्रभु जिसे तुम ढूँढ़ते हो, वह अचानक अपने मन्दिर में आ जाएगा, हाँ वाचा का वह दूत, जिसे तुम चाहते हो, ;यह प्रभु यीशु मसीह हैद्ध। सुनो वह आता है, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।’’ ;पद 3:1। ‘‘परन्तु उसके आने के दिन को कौन सह सकेगा और जब वह दिखाई दे, तब कौन खड़ा रह सकेगा? क्योंकि वह सोनार की आग और धेबी के साबुन के समान है।’’ ;3:2। ‘‘वह रूपे का ताने वाला और शुरू( करने वाला बनेगा, और लेवियों को शु( करेगा और उन को सोने रूपे के समान निर्मल करेगा, तब वे यहोवा की भेंट धर्म से चढ़ाएँगे।’’ ;पद 3:3। परमेश्वर आगे कहते हैं, ‘‘क्योंकि मैं यहोवा बदलता नहीं, इसी कारण हे याकूब की संतान तुम नष्ट नहीं हुए।’’ ;पद 3:6। परमेश्वर उनसे दया की प्रतिज्ञा करते हुए कहते हैं - ‘‘तब यहोवा का भय माननेवालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान ध्रकर उनकी सुनता था, और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके सामने एक पुस्तक लिखी जाती थी। सेनाओं का यहोवा यह कहता है, ‘‘जो दिन मैं ने ठहराया है, उस दिन वे लोग मेरे निज भाग ठहरेंगे,और मैं उन से ऐसी कोमलता करूँगा जैसी कोई अपने सेवा करने वाले पुत्रा से करे। तब तुम पिफरकर ध्र्मी और दुष्ट का भेद, अर्थात् जो परमेश्वर की सेवा करता है, और जो उसकी सेवा नहीं करता, उन दोनों का भेद पहिचान सकोगे।’’ ;पद 3:16-18। मलाकी 4 प्रभु के दिन के आगमन के विषय में कहता है कि उस दिन सब दुराचारी और अभिमानी लोग नाश किए जाएँगे। परन्तु ‘‘तुम्हारे लिए जो मेरे नाम का भय मानते हो, धर्म का सूर्य उदय होगा, और उसकी किरणों के द्वारा तुम चंगे हो जाओगे।’’ ;पद 4:2। एक महिमामय आरंभ के विषय में बताते हुए मलाकी का अंत होता है। इस पुस्तक में हम परमेश्वर के विषय में कुछ बातें सीख सकते हैं- 1. संचारण ;बातचीतद्ध करने वाला परमेश्वर - 1:1 (3:16) 2. प्रेम करने वाला परमेश्वर - 1:1 3. न बदलने वाला परमेश्वर - 3:6 4. क्षतिपूर्ति करने वाला परमेश्वर - 3:17,18 5. भस्म करने वाला परमेश्वर - 4:1

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