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जकर्याह एक भविष्यद्वक्ता था जो बेरेक्याह का पुत्रा और इद्दो का पोता था। जब हम इन तीनों नामों को मिलाकर उसका अर्थ देखते हैं, तब हमें एक अदभुत सत्य प्राप्त होता है - ‘‘यहोवा स्मरण रखता है और अपने समय पर आशीष देता है।’’ ;जकर्याह = यहोवा स्मरण रखता हैऋ बेरेक्याह = यहोवा आशीष देता हैऋ इद्दो = अपने समय परद्ध। बाइबल में कम से कम 28 लोग हैं जिनका नाम जकर्याह था। जब हाग्गै बँधुआई से लौट आए लोगों से मंदिर के निर्माण कार्य को जारी रखने की विनती कर रहा था, तब यरूशलेम में जवान जकर्याह ने भविष्यद्वक्ता के रूप में अपना सेवाकार्य आरंभ किया। ;जकर्याह 2:4।जकर्याह का संदेश प्रोत्साहित करने वाला था, जबकि हाग्गै का संदेश पफटकार लगाने वाला था। हाग्गै का बोझ था लोगों को निर्माण कार्य के बाहरी कार्य के लिए प्रेरित करना, परन्तु जकर्याह का बोझ था कि उन लोगों में आत्मिक रूप से परिवर्तन हो। आगे जकर्याह इस्राएल के भविष्य के विषय में, अन्यजातियों के विषय में और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के आगमन के विषय में भी भविष्यद्वाणी करते हैं। ;जकर्याह 3:8) 9:9 14:4। पहला संदेश ;अध्याय 1:1-6 उसका पहला संदेश लोगों से परमेश्वर की ओर लौटने का आह्वान था, ताकि परमेश्वर भी उनकी ओर पिफरे। जिस प्रकार उनके पूर्वज परमेश्वर से दूर चले गए, उसी प्रकार वे लोग भी परमेश्वर से दूर चले गए थे। यद्यपि वे बँधुआई से लौट आए थे, परन्तु वे पूरे हृदय से परमेश्वर की ओर नहीं लौटे थे। विरोध् होने पर उन्होंने मंदिर के निर्माण का कार्य स्थगित कर दिया था। अतः भविष्यद्वक्ता उस कार्य को पिफर से आरंभ करने के लिए उन से विनती कर रहा है। दूसरा संदेश ;अध्याय 1:7- अ. 6 इस संदेश में परमेश्वर ने आठ दर्शनों के द्वारा यह प्रकट किया कि परमेश्वर उन लोगों की परवाह करते हैं। उनके कष्टों में परमेश्वर उन के साथ रहेंगे और उन्हें छुड़ाएँगे। पहले दर्शन में प्रजा मेंहदी के पौधें के समान है और परमेश्वर एक लाल घोड़े पर सवार होकर उनकी सुरक्षा करने के लिए आए हैं। अध्याय 2:1 में वह घोषणा करते हैं कि वह इस्राएल को शक्तिशाली शत्रुओं से छुड़ाएँगे और यरूशलेम की सीमाओं को बढ़ाएँगे। परमेश्वर स्वयं उसके चारों ओर आग की शहरपनाह ठहरेंगे।चौथे दर्शन में महायाजक मैले वस्त्रा पहने हुए खड़ा था। यह लोगों के नैतिक पतन को चित्रित करता है। शैतान इस्राएल पर दोष लगाता है कि वह याजक के कार्य के लिए अयोग्य है। परमेश्वर शैतान को उत्तर देते हैं कि इस्राएल आग से निकाली हुई लुकटी के समान है। अर्थात् परमेश्वर ने उन्हें बँधुआई से छुड़ा लिया है। ;पद 1-3। परमेश्वर ने महायाजक को शु( पगड़ी और वस्त्रा पहिनाए। पाँचवाँ दर्शन सोने की दीवट का था। दीवट के दोनों तरपफ जैतून के दो वृक्ष थे। यह प्रकट करता है कि इस्राएल राष्ट्रों के मध्य में यह सब हुआ ‘‘न तो बल से, न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा।’’ ;4:6।छठवाँ दर्शन एक लिखा हुआ पत्रा है जो उड़ रहा है। ;5:1 उस पत्रा की लम्बाई बीस हाथ की और चैड़ाई दस हाथ की थी। यही नाम तम्बू का है परमेश्वर की लिखी हुई व्यवस्था का उल्लंघन करने वाले पर परमेश्वर के न्याय का यह प्रतीक है। सातवें दर्शन में एक स्त्राी है जो इस्राएल का प्रतीक है। वह एपा के बीच में बैठी है। उसे बाबुल को ले जाया जा रहा है जो मूर्तिपूजा और अन्य पाप का स्थान है। अतः इस दर्शन के द्वारा भी न्याय के बारे में बताया जा रहा है। आठवाँ दर्शन चार रथों का है। ये भी राष्ट्रों पर परमेश्वर के दण्ड का प्रतीक हैं। यहोशू का राज्याभिषेक ;अध्याय 6:11-15 महायाजक यहोशू का राज्याभिषेक करने के लिए परमेश्वर जकर्याह को निर्देश देते हैं। यह कार्य इस बात का द्योतक है कि दाऊद के सिंहासन पर विराजमान होने के लिए मसीह यीशु आएँगे जो याजक भी हैं और राजा भी। मसीह के दो विभिन्न आगमन के संदर्भ दिए गए हैं। ;अध्याय 9:9 और 10। ‘‘हे सिय्योन, बहुत ही मगन हो! हे यरूशलेम जयजयकार कर! क्योंकि तेरा राजा तेरे पास आएगाऋ वह धर्मी और उद्धार पाया हुआ है, वह दीन है, और गदहे पर वरन् गदही के बच्चे पर चढ़ा हुआ आएगा।’’ ;पद 9:9। उसके दूसरे आगमन के समय उसका राज्य पृथ्वी के दूर-दूर के देशों तक होगा। ;पद 10। इस्राएल के शत्रु नष्ट किए जाएँगे ;पद 11-15। वे लोग ध्न्य लोग होंगे ;पद 9:16-10:1। परमेश्वर स्वयं उनका चरवाहा होगा ;पद 2-7। अध्याय 11 में हम दो प्रकार के चरवाहों को देखते हैं-‘अच्छा चरवाहा’ पद 7 और ‘दुष्ट चरवाहा’ ;दृीस्त विरोधी ;पद 14-17। अध्याय 12-14 में हम यरूशलेम के भविष्य का विवरण पढ़ते हैं। परमेश्वर अपने लोगों के लिए लड़ेगा और उनके लिए शांति स्थापित करेगा ;12:1-9। उसके पश्चात् परमेश्वर अपना आत्मा उन पर उण्डेलेगा। ‘‘मैं दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों पर अपना अनुग्रह करने वाली और प्रार्थना सिखाने वाली आत्मा उण्डेलूँगा, तब वे मुझे ताकेंगे, अर्थात् जिसे उन्होंने बेध है, और उस के लिए ऐसे रोएँगे जैसे एकलौते पुत्रा के लिए रोते-पीटते हैं, और ऐसा भारी शोक करेंगे, जैसा पहिलौठे के लिए करते हैं।’’ ;12:10। ‘‘उस समय दाऊद के घराने और यरूशलेम के निवासियों के लिए पाप और मलिनता धेने के निमित्त एक बहता हुआ सोता पफूटेगा। ;13:1। अध्याय 13 के पद 7-9 में हमारे प्रभु यीशु के मार डाले जाने और उनके शिष्यों के तितर-बितर हो जाने के विषय में कहा गया है। पद 8-9 में हम उन्हें देखते हैं जो इन क्लेशों में से होकर बच गए।‘‘उस तिहाई को मैं आग में डालकर ऐसा निर्मल करूँगा, जैसा रूपा निर्मल किया जाता है, और ऐसा जाँचूँगा जैसा सोना जाँचा जाता है। वे मुझ से प्रार्थना किया करेंगे और मैं उनकी सुनूँगा। मैं उन के विषय में कहूँगा, ‘‘ये मेरी प्रजा हैं’’, और वे मेरे विषय में कहेंगे, ‘यहोवा हमारा परमेश्वर है’।’’ ;पद 13:9। अध्याय 14 का पद 9 कहता है- ‘‘तब यहोवा सारी पृथ्वी का राजा होगा और उस दिन एक ही यहोवा और उसका नाम भी एक ही माना जाएगा।’’ यरूशलेम पर पिफर श्राप न होगा और परमेश्वर के लोग सुरक्षित रहेंगे ;पद 11। यहूदी लोगों के साथ मिलकर सारे राष्ट्र यरूशलेम में मसीहा की आराध्ना करेंगे। संसार एक महिमामय युग में प्रवेश करेगा।
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