Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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दाऊद और अबशालोम उचित दुख के साथ दाऊद ने शाऊल तथा अपने प्रिय मित्र योनातान की मृत्यु का शोक मनाया। फिर धीरज और संवेदनशील आत्मा के साथ वह मार्गदर्शन के लिये परमेश्वर के पास गया। परमेश्वर ने उसे हेब्रोन जाने को कहा जहाँ यहूदा के लोगों ने उसे अपना राजा अभिषिक्त किया। इसी बीच शाऊल के पुत्रों में से एक ईशबोशेत उत्तरी जातियों का राजा बन गया जो सामूहिक रूप से इस्राएल कहलाया गया। दाऊद ने यहूदा पर साढ़े सात वर्ष तक राज्य किया। यद्यपि ईशबोशेत इस्राएल का राजा था तौभी सेना के प्रधान अब्बेर ने सारा अधिकार अपने पास रखा था। यह वही था जिसने ईशबोशेत को राजा बनाया था इसलिये जब योआब (दाऊद की सेना का प्रधान) ने अब्बेर की हत्या कर दिया तो ईशबोशेत निरूत्साहित हो गया। जल्द ही दाऊद की सेना ने इस्राएल के कमजोर घराने पर विजय पा ली। ईशबोशेत उसी के दो कप्तानों के द्वारा मारा गया। उसके तुरंत बाद ही इस्राएल के गोत्र (बुजुर्ग) हेब्रोन में आए और उसे अपना राजा अभिषिक्त किया। राजा बनने के बाद दाऊद को कई गंभीर दुविधाओं का सामना करना पड़ा: उसे अपनी राजधानी कहाँ स्थापित करना चाहिये? उसने देश के मध्य स्थित छोटे यबूसी गढ़ों, यबूसी नगर पर हमला किया। यह एक सिद्ध स्थान था और दाऊद ने उस स्थान का नाम बदलकर यरूशलेम रख दिया। अर्थात शांति का नगर। और दाऊद महान और महान बनता गया, क्योंकि सेनाओं का यहोवा उसके संग था। यद्यपि दाऊद की उपलब्धियाँ प्रभावशाली थीं, कुछ असफलताओं और निराशाओं के भी अवसर आए। वह राज्य के कार्यों में इतना व्यस्त हो गया कि उसके परिवार से उसका नियंत्रण खत्म हो गया। वह खुद भी भावनाओं के अतिगामी गतिविधियों में शामिल हो गया। जब उसकी सेना अम्मोनियों से लड़ रही थी, वह घर पर ही रूक गया और महल में आराम करने लगा। इस बार फुरसत का समय अभिलाषा के लिये मौका मिल गया और दाऊद ने छत पर से बतशेबा की जासूसी करने लगा। दाऊद की कई पत्नियाँ थीं और रखेलियाँ भी थीं परंतु उसके पास बतशेबा नहीं थी। शरीर हमेशा वही चाहता है जो वह चाहता है। इसलिये दाऊद ने बतशेबा को पा लिया और उसी भावुक समय से दाऊद ने बतशेबा और दुखों की शुरूवात हो गई। इतना ही नहीं दाऊद आत्मनिर्भरता और घमंड का भी शिकार बन गया। लेकिन जो बातें दाऊद ने किया वे परमेश्वर की दृष्टि में बुरे थे। परंतु वह दाऊद को पुनः बहाल करना चाहता था। इसलिये उसने दाऊद के हृदय को छूने के लिये नाथान को एक दृष्टांत देकर भेजा।कहानी काम कर गई और दाऊद क्रोध से भड़क उठा।जब उसका क्रोध दृष्टांत के व्यक्ति के विरुद्ध भड़का तो नाथान के कहानी के पीछे के सत्य को उजागर किया: "तू ही वह मनुष्य है!" दाऊद ने अपने पाप को परमेश्वर द्वारा उजागर किए जाने के विषय नाथान की ओर से शांति से सुना। नाथान के द्वारा प्रभु ने आगे कहा, "इसलिये तलवार तेरे घर से कमी दूर न होगी, क्योंकि तूने मुझे तुच्छ जानकर हिती उरियाह की पत्नी को अपनी पत्नी कर लिया है।" भरपाई का नियम दाऊद पर लागू हुआ। हिंसा की तलवार जिसका उपयोग उसने उरियाह के विरुद्ध किया था अब उसी के परिवार को भेदनेवाली थी। तब दाऊद ने नाथान से कहा, "मैंने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है।" जब अंतत दाऊद ने उसे स्वीकार लिया, जबकि उसे मृत्युदंड दिया जाना चाहिये था, परमेश्वर ने उस पर दया दिखाया: नाथान ने दाऊद से कहा, "यहोवा ने तेरे पाप को दूर किया है, तू न मरेगा" इस बातचीत के बाद ही शायद दाऊद ने सबसे अधिक भावनात्मक भजन लिखा - भजन 51 जिसमें वास्तविक पश्चाताप की नीति दिख पड़ती है। दाऊद के पश्चाताप ने उसे सचमुच परमेश्वर से पुनः मिला दिया। लेकिन उसकी शारीरिक अभिलाषा की एक रात के बाद और फिर हत्या की साजिश ने उसके जीवन में दुख और परिणाम लाया। गलातियों की पत्री में, पौलुस कहता है, "धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा, क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा।" (गलातियों 6:7,8)। यदि हम पाप बोएंगे, और चाहे हम उसका अंगीकार कर लें और परमेश्वर से मेल-मिलाप कर लें, तौभी हमें परिणाम झेलना होगा। लेकिन परमेश्वर तब भी हमारे साथ होता है जब हम परिणामों को भोगते हैं। वास्तव में वह अक्सर इनका उपयोग पुन बहाली करने और हमारे जीवनों को पुन निर्देशित करने के लिये करता है। हम पाप के आठ परिणामों को देखते हैं जिन्होंने दाऊद को दुख और हृदय की वेदना के मार्ग पर चलाया। 1) दाऊद और बतशेवा के नवजात शिशु की मृत्यु नाथान ने दाऊद से कहा था, "तौभी तूने जो इस काम के द्वारा यहोवा के शत्रुओं को तिरस्कार करने का बड़ा अवसर दिया है, इस कारण तेरा जो बेटा उत्पन्न हुआ है वह अवश्य ही मरेगा।" और ऐसा ही हुआ। 2)अम्नोन द्वारा तामार को भ्रष्ट किया जाना दाऊद के बेटे अबशालोम की एक सुंदर बहन थी जिसका नाम तामार था। दाऊद के एक अन्य पुत्र अम्नोन ने उसके एक दुष्ट मित्र की सलाह पर तामार को भ्रष्ट किया और फिर उससे बहुत घृणा भी किया। 3) अबशालोम का का अम्नोन से घृणा करना जब तामार के भाई अबशालोम को पता चला कि क्या हुआ था, तो उसने अम्नोन से न भला कहा न बुरा क्योंकि उसकी बहन को भ्रष्ट करने के कारण वह उससे घृणा करने लगा था। 4) अबशालोम द्वारा अम्नोन की हत्या अबशालोम दो वर्षों तक रूका रहा। फिर उसने अम्नोन की हत्या का षड़यंत्र रचा। उसने सभी राजकुमारों को भोजन पर आमंत्रित किया जिनमें अम्नोन भी था।जब अम्नोन दाखमधु के नशे में था, अबशालोम ने अपने दासों से कहा कि वे उसे ऐसा मारें कि वह मर जाए। दासों ने वैसा ही किया जैसा अबशालोम ने कहा था। 5) अबशालोम द्वारा विद्रोह और भागना जब दाऊद ने अम्नोन की मृत्यु के विषय सुना तो अबशालोम अपने नाना के घर भाग गया जिसका नाम तल्मै था जो गशूर का राजा था। वहाँ वह तीन वर्षों तक शरणार्थी बनकर रहा और इस पूरे समय दाऊद के साथ उसका कोई संबंध नहीं था। इस दौरान दाऊद ने तीन पुत्रों को खो दिया था। 6) अबशालोम द्वारा षड़यंत्र रचा जाना योआब ने तकोआ से एक स्त्री को राजा के पास भेजा कि वह अबशालोम को माफ करने के लिये राजा को राजी करे और राजा उसे यरूशलेम ले आए। लेकिन दाऊद ने आदेश दिया, "वह अपने घर जाकर रहे, और मेरा दर्शन न पाए।" इसलिये अबशालोम अपने घर गया और राजा का मुँह न देखा।" अब इस्राएल में अबशालोम के समान कोई और सुंदर नहीं था। सिर से पाँव तक वह एक पुरुष का अच्छा नमूना था। वह वर्ष में एक बार ही बाल काटता था वह भी तब जब उसे वे बहुत भारी महसूस होते थे। जब उसने उन्हें वजन किया तो वे 5 पाउंड निकले। दो वर्ष तक दूर किए जाने के कारण अबशालोम अपने पिता से घृणा करने लगा और निश्चय किया कि वह अपने पिता से राज्य छीन लेगा। उसने रथ और घोड़े, और 50 पुरुषों को तैयार किया कि वे उसके सामने छोड़े। वह जल्दी उठा और नगर के फाटक के पास जो व्यस्त स्थान था, जा खड़ा हुआ। जब लोग शिकायत लेकर आते तो वह बड़ी सहानुभूति का दिखावा करके उनकी सुनता था। आनेवाले 4 वर्षों में अबशालोम ने इस्त्राएल के लोगों का दिल जीत लिया। 4 वर्षों के बाद अबशालोम ने बलिदान चढ़ाकर मन्नत पूरी करने के लिये दाऊद ने उसे अनुमति मांगा। दाऊद ने उसे अनुमति दे दिया। लेकिन जब वह वहाँ था तो उसने वहाँ से सारे इस्राएल में गुप्त दूतों को भेजा कि वे राजा के विरुद्ध विद्रोह फैलाएँ। उसने यरूशलेम से 200 लोगों को बतौर मेहमान साथ लिया, परंतु वे उसके इरादों को नहीं जानते थे। दाऊद का मंत्री अहोतोपेल इस संपूर्ण योजना में भागी था, और जल्द ही अबशालोम के समर्थकों की बड़ी संख्या उसके साथ हो ली थी। जब एक संदेशवाहक ने इस बात की सूचना दाऊद को दिया तो वह महल छोड़कर भाग गया। यह वही समय था जब उसने भजन 3 को लिखा था। 7) अबशालोम दाऊद की पत्नियों को भ्रष्ट करता है परमेश्वर ने नाथान के द्वारा दाऊद को चेतावनी दिया था कि जैसे उसने दूसरे पुरुष की स्त्री को अपने लिये ले लिया था, उसी का कोई घनिष्ट व्यक्ति भी उसकी पत्नियों को उससे ले लेगा। अहीतोपेल की संम्मत्ति पाकर अबशालोम ने उसके पिता की रखेलियों के पास इस्राएल के देखते देखते ही गया। 8) योआब द्वारा अबशालोम की हत्या भोर को ही दाऊद अपने विश्वासयोग्य लोगों के साथ जैतून के पहाड़ पर चढ़ गया और परमेश्वर से प्रार्थना किया कि अहीतोपेल द्वारा अबशालोम को दी जानेवाली सम्मति को वह मूर्खता बना दे। मार्ग में उसे हुशै मिला और दाऊद ने उसे यरूशलेम लौटने और अबशालोम का वफादार होने का नाटक करने को कहा। यरीहो के मार्ग पर बहुरीम में शाऊल का एक वंशज वहाँ से निकला जिसका नाम शिमी था। वह दाऊद को शाऊल के घराने का खुनी होने का दोषी बताया। अबीशै शिमी को उसी स्थान में घात करना चाहता था, परंतु राजा ने इसकी अनुमति नहीं दिया। उसने कहा कि परमेश्वर ने ही उसे श्राप देने को कहा होगा। यरूशलेम पहुँचकर हूशै ने अबशालोम के प्रति वफादारी का नाटक किया। उन दिनों में अहीतोपेल की सलाह का उच्च सम्मान किया जाता था और अबशालोम उसकी सलाह को प्रश्न किये बिना मान लेता था। फिर अहीतोपेल ने अबशालोम को सलाह दिया कि वह 12000 लोगों को लेकर दाऊद पर चढ़ाई कर दे। परंतु अबशालोम ने हुशै की सलाह के पश्चात् अबशालोम ने सोचा कि हुशै की सलाह बेहतर थी, इसलिये उसने अहोतोपेल की सलाह को ठुकरा दिया, जैसा कि दाऊद ने प्रार्थना किया था। अहीतोपेल व्याकुल हो गया क्योंकि उसकी सलाह को ठुकरा दिया गया था। वह अपने घर लौटा, घर के विषय आवश्यक आज्ञाएँ दिया और फाँसी लगा लिया। हूशै की सलाह के मुताबिक अबशालोम यरदन पार करके युद्ध करने गया। हूशै मे दाऊद को सारी योजना के विषय पहले ही बता दिया था। दाऊद ने अपनी सेना को तीन टुकड़ियों में बांट दिया, योआब, अबीशै और इत्ती के साथ जो तीन सेना नायक थे। दाऊद ने उन्हें आज्ञा दिया कि वे उसके पुत्र अबशालोम के साथ कोमलता का व्यवहार करें। लड़ाई एप्रैम के वन मे लड़ी गई। दाऊद की सेना विजयी हुई। जब अबशालोम एक खच्चर पर सवार होकर जंगल से भाग रहा था, उसका सिर बांज के वृक्ष की निचली डालियों में फंस गया। खच्चर उसे लटकते हुए छोड़कर भाग निकला और अबशालोम उसके लंबे बालों के कारण वहीं लटका रहा। उसके शरीर का वही भाग जिसका वह घमंड करता था वही उसके पतन का कारण बना। योआब ने अपने हाथ में तीन तीर लिया और उन्हें अबशालोम के हृदय पर मारा, जिस समय वह जीवित ही था। जब दाऊद ने उसके पुत्र की मृत्यु का समाचार सुना तो वह बहुत घबरा गया और फाटक के उपर की अटारी पर जाकर रोने लगा, "हाथ मेरे बेटे अबशालोम, मेरे बेटे हाय! मेरे बेटे अबशालोम! भला होता कि मैं आप तेरे बदले मरता, हाय! अबशालोम! मेरे बेटे! मेरे बेटे!!" अनुग्रह पाप के बोझ को खत्म करता है, जरूरी नहीं कि वह पाप के परिणामों को भी खत्म करें।
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