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पौलुस की पहली मिश्नरी यात्रा बरनवास और पौलुस का भेज जाना कलीसिया के प्राचीनों को राहत सौंप कर पौलुस और बरनवास अंताकिया लौट गए। उन्होंने यूहन्ना मरकुस बरनवास का चचेरा भाई (शायद भतीजा) को अपने साथ ले लिया। अंताकिया की कलीसिया में सुप्रसिद्ध अगुवे थे जो भविष्यद्वक्ता और शिक्षक थे। लूका उनके नाम की सूची देता है। वे बरनबास, शिमोन जो निगार कहलाता था, लूसियस जो कुरैनी का था, मनाहेम जो हेरोद, का भाई था (जो हेरोद के साथ पला बढ़ा) और शाऊल है। जब वे परमेश्वर की आराधना और उपवास में लगे हुए थे, तब पवित्र आत्मा ने उनसे कहा, "मेरे लिए बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिये मैंने उन्हें बुलाया है।" जब पवित्र आत्मा ने उसकी इच्छा को प्रगट कर दिया तब वे लोग उपवास और प्रार्थना जारी रखे। फिर उन्होंने बरनबास और पौलुस पर हाथ रखा और उन्हें भेज दिया। साइप्रस सुसमाचार क) सलमीस: बरनबास और पौलुस चल पड़े। अंताकिया से वे सिलूकिया गए जो 20 कि मी दूर एक बंदरगाह का नगर है। वहाँ से वे जहाज से साइप्रस पहुँचे जो बरनबास का रहवासी नगर था। पुराने नियम में इस टापू को कित्तिम शिट्टिम (गिनती 24:24) कहते हैं। सलमीस में उतरने के बाद उन्होंने शहर के आराधनालयों में मसीह के सुसमाचार को सुनाया। उनके साथ सहायक के रूप में यूहन्ना मरकुस भी था। ख) पाफूस: सलमीस से यात्रा करके वे पाफूस पहुँचे जो साइप्रस की राजधानी थी। साइप्रस एक रोमी प्रांत था। जिसमें गर्वनर की हुकूमत चलती थी। उन दिनों में सिरगियुस पौलुस गर्वनर था जो अंति कुशाग्र बुद्धिवाला व्यक्ति था। नए अतिथियों के विषय सुनकर उसने उनसे सुनने की इच्छा व्यक्त किया। उस समय हाकिम के दरबार में इलीमास नामक एक टोन्हेवाला था। हाकिम ने परमेश्वर का वचन सुनने के लिये बरनबास और शाऊल को बुलाया। इलीमास टोन्हें ने उनका विरोध किया और हाकिम को विश्वास से हटाने का प्रयास किया। परंतु पौलुस ने पवित्र आत्मा से भरकर इलीमास को टकटकी लगाकर देखा और कहा, "हे सारे कपट और सब चतुराई से भरे हुए शैतान की संतान सकल धर्म के बैरी, क्या तू प्रभु के सीधे मार्गों को टेढ़ा करना न छोड़ेगा? अब देख प्रभु का हाथ तुझ पर लगा है; और तू कुछ समय तक अंधा रहेगा और सूर्य को न देखेगा।" तब तुरंत धुंधलापन और अंधेरा छा गया और वह इधर उधर टटोलने लगा ताकि कोई उसका हाथ पकड़ के ले चले। यह वही स्थान हैं जहाँ लूका 'पौलुस' नाम कहता है (प्रेरितों के काम 13:13) जो उसे रोमी नागरिक होने के पंजियन के समय दिया गया। क्योंकि पौलुस एक रोमी नागरिक था, पौलुस भी वहीं का नागरिक बन सकता था। नागरिक के पुत्र को 30 दिनों के भीतर नागरिक के रूप में पंजीकृत करवाना था। यहाँ से आगे पौलुस अगुवे की भूमिका अदा करने लगा। एशिया माइनर में से सुसमाचार पिरगा में पौलुस और बरनवास: पौलुस और बरनबास जहाज से पंफूलिया के पिरगा में आए। लूका यहाँ किए गए किसी भी कार्य के विषय कुछ नहीं कहता। लेकिन वह यह कहता है कि उनकी वापसी यात्रा में उन्होंने पिरगा में सुसमाचार सुनाया। लूका द्वारा बताई गई मुख्य घटना यूहन्ना मरकुस को गलती है। उसने मिश्नरी समूह को छोड़ दिया और यरूशलेम वापस लौट गया। लूका उसके इस गलती का कारण नहीं बताता। लेकिन कुछ पंक्तियों को पढ़कर हम बता सकते हैं कि वह क्यों चला गया। 1) शायद वह अगुवाई में परिवर्तन के विषय भ्रमित था। 2) पलिश्ती यहूदी होने के कारण मरकुस पौलुस के अन्यजातियों को सुसमाचार सुनाने की बात की सहमति नहीं दे सका। 3) शायद वह उन झंझटों से भयभीत था जिनका उन्हें सामना करना था। 4) पिरगा में पौलुस के बीमार पड़ने के (गलातियों 4:13) संभवतः मलेरिया से, कुछ प्रमाण है। वह शहर दलदल के कारण स्वास्थ्य के लिये हानिकारक था जिसके कारण वहाँ मलेरिया जोरों पर था। 5) मरकुस को घर से काफी लगाव था। वह विधवा का एकलौता पुत्र रहा होगा। (प्रेरितों के काम 12:12)। कारण चाहे जो भी हो पौलुस ने इसे गंभीर कमी या दोष समझा। लेकिन उसके चले जाने से उनकी यात्रा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। पिसिदिया के अंताकिया में: पौलुस और बरनबास ने पिरगा छोड़ा और वे पिसिदिया में आए जो समुद्र सतह से 3600 फीट उपर है। यह अंताकिया फुगिया में था परंतु पिसिदिया का अंताकिया कहलाता था, क्योंकि यह पिसिदिया से काफी पास था। मिश्नरी सब्त के दिन आराधनालय में जाकर बैठे। मूसा और भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकों के नियमित पठन के बाद आराधनालय के प्रधानों ने उन्हें यह खबर भेजा, "हे भाइयो यदि लोगों के उपदेश के लिये तुम्हारे मन मे कोई बात हो तो कहो।" पौलुस ने खड़े होकर कहा। अपने उपदेश की शुरूवात उसने यहूदियों के इतिहास से किया। फिर उसने सुननेवालों का ध्यान मसीह के जीवन और सेवकाई तक खींचा। उसने यीशु के पुनरूत्थान, उसके गवाहियों और किस तरह इस विषय पहले ही कहा गया था, बताया। उसने कहा, "इसी के द्वारा पापों की क्षमा का समाचार तुम्हें दिया जाता है, और जिन बातों में तुम मूसा की व्यवस्था के द्वारा निर्दोष नहीं ठहर सकते थे उन्ही सब में हर एक विश्वास करनेवाला उसके द्वारा निर्दोष ठहरता है।" आराधनालय के अगुवों को पौलुस का संदेश अच्छा लगा और उन्होंने उनसे और भी सुनने की इच्छा किया। कुछ लोगों ने सुसमाचार पर विश्वास किया। पौलुस और बरनबास ने उन्हें परमेश्वर के अनुग्रह में बढ़ने का आग्रह किया। अगले सब्त के दिन करीब-करीब सारा शहर उन्हें सुनने के लिये इकट्ठा हुए। परंतु यहूदी ईर्ष्या से भर गए थे और उन्होंने पौलुस के विरुद्ध वाद-विवाद किया और निंदनीय कथन किया। इसलिये वे अन्यजातियों की ओर मुड़ गए और उन्हें सुसमाचार सुनाया। परिणामस्वरूप अन्यजातियों ने खुशी से सुसमाचार सुना और उस पर विश्वास किया। यहूदी बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने शहर के अगुवों को उकसाया और उन्हें वहाँ से निकलवा दिया। पौलुस और बरनबास ने अपने पैरों को धूल को झटक दिया। (यीशु के शब्दों के ही अनुसार। मरकुस 6:11) और इकुनियुम को चले गए। इकुनियुम में: पौलुस और बरनबास ने यहूदियों के आराधनालय में प्रचार किया और यहूदी और यूनानियों ने विश्वास किया। लेकिन अविश्वासी यहूदियों ने अन्यजातियों को भड़का दिया और उनके दिमाग को भाइयों के विरुद्ध कर दिया। परंतु वे लोग लंबे समय तक वहीं रूके रहे, प्रभु यीशु मसीह के नाम में निडरता से अनुग्रह के सुसमाचार का प्रचार किया। मिश्नरियों के द्वारा कई चिन्ह और चमत्कार किए गए। शहर की जनसंख्या दो भागों में बँट गई थी। कुछ लोग यहूदियों और कुछ लोग मिश्नरियों की तरफ हो गए। अंततः अविश्वासी अन्यजातियों और यहूदियों ने प्रेरितों पर हमला करने और उन्हें पथराव करने का निश्चय कर लिया। इसलिये वे लुस्त्रा को चले गए। लुस्त्रा में:: लुस्त्रा में उनका सामना एक व्यक्ति से हुआ जो जन्म से ही लंगड़ा था। जब पौलुस प्रचार कर रहा था तो वह सुन रहा था, और पौलुस उसे देख रहा था। यह समझकर कि उसमें चंगे होने का विश्वास है, पौलुस ने उसे उँची आवाज में कहा, "उठकर अपने पैरों पर खड़ा हो जा।" वह तुरंत उछलकर खड़ा हो गया और चलने फिरने लगा। जब भीड़ ने वह सब देखा जो उस लंगडे के साथ हुआ था, तो वे स्थानीय भाषा में चिल्ला पड़े, "देवता मनुष्यों के रूप में होकर हमारे पास उतर आए हैं।" उन्होंने बरनबास को ज्यूस और पौलुस को हिरमेस कहा। जो उसका प्रवक्ता था। ज्यूस के पुरोहितों ने जिनका मंदिर उनके नगर के सामने था उनके लिये बैल और मालाएँ चढ़ाने के लिये लेकर आए। परंतु जब पौलुस और बरनबास ने उनके इरादों को समझ लिया तो उन्होंने अपने वस्त्र फाड़े और यह कहकर लोगों की ओर छोड़े, "हे लोगो, तुम क्या करते हो? हम भी तो तुम्हारे समान दुखःसुख भोगी हैं, इन शब्दों के साथ, बड़ी कठिनाई से उन्होंने लोगों को चढ़ावा चढ़ाने से रोका। कुछ समय के बाद कुछ यहूदी अंताकिया और इकुनियुम से आए। उन्होंने भीड़ पर काबू पाया और पौलुस पर पथराव किया। वह गिरकर बेहोश हो गया। उन्होंने उन्हें यह सोचकर शहर के बाहर फेंक दिया कि वह मर चुका है और उसे वहीं छोड़ दिया। लेकिन जब चेले उसके आसपास खड़े हुए तो वह उठकर उनके साथ शहर में वापस चला गया। दिरबे में: अगले दिन मिश्नरी लोग दिरबे गए। पौलुस ओैर बरनबास ने वहाँ सुसमाचार सुनाया और कई लोगों ने विश्वास किया। दिरबे में मिश्नरियों को कोई सताव नहीं हुआ। वे सीरिया के अंताकिया लौटे: वे फिर से लुस्त्रा, इकुनियुम (पिसिदिया) और अंताकिया लौटे। इस बार उनकी सेवकाई मुख्यतः विश्वासियों को विश्वास में स्थिर करने और अगुवों की नियुक्ति करके उन्हें संगठित करने पर केंद्रित थी। पिसिदिया के अंताकिया से वे पिरगा गए जहाँ उन्होंने सुसमाचार का प्रचार किया। पिरगा से वे सीरिया के अंताकिया को जहाज से गये। आप को याद होगा कि वहीं से मिश्नरियों को परमेश्वर के कार्य के लिये परमेश्वर के अनुग्रह के अधीन समर्पित किया गया था। वे लोग करीब 2 वर्ष के बाद मिल रहे थे। यह निश्चित रूप से आनंद का अवसर था। कलीसिया ने मिश्नरियों के शब्दों को सांस थामकर सुना क्योंकि उन्होंने वही बताया जो परमेश्वर ने उनके द्वारा अन्यजातियों में किया था। बात यह नहीं थी कि उन्होंने परमेश्वर के लिये क्या किया था, परंतु यह कि वह उनके द्वारा क्या करवाना चाहता था। इस प्रकार पहली मिश्नरी यात्रा खत्म हुई जो करीब दो वर्षों तक चली थी। उन्होंने करीब 1100 कि.मी जमीनी यात्रा और 800 कि.मी समुद्री यात्रा किया था। इसके अलावा सुसमाचार ने यहूदियों और अन्यजातियों के बीच की दूरी की दीवार को ढा दिया था (इफिसियों 2:14-16)। सभी संभावनाओं के अनुसार पौलुस ने पहली यात्रा के बाद अंताकिया से गलातियों को पत्र लिखा था। वह अवश्य ही सन् 49 रहा होगा।
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