Class 7, Lesson 2: शाऊल (आगे )

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शाऊल (आगे) शाऊल के द्वारा परमेश्वर का निरंतर तिरस्कार किये जाने के बाद, शमुएल को कहा गया कि वह इस्राएल के सिंहासन पर बैठने के लिये शाऊल के उत्तराधिकारी की खोज करे। उसे बैतलहम जाकर यिशै के एक पुत्र का अभिषेक करना था। परमेश्वर ने लोगों को उनकी पसंद का राजा चुनने की अनुमति दिया था। अब जबकि राजा के चुनाव में उनकी गलती स्पष्टतः प्रगट हो चुकी थी, तब परमेश्वर ने अपनी बुद्धि के सर्वश्रेष्ठता को एक ऐसे राजा के चुनाव के द्वारा सिद्ध किया जो उसकी सिद्ध इच्छा को पूरी करने के योग्य था। यिशै का पुत्र दाऊद परमेश्वर द्वारा चुना गया और शमूएल द्वारा अभिषेक किया गया। इस अभिषेक में चरवाहे लड़के पर परमेश्वर की आत्मा का सामर्थ के साथ उतारना भी शामिल था। जिस प्रकार दाऊद पवित्र आत्मा द्वारा बलवंत किया गया था, उसी प्रकार उसी आत्मा ने शाऊल का छोड़ दिया था। इस समय तक वह दुष्टात्मा से ग्रसित हो चुका था। जब उसने संगीतज्ञ खोजने का आदेश दिया तो उसके दासों ने सलाह दिया कि राजा ही ऐसे व्यक्ति को ढूंढ निकाले जिसे संगीत का ऐसा ज्ञान हो कि उसे शांत कर सके। दाऊद का नाम सुझाया गया और शाऊल ने उसे बुलावा भेजा। पवित्र आत्मा ने दाऊद को सामर्थ दिया कि दुष्टात्मा को दूर भगा सके जो शाऊल को उत्तेजित करती थी। शाऊल ने दाऊद को इतना प्रेम किया कि उसने उसे अपना व्यक्तिगत हथियार ढोनेवाला बना लिया। कुछ समय के पश्चात् इस्राएल को फिर से पलिश्तियों द्वारा कष्ट हुआ। दोनों ओर की सेनाएँ एला नामक घाटी में आमने सामने खड़ी हो गई। गोलियात नामक एक वीर पलिश्तियों की छावनी से चालीस दिनों तक लगातार निकलकर इस्राएली सेनाओं को ललकारता रहा कि वे उसके योग्य योद्धा को भेजें। गोलियात करीब नौ फीट नौ इंच ऊँचा था और कम से कम 175 पाऊंड वजन के शस्त्र धारण किया हुआ था। जब दाऊद उसके पिता के कहने पर उसके भाइयों के लिये कुछ वस्तुएँ लेकर इस्राएल की छावनी में पहुँचा तो उसने गोलियात के चुनौतीपूर्ण शब्दों को सुना। उसने पूछा कि जो व्यक्ति इस व्यक्ति को मार देगा उसके लिये क्या किया जाएगा। उसके सबसे बड़े भाई एलीयाब ने जब यह सुना तो उसने दाऊद को डाँटा। परंतु दाऊद उन इनामों के विषय जानने का प्रयास करता रहा जो उस व्यक्ति को मिलनेवाला था, जिसके हाथों यह पलिश्ती मारा जाने वाला था। जल्द ही शाऊल को यह समाचार मिला कि इस्राएल से एक जवान युवक मिला है जो पलिश्ती से लड़ सकता है और दाऊद को उसके सामने लाया गया। जब उसने दाऊद को देखा तो उसे लड़के की योग्यता पर संदेह हुआ। परंतु दाऊद ने अपने माध्यम से परमेश्वर की सामर्थ को कार्य करते हुए अनुभव कर लिया था जब उसने अपनी भेड़-बकरियों को सिंह और भालू से बचाया था। उसके उत्साह और निश्चय को देखकर शाऊल ने उसे अपनी झीलम और शस्त्र धारण के लिये दिया परंतु दाऊद ने उन्हें नहीं पहना क्योंकि वे उसके लिये रूकावट थे। उसके बदले वह पाँच चिकने पत्थर, गोफन, छड़ी और जीवते परमेश्वर की सामर्थ से लैस होकर आगे बढ़ा। शाऊल अनिच्छा से राजी हुआ और दाऊद ने गोलियात को मार डाला और विजय घोष करते हुए उसका कटा हुआ सिर लेकर लौटा। गोलियात पर विजय पाने के बाद शाऊल ने फिर से दाऊद को महल में ले आया, और इस बार वह उसकी सेना का प्रधान था। उस समय शाऊल के बड़े पुत्र योनातान और दाऊद के बीच घनिष्ट दीर्घकालीन मित्रता हो गई। उनकी मित्रता इतनी घनिष्ट थी कि योनातान जो इस्राएल के सिंहासन का उत्तराधिकार था, उसने अपने राजसी अधिकार को त्यागपूर्ण रीति से दाऊद पर न्यौछावर कर दिया। दाऊद की विजय को स्त्रियों द्वारा यह गीत गाकर मनाया गया: शाऊल ने हजारों को मारा, तो दाऊद ने लाखों को मारा। शाऊल इतना अधिक ईर्ष्या से भर गया था और क्रोधित हो गया था कि उसकी महिमा के अंत के दिनों में, उसने दुष्टात्मा से प्रेरित होकर दाऊद को अपने भाले से तीन बार मारने का प्रयास किया। परंतु परमेश्वर ने दाऊद को बचाया और उसकी लोकप्रियता को खूब बढ़ाया। फिर से जब शाऊल ने दाऊद को उसी के घर में मारने के लिये दूतों को भेजा तो शाऊल की बेटी 'मीकल और दाऊद की पत्नी को इस षडयंत्र का पता चल गया और उसने उसे छिपने में सहायता किया। दाऊद शमुएल को मिलने के लिये रामाह भाग गया। शाऊल के दूत दाऊद को मारने के लिये तीन बार असफल रहे क्योंकि जब भी वे उन भविष्यद्वक्ताओं के पास आते थे जो शमूएल के साथ रहते थे, वे खुद भविष्यद्वाणी करने लगते थे। बाद में जब स्वयं शाऊल दाऊद के पास गया, वह भी परमेश्वर की सामर्थ से प्रभावित हो गया। जब तक परमेश्वर ने शाऊल को भूमि पर औधा गिराकर रखा रहा, दाऊद वहाँ से बच निकला। योनातान ने शाऊल अर्थात अपने पिता और दाऊद उसके मित्र के बीच मेल-मिलाप कराने का प्रयास किया। जब योनातान इस विषय को लेकर शाऊल के पास गया तो शाऊल आगबबूला हो गया और उसने योनातन पर आरोप लगाया कि वह उस व्यक्ति का दोस्त बन गया है और यहाँ तक कि उसने अपने ही बेटे को भाले से मारने का प्रयास किया। फिर जब योनातान ने दाऊद को उचित संकेतों द्वारा अपने पिता के इरादों के विषय बताया, तो वह वहाँ से भाग गया और नोब के याजक अहिमेलेक के पास शरण लिया। थकान भरी यात्रा के कारण दाऊद ने याजक से रोटी मांगा। परंतु जो कुछ उपलब्ध था वह पवित्र रोटी थी जिसका उपयोग मिलापवाले तंबु में आराधना के लिये किया जाता था। याजक ने उसे वही दे दिया। उसी समय शाऊल का एक दास दोएग नोब में यहोवा के आगे रूका था। उसने दाऊद के साथ अहिमेलेक के संबंध को देखा और जाकर शाऊल को बता दिया। उसी बीच दाऊद ने अहिमेलेक से हथियार की मांग किया। गोलियात की तलवार जो वहाँ रखी हुई थी दाऊद को दी गयी और उसने उसे तुरंत ले लिया। जब दोएग ने शाऊल को बताया कि अहिमेलेक ने किस तरह वस्तुएँ देकर सहायता किया और प्रभु से उसके विषय पूछा था, तो शाऊल ने याजक और उसके परिवार को बुलवाया। क्रोध में आकर शाऊल ने कारण सुने बिना ही अपने दासों को आज्ञा दिया कि उन याजकों को मार डाले। वे उसकी आज्ञा का पालन किया और उनमें से 85 को मार डाला जो मलमल का बागा पहने हुए थे। उन्हें उसने नोब पर भी चढ़ाई किया जो अहिमेलेक का नगर था और वहाँ के सभी रहवासियों और पशुओं को मार डाला। केवल अब्यातार ही बच गया, वह भागकर दाऊद के पास गया और जो कुछ हुआ था वह सुनाया। दाऊद उसके 600 लोगों के साथ भागता रहा। उस समय पलिश्ती लोग किला के लोगों की भोजन रसद को रोक रहे थे। कीला को स्वतंत्र कराने से पहले दाऊद ने परमेश्वर की इच्छा जाना। परमेश्वर की अगुवाई में वह शत्रु से लड़ा और नगर को बचाया और बड़ी संख्या में पशुधन पर कब्जा किया। जब शाऊल ने सुना कि दाऊद कीला में है तो उसने उसे वहीं पकड़ने का निर्णय लिया। दाऊद को इस षड़यंत्र का पता चल गया और उसने परमेश्वर से मार्गदर्शन मांगा। उस एपोद के द्वारा जो एब्यातार ने लाया था और उरीम और थुम्मीम1 के द्वारा परमेश्वर ने प्रगट किया कि लोग दाऊद के साथ छल करेंगे। निश्चित रूप से लोगों ने दाऊद की दयालुता का बदला उसे धोका दिया! दाऊद 600 लोगों के साथ जीप के जंगलो में चला गया। वहाँ भी जीप के लोगों ने उसके साथ धोखा किया और दाऊद माओन के जंगल में चला गया। अंततः शाऊल का सामना दाऊद से एनगदी में हुआ और उसने उसे करीब-करीब खोज ही लिया था। लेकिन परमेश्वर की । योजना कुछ और ही थी और ऐसा हुआ कि शाऊल के प्राण उस समय दाऊद के हाथ में आ गए जब शाऊल उसी गुफा में दिशा फेरने के लिये गया जहाँ दाऊद छिपा था। दाऊद उसके इतनी करीब था कि उसने उसके चोगे का एक कोना काट लिया यह कहने के लिये कि वह उसे मार भी सकता था। परंतु दाऊद ऐसा नहीं करना चाहता था क्योंकि वह शाऊल को परमेश्वर का अभिषिक्त मानता था। जब दाऊद ने शाऊल से कहा कि उसे मारने की बात नहीं सोचना चाहिये तो पश्चाताप करते हुए शाऊल ने दाऊद की धार्मिकता का स्वीकार किया और यह सच्चाई भी स्वीकार किया कि दाऊद ही राजा बनेगा। (24:20)। एक दिन ऐसा आया जब पलिश्तियों ने इस्राएल पर भारी हमला करने की योजना बनाया। शाऊल ने स्वयँ को विकट स्थिति में पाया। शमूएल मर चुका था और पलिश्तिी लोग शूनेम में छावनी डाले हुए थे। जब शाऊल को परमेश्वर की ओर से कोई उत्तर न मिला, न स्वप्नों से, न उरीम न थुम्मीम से और न ही भविष्यद्वक्ताओं से तो उसने एक भूत-सिद्धी करनेवाली की मदद लिया। इससे पहले उसने इस्राएल के सभी जादू-टोना करनेवालों और भूतसिद्धी करनेवालों को मार डालने या देश से निकाल देने का आदेश दिया था, जो व्यवस्था के मुताबिक था। अंततः एन्दोर में एक भूत सिद्धि करने वाली खोज ली गई। तब शाऊल ने भेष बदला और मृतक से सलाह लेने उस स्त्री के पास गया। वहाँ पहुँचने के बाद शाऊल ने उसे शमूएल से संपर्क करने को कहा। उसने शमूएल के जैसे एक शैतानी बहुरूपिया से संबंध जोड़ने की कोशिश की। लेकिन जब उसने शमूएल को देखी तो वह चैंक गई और जान गई कि यह परमेश्वर का काम है, और वह व्यक्ति शाऊल राजा है। परमेश्वर ने अपनी दया के अनुसार शाऊल को भविष्यद्वक्ता से मिलवाया जिससे उसे सबसे पहले उसके पिता की खोई हुई गदहियों की खोज के समय मिलवाया था। परंतु इस बार शमूएल के पास उसके लिये अच्छी खबर नहीं थी। उसने बताया कि उसका राज्य उससे छीन लिया गया है और दाऊद को दे दिया गया है। और जैसे उसे परमेश्वर ने अमालेकियों के विषय किए गए पाप के कारण तिरस्कृत कर दिया था, उसी प्रकार अब वह उसे पलिश्तियों के हाथ कर देगा जिससे उसकी और उसके पुत्रों की मृत्यु हो जाएगी। अनिच्छा से उस स्त्री के घर कुछ खाकर शाऊल उठा और निराश होकर चला गया। जैसे शमुएल ने भविष्यवाणी में किया था पलिश्तियों ने जल्द ही और आसानी से इस्राएल को हरा दिया। अपने तीन पुत्रों के साथ शाऊल गिलबो पहाड़ी पर भाग गया। लेकिन उसे घेर लिया गया और उसके पुत्रों का संहार करने के बाद उसे भी घायल किया गया। इस बात से डरकर कि कहीं फिलिस्ती उसे ढूंढकर मृत्यु तक प्रताड़ित न करें उसने अपने हथियार ढोनेवाले से कहा कि वह उसे मार डाले, ऐसा आदेश जिसका पालन करने से उसके सेवक ने इन्कार कर दिया। फिर शाऊल ने इस्राएली विश्वास के विरुद्ध आत्महत्या कर लिया। उसने एक तलवार पर गिरकर अपने प्राण लिये।2 उसके तुरंत बाद उसके हथियार ढोने वाले ने उसकी आज्ञा का पालन किया। जब इस्राएलियों ने सुना कि उसका राजा मर गया है, तो वे अपने नगरों से भाग गए और जंगल में जा छिपे। आखिरकार पलिश्ती लोगों ने आकर शाऊल और उसके तीन बेटों का शवों को लिया शाऊल का सिर काटा, और उसके हथियारों को अश्तोरेत देवी के मंदिर में रख दिया और उसके शरीर को बेतशान की शहरपनाह में जड़ दिया। याबेश गिलाद के लोग इतने डर गये थे कि उन्होंने शाऊल और उसके बेटों के शरीरों को रात के अंधियारे में निकाल लिया और अपने नगर ले आए। वहाँ उन्होंने शवों को जलाया और हड्डियों को गाड़ दिया। सम्मान का यह कार्य वास्तव में उन कृतज्ञ लोगों के द्वारा किया गया था जिनके शहर को 40 वर्ष पूर्व शाऊल ने उसके पहले सार्वजनिक कार्य के रूप में अम्मोनियों के हाथ से छुड़ाया था। बाद में दाऊद ने शाऊल और योनातान की हड्डियों को निकालकर उन्हें बिन्यामीन में ले जाकर पुनः दफनाया था। शाऊल के अंतिम दिन निराशा और खेदपूर्ण थे; और अंत में वह आत्महत्या करने के द्वारा मरा। उसका जीवन एक दुर्घटना थी क्योंकि उसके परिणामों के विषय सोचे बिना व्यक्ति बच नहीं सकता। फिर भी उसकी असफलता के कारण वही थे जो आज के लोगों की असफलता के कारण हैं। वह परिस्थितियों के और स्वयँ के आगे झुक गया, यहाँ तक कि वह दूसरों के सामने भी झुक गया, परंत उसने परमेश्वर के सामने झुकने से इंकार कर दिया।

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