Class 7, Lesson 18: एलिशा का जीवन और सेवकाई ( भाग -1 )

Media

AudioPrayerSongInstrumental

Lesson Text

एलीशा का जीवन और सेवकाई (भाग 1) परिचय एलीशा नाम का अर्थ है, "मेरा परमेश्वर उद्धार है।" वह यरदन घाटी के हाबिल महलोक का था जो मृत सागर और इस्राएल के उत्तरी राज्य में किन्नरत की झील से आधे दूरी पर है। वह ऐसे परिवार से था जिनके पाास अपनी मिल्कियत की काफी जमीन थी। एलीशा उस समय खेत जोत रहा था जब वह एलिया के द्वारा बुलाया गया। एलीशा की प्रतिक्रिया पूरे दिल से थी। उसने अपनी बुलाहट का आनंद एक भोज द्वारा मनाया। उसने अपने जूए के बैलों को मार डाला और हल जोतने के साधनों को जला डाला। ऐसा करके उसने अपने पिछले जीवन में वापस जाने की परीक्षा को ही नष्ट कर डाला। एलिय्याह जहाँ भी गया, वह विश्वासयोग्यता के साथ उनके पीछे गया। जब एक बवडंर में एलिय्याह को स्वर्ग में उठा लिया गया तब इस घटना को एलीशा ने देखा। परिणामस्वरूप उसने एलिय्याह से आत्मा का दुगना भाग मिला। उसने दुखी होकर अपना वस्त्र फाड़ा। जब एलिय्याह स्वर्ग की ओर उठा लिया जा रहा था, तो उसकी चादर एलीशा पर गिरी। यह वही चदर थी जिसे उसने एलीशा को अभिषिक्त करने के समय उस पर डाला था। उसके बाद में उसे एलिय्याह का वस्त्र पहनना था और उसी के प्रतीक से अधिकार और सामर्थ के साथ सेवा करना था। एलीशा यरदन नदी के किनारे आया और एलिय्याह के वस्त्र को पानी पर मारा और नदी फिर से दो भागों में बँट गई। स्पष्ट है कि तब उसे एलिय्याह की सामर्थ मिल चुकी थी। इस प्रकार एलिय्याह का अंतिम चमत्कार दोहराया गया और वह एलीशा का पहला चमत्कार हुआ। जब उसने नदी पार किया तो उसे भविष्यद्वक्ताओं के 50 पुत्र उसका इंतजार करते हुए मिले। जल का शुद्धिकरण एलीशा की सेवकाई में ऐसे कई आश्चर्यकर्मो की श्रंखला है जिन्हें इस्राएल राष्ट्र को मूर्तिपूजा से सच्चे परमेश्वर की ओर मोड़ने के लिये किया गया। एलीशा अब भी यरीहो में ही था। तब नगर के हाकिमों का एक प्रतिनिधि मंडल उससे मिला। "हमारी एक समस्या है" उन्होंने कहा। "देख यह नगर मनभावने स्थान पर बसा हुआ है जैसा तू देख सकता है परंतु पानी खराब है, और भूमि अनुपजाऊ है।" उसने उन्हें एक नए कटोरे में नमक मांगा। फिर वह उठकर सोते के पास गया और यह कहकर उसे उसमें उंडेल दिया,"यहोवा यों कहता है, मैं यह पानी ठीक कर देता हूँ जिससे वह फिर कभी मृत्यु या गर्भ गिरने का कारण न होगा।" और एलीशा के कहे अनुसार पानी शुद्ध हो गया। इस्राएली लोग नमक को संरक्षक और शुद्धिकरण की चीज मानते हैं। परंतु सामान्यतः पानी में नमक डालना उसे और खराब कर देता है, बेहतर नहीं बनाता। जब नमक को यरीहो के जल में मिलाया गया तो स्थिति आश्चर्यजनक रीति से बदल गई। इस बात ने लोगों को दिखा दिया कि उनके बांझपन को उर्वरता का तथाकथित देवता बाल नहीं लेकिन जीवित परमेश्वर ही दूर कर सकता है मूर्तिपूजा ने बांझपन लाया था। परमेश्वर का स्थायी कार्य हमें याद दिलाता है कि वह बांझपन में भी फल और आशीषें ला सकता है। ठट्ठा करनवाले बच्चे जब एलीशा यरीहो से बेतेल जा रहा था तो रास्ते में उसे कुछ जवान दिखे (वास्तव में वे जवान पुरुष थे, बच्चे नहीं) जो उसे गंजा पुकार रहे थे और ठट्ठा करते हुए कह रहे थे कि एलिय्याह के समान वह भी स्वर्ग पर क्यों नहीं चढ़ जाता। उन दिनों में बेतेल मूर्तिपूजा का केंद्र था। यह बात तो स्पष्ट थी कि बच्चे उदंड थे वे इतने बड़े जरूर थे कि अपने व्यवहार की दुष्टता को समझ सकते थे। "हे चंदुए" पुकारकर वे एलीशा को अपवित्र, अनुग्रहरहित, गंजेपन की वजह से बहिष्कृत कह रहे थे क्योंकि गंजापन और मुंडाया हुआ सिर कोढ़ को दर्शाता था (यशायाह 3:17)। वे कभी नहीं चाहते थे कि परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता उनके पापी जीवन में दखल दें। उनके द्वारा किया जानेवाला अपमान केवल एलीशा का ही नहीं परंतु परमेश्वर का भी अपमान था। जब एलीशा ने उन्हें परमेश्वर के नाम से शापित किया तो जंगल से दो रीछनियाँ आई और उनमें से 42 को फाड़ डालीं। जो दंड अचानक उन पर आ पड़ा था वह एलीशा का बदला नहीं था परंतु यहोवा के सम्मान का सूचक था। परमेश्वर के दूत का अपमान स्वयं परमेश्वर का अपमान है। मोआब में सेना के लिए पानी की व्यवस्था मोआब जो इस्राएल के अधीन था और उसे कर देता था, विद्रोह किया और दुखदायी बन गया। उस समय योराम इस्राएल का राजा था। उसने यहूदा के राजा यहोशापात से विनती किया कि वह मोआबियों के विरुद्ध युद्ध में उसके साथ हो ले। यहोशापात ने तुरंत सहमति दे दिया और एदोम का राजा भी उनके संग हो लिया। इस प्रकार तीन राजाओं ने मोआब के विरुद्ध योजना बनाया। सात दिनों की यात्रा के बाद मोआब की सीमा पर पहुँचकर तीनों राजाओं ने पाया कि मनुष्य और पशुओं के लिये वहाँ पानी नहीं था। ऐसे वक्त में योराम ने परमेश्वर को कोसा और यहोशापात ने परमेश्वर से याचना किया। उसने कहा कि परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता से संपर्क किया जाए। जब उन्हें पता चला कि एलिय्याह का दास एलीशा पास ही में है तो तीनों राजा उसके पास गए। जब परेशानियाँ निर्मित होने लगती है, हमें परमेश्वर का मार्गदर्शन खोजना चाहिये। सबसे पहले एलीशा ने विरोध किया कि इस्राएल के मूर्तिपूजक राजा से उसका कोई संबंध नहीं है। यहोशापात की रक्षा के लिये एलीशा परमेश्वर से पूछने राजी हो गया। "किसी बजानेवाले को मेरे पास ले आओ" भविष्यद्वक्ता ने कहा। जब बजानेवाले ने बजाना शुरू किया तो परमेश्वर की सामर्थ एलीशा पर उतरी और उसने भविष्यद्वाणी किया कि घाटी पानी से भर जाएगी लेकिन बारिश से नहीं और यह भी कहा कि मोआबी हार जाएंगे। अगली सुबह घाटी में पानी बहने लगा और खोदे गए सभी गढहे भर गए। पानी परमेश्वर का उसके लेागों के प्रति स्नेह की अभिव्यक्ति था। सूर्योदय की रोशनी में मोआबियों को पानी ऐसे दिखा जैसे लहू हो और उन्होंने मान लिया कि तीनो राजा आपस में लड़ मरे थे। "आओ हम जाकर लूट का माल ले लें" उन्होने कहा। जैसे ही वे इस्राएल की छावनी की ओर छोड़े उन्हें विनाशकारी हमले का सामना करना पड़ा। इस्राएल की सेना ने उन्हें मोआब देश तक खदेड़ा और जाते जाते सब कुछ नष्ट कर दिया। इस प्रकार परमेश्वर ने उसके लोगों को उनके शत्रुओं से बचाया। तेल का चमत्कारिक प्रयोजन बेतेल, गिलगाल और यरीहो ऐसे नगर थे जहाँ भविष्यद्वक्ताओं की पाठशालाएँ थी। एक दिन एलीशा के संगी भविष्यद्वक्ता की विधवा एलीशा के पास आई और उससे रोकर कहने लगी, "तेरा दास मेरा पति मर गया, और तू जानता है कि वह यहोवा का भय माननेवाला था, पर जिसका वह कर्जदार था वह आया है कि मेरे दोनो पुत्रों को अपने दास बनाने के लिये ले जाए।" एलीशा उसकी तुरंत मदद करना चाहता था। मुझे बता कि तेरे घर में क्या है? उसने पूछा। "एक हांडी तेल को छोड़ और कुछ नहीं है" वह बोली। एलीशा ने कहा, "तू बाहर जाकर अपनी सब पड़ोसिनों से खाली बर्तन मांग ले आ, और थोडे बर्तन न लाना। उसने ऐसा ही की। उसके विश्वास को उसके द्वारा इकट्ठे किए गए बर्तनों के अनुसार ही तौला जाना था, जैसा भविष्यद्वक्ता ने उससे बर्तन लाने को कहा था। और बर्तन न बच रहे तब तेल का बहना बंद हो गया। जब उसने जो हुआ था एलीशा को कह सुनाई तो एलीशा ने उससे कहा कि वह तेल को बेचकर अपना कर्ज चुका दे। आत्मिक आशीषें प्रार्थना द्वारा आती है। बंद दरवाजा हमारे गुप्त प्रार्थना जीवन को दर्शाता है। इस विधवा ने उसका पति और धन खो चुकी थी, और अब पुत्रों को भी खोनेवाली थी, परंतु उसने परमेश्वर पर विश्वास नहीं खोई थी। उसने भविष्यद्वक्ता के पास जाकर अपनी विवश स्थिति के विषय बताई। उसका एलीशा के निर्देशों का निर्विवाद पालन उसके विश्वास की ईमानदारी को दर्शाता है। जिस प्रकार परमेश्वर ने बहुतायात से उसकी जरूरतों को पूरी किया उसी प्रकार वह उनकी भी जरूरतों को हमेशा पूरी करता है जो उसकी आज्ञापालन के लिये नम्रता और विश्वास के साथ उसके पास आते हैं।

Excercies

Song

Not Available