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मीकायाह और सिदकिय्याह यह उस समय की बात है जब आहाब इस्राएल का और यहोशापात यहूदा का राजा था। इस्राएल का अरामियों के साथ युद्ध जारी था। लेकिन अपेक (1 राजा 20:26-34) के युद्ध के बाद उनके बीच तीन वर्ष युद्ध नहीं हुआ। 3रे वर्ष में अहाब के मन में आया कि उसे अरामियों के हाथों से रामोत गिलाद को वापस ले लिया जाए जिसे उन्होंने पहले इस्राएल से हथिया लिया था। यह यरदन से 35 कि.मी पूर्व और गलील के समुद्र किन्नेरत से 22 किमी दक्षिण में स्थित गाद के गोत्रों का मुख्य शहर था। यह शरणार्थियों के शहरों में से एक था जिसे बेन्हदद ने प्रतिज्ञा के अनुसार इस्राएल को नहीं लौटाया था। अहाब ने यहोशापात से कहा कि वह अरामी राजा बेन्हदाद-2 के विरुद्ध उसके साथ हो लें। यहोशापात ने, जो एक धर्मी राजा था और परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य था, राजनैतिक कारणों से प्रस्ताव को मान लिया। लेकिन उसने सुझाव दिया कि उन्हें भविष्यद्वक्ता के द्वारा परमेश्वर से इस विषय पूछना चाहिये। अहाब के दरबार में 400 भविष्यद्वक्ताओं ने इस योजना के पक्ष में और विजय की प्रतिज्ञा के साथ समर्थन किया। उन भविष्यद्वक्ताओं को परमेश्वर के सच्चे वचन को प्राप्त करने या उससे संबंधित होने की कोई चिंता नहीं थी। इनका उद्देश्य यही था कि राजा को वही सलाह दी जाए जो वह सुनना चाहता है। इससे वह प्रसन्न होता था और उन्हें इनाम देता था। किसी तरह उनके शब्दों ने यहोशापात को समझा दिया कि उनका मन परमेश्वर का सा न था। उसने पूछा क्या यहाँ यहोवा का और भी कोई नबी नहीं है जिससे हम पूछ लें? मैं उससे भी यही प्रश्न पूछना चाहता हूँ।" अहाब राजा ने जवाब दिया, "हाँ, यिम्ला का पुत्र मीकायाह एक पुरुष और है जिसके द्वारा हम यहोवा से पूछ सकते है। परंतु मैं उससे घृणा करता हूँ क्योंकि वह मेरे विषय कल्याण की नहीं वरन हानि ही की भविष्यद्वाणी करता है।" यहोशापात ने कहा, "राजा ऐसा न कहे।" तब इस्राएल के राजा ने एक हाकिम को बुलवाकर कहा, "जल्दी से मीकायाह को बुला ला।" मीकायाह एक निडर भविष्यद्वक्ता था जिससे अहाब उसके अस्वीकार्य संदेशों के कारण घृणा करता था। राजा आहाब और राजा यहोशापात अपने राजवस्त्र पहने हुए शमरोन के फाटक में खुले स्थान में अपने अपने सिंहासन में बैठे थे। अहाब के सभी भविष्यद्वक्ता उनके सामने भविष्यद्वाणी कर रहे थे। उनमें से एक कनाना के पुत्र सिदकियाह ने लोहे के सींग बनाकर कहा, "यहोवा यों कहता है, इनसे तू अरामियों को मारते मारते नष्ट कर डालेगा।" बाकी सब नबियों ने इस बात से सहमत होकर कहा, "हाँ, गिलाद के रामोत पर चढ़ाई कर और तू कृतार्थ हो, क्योंकि यहोवा उसे राजा के हाथ में कर देगा!" इसी बीच जो दूत मीकायाह को बुलाने गया था उसने उससे कहा, "सुन, भविष्यद्वक्ता एक मुँह से राजा के विषय शुभ वचन कहते हैं तो तेरी बातें उनकी सी हों; तू भी शुभ वचन कहना।" मीकायाह ने कहा, "यहोवा के जीवन की शपथ जो कुछ यहोवा मुझसे कहे, वही मैं कहूंगा।" जब वह राजा के पास आया, तब राजा ने उससे पूछा, "हे मीकायाह! क्या हम गिलाद के रामोत से युद्ध करने के लिये चढ़ाई करें या रूके रहें? उसने उसको उत्तर दिया, "हाँ चढ़ाई कर और तू कृतार्थ हो और यहोवा उसको राजा के हाथ में कर दे।" यह बात उसने राजा से व्यंग्यात्मक भाव में कहा। अहाब इसे समझ गया और उसने मीकायाह को सच कहने की शपथ दिया। तब भविष्यद्वक्ता ने एक दर्शन बताया जिसमें इस्राएल को भटका हुआ बताया क्योंकि उनका कोई चरवाहा नहीं था। और इस दर्शन के द्वारा उसने यह बताया कि अहाब मारा जाएगा और उसकी सेना तितर-बितर हो जाएगी। अहाब ने इस चेतावनी पर प्रतिक्रिया किया परंतु वह इसे गंभीरता से लेने के लिये इच्छुक नहीं था। मीकायाह ने आगे बताया कि परमेश्वर ने उसे क्या दिखाया था। उसने आगे कहा, "इस कारण तू यहोवा का यह वचन सुन। 'मुझे सिंहासन पर विराजमान यहोवा और उसके दाएँ बाएँ खड़ी हुई स्वर्ग की समस्त सेना दिखाई दी है। तब यहोवा ने पूछा, अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा कि वह गिलाद के रामोत पर चढ़ाई करके खेत आए? तब किसी ने कुछ और किसी ने कुछ कहा। अंत में एक आत्मा पास आकर यहोवा के सम्मुख खड़ी हुई और कहने लगी, मैं उसको बहकाऊँगी: यहोवा ने पूछा, "किस उपाय से?" उसने कहा, मैं जाकर उसके सब भविष्यद्वक्ताओं में पैठकर उसने झूठ बुलवाऊँगी।' यहोवा ने कहा, तेरा उसको बहकाना सफल होगा, जाकर ऐसा ही कर।" तो अब तुम यहोवा ने तेरे उन सब भविष्यद्वक्ताओं के मुँह में एक झूठ बोलनेवाली आत्मा पैठाई है, और यहोवा ने तेरे विषय हानि की बात कही हैं। क्योंकि उसने तेरा विनाश करना निश्चित किया है।" जाहिर है कि यहोवा ने एक "झूठ बोलनेवाली आत्मा (अर्थात दुष्ट आत्मा) को 400 भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बोलने की अनुमति दिया था ताकि उसका उद्देश्य पूरा हो सके। अन्य लोगों के समान सिदकिय्याह ने निश्चित रूप से मीकायाह का संदेश समझ लिया। यह समझते ही कि वह और उसके भविष्यद्वक्ताओं पर झूठ बोलने का आरोप लगा है, उसने मीकायाह के गाल पर थप्पड़ मारा और पूछा, "यहोवा का आत्मा मुझे छोड़कर तुझ से बातें करने को किधर गया?" गाल पर तमाचा बड़ा अपमान था। मीकायाह ने कहा सिदकिय्याह सत्य को तब जानेगा जब वे अहाब की मृत्यु के बाद गुप्त स्थान में छिपेंगे। इस्राएल के गुस्साए राजा ने आज्ञा दिया कि मीकायाह को बंदीगृह में डाला जाए और उसे दुख की रोटी और पानी दिया करो जब तक मैं रामोत गिलाद से शांति से न लौट जाऊँ। मीकायाह ने उत्तर दिया, "यदि तू कभी कुशल से लौटे तो जान कि यहोवा ने मेरे द्वारा नहीं कहा।" तब उसने वहाँ खड़े लेागो से कहा, "हे लोगों सुन लो मैंने क्या कहा!" अहाब ने युद्ध पर जाने से पहले स्वयं को छद्म बनाने की सोचा। उसने सोचा कि इस तरह वह मीका की भविष्यद्वाणी से बच जाएगा। दूसरी ओर युद्ध के लिये यहोशापात ने राजा के वस्त्र पहने और स्वयं को खतरे में डाल दिया। इस प्रकार अहाब ने प्रभु को और अरामी राजा को मूर्ख बनाने का प्रयास किया, परंतु "परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है वही काटेगा" (गलातियों 6:7)। अहाब युद्ध में मारा गया, परंतु यहोशापात बचाया गया। मीकायाह इसलिये बंदीगृह में पाया गया क्योंकि उसने परमेश्वर के वचन का विश्वासयोग्यता के साथ प्रचार किया था। सच्चे गवाहों को प्रभु को लिये क्लेश उठाने के लिये तैयार रहना होगा। मीकायाह को जब गाल पर थप्पड़ मारा तो उसने वापस नहीं मारा। उसी प्रकार यीशु मसीह ने स्वयँ को नम्रता से उसे समर्पित किया जिसने धार्मिकता से न्याय किया। यहाँ तक कि यहूदा का धर्मी और नम्र हृदयी राजा भी उसकी गलत संगति के कारण परमेश्वर के सच्चे भविष्यद्वक्ता के क्लेश का मूक गवाह बना रहा। सिदकिय्याह 400 भविष्यद्वक्ताओं का अगुवा था। वह ऐसी सब बातें कहने के लिये तत्पर रहता था जो राजा के कानों को मधुर लगती थी। हम उसे खुले आम थप्पड़ मारने की क्रिया द्वारा अपनी भविष्यद्वाणी को वैध ठहराने का प्रयास करते हुए देखते हैं। सच्चे भविष्यद्वक्ता को मुँह पर थप्पड़ मारने के द्वारा वास्तव में उसने अपनी मुसीबतें बढ़ा लिया था। जब अहाब मारा गया तब झूठे भविष्यद्वक्ता डर से भाग गए। आज हमारे बीच में भी झूठे शिक्षक पए जाते हैं। वे गुप्त रीति से झूठी शिक्षा देते हैं, यहाँ तक कि वे सर्वसामर्थी परमेश्वर का भी इन्कार करते और अपने आप पर तत्काल विनाश को आमंत्रित करते हैं। (2 पतरस 2:1)
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