Class 7, Lesson 14: यहूदा से परमेश्वर का जन

Media

AudioPrayerSongInstrumental

Lesson Text

यहूदा से परमेश्वर का जन यारोबाम की आराधना की मूर्तिपूजा प्रणाली (1 राजा 12:28-33) का परमेश्वर के एक भविष्यद्वक्ता द्वारा जल्द ही खंडन किया। इस व्यक्ति का अनुभव यारोबाम की बुराइयों को दिखाता है और यह भी कि वह कितना धोखा था। लेकिन भविष्यद्वक्ता स्वयं उसमें फंस गया। वे घटनाएँ खतरनाक समयों में परमेश्वर के जन की आत्मिक यात्राओं को भी बताती है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि परमेश्वर का यह अनजान व्यक्ति अचानक प्रगट हुआ। उसे यहूदा के दक्षिण राज्य से बेतेल भेजा गया था। टूटे हुए इस्राएल के दस गोत्र दुष्ट यारोबाम के साथ एकजुट हो गए थे। उसने अपनी प्रजा को बुरे मार्गों पर चलाया। अपने अनुयायियों को आराधना के लिये यरूशलेम लौटने से रोकने के लिये यारोबाम ने उन्हें आराधना करने हेतु सोने के बछड़े बनाकर दिया। उसके अपने झूठे याजको को भी नियुक्त किया। परमेश्वर का जन: उसकी भविष्यद्वाणी परमेश्वर की आज्ञा पाकर परमेश्वर का जन यहूदा से बेतेल गया और ठीक उसी समय पहुँचा जब यारोबाम बलि चढ़ाने वेदी की ओर बढ़ रहा था। उसने सार्वजनिक रूप से भविष्यद्वाणी कहा। वह चिल्ला पड़ा, "वेदी, हे वेदी! यहोवा यों कहता है, कि सुन दाऊद के कुल में योशिय्याह नामक एक लड़का उत्पन्न होगा, वह उन ऊँचे स्थानों के याजकों को जो तुझ पर धूप जलाते हैं, तुझ पर बलि कर देगा और तुझ पर मनुष्य की हड्डियाँ जलाई जाएंगी। उसने यह भी कहा कि भविष्यद्वाणी की पुष्टि के लिये चमत्कार के रूप में एक चिन्ह भी होगा। उसने कहा, "यह वचन जो यहोवा ने कहा है इसका चिन्ह यह है कि यह वेदी फट जाएगी, और इस पर की राख गिर जाएगी।" वेदी के विरुद्ध बोलने के कारण यारोबाम राजा परमेश्वर के जन से बहुत क्रोधित हुआ। इसलिये उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर चिल्लाकर कहा, "उसको पकड़ लो।" परंतु उसी समय राजा का हाथ उसी स्थिति में लकवा से सूख गया और वह उसे वापस नहीं ले सका। उसी समय वेदी पर एक बड़ी दरार पड़ी और उसकी राख गिर गई, ठीक वैसे ही जैसे परमेश्वर के जन ने परमेश्वर के संदेश को बताया था। भविष्यद्वाणी की प्रतिक्रिया में यारोबाम ने भविष्यद्वक्ता को बंदी बनाने का आदेश दिया था। राजा का सीधा हाथ जो अधिकार का था, सूख गया था। यह इस बात को सिद्ध करता है कि परमेश्वर का अधिकार यारोबाम के अधिकार से ज्यादा था। परमेश्वर यारोबाम की शक्ति को पूरी तरह पंगु बना सकता था और उसे पूरी तरह नाकाम कर सकता था। वह चिन्ह (वेदी का फट जाना) भी संदेह रहित था, उन लोगों के लिये जो वहाँ मौजूद थे भविष्यद्वाणी परमेश्वर की ओर से थी जिसने यारोबाम को नियंत्रित किया था, और वही उसकी दुष्टता का न्याय करेगा। राजा ने तुरंत परमेश्वर की शक्ति को मान लिया और परमेश्वर के जन से कहा कि वह परमेश्वर से प्रार्थना करे कि वह उसका हाथ ठीक कर दे, तो परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा किया। यारोबाम ने यहोवा को "तेरा अपना परमेश्वर कहा, "मेरा परमेश्वर" नहीं और इस प्रकार अपनी मूर्तिपूजा की गवाही दिया। अपने सूखे हाथ की तुरंत चंगाई पाने के कारण राजा ने भविष्यद्वक्ता को दान देने की सोचा। उसने परमेश्वर के जन से कहा, "मेरे संग घर (महल) चलकर अपना प्राण ठंडा कर, और मैं तुझे दान भी दूंगा।" परंतु परमेश्वर के जन ने राजा से कहा, "चाहे तू मुझे अपना आधार घर भी दे दे तौभी तेरे घर न चलूँगा, और इस स्थान में मैं न तो रोटी खाऊँगा और न पानी पीऊंगा। क्योंकि यहोवा के वचन के द्वारा मुझे यों आज्ञा मिली है कि न तो रोटी खाना, और न पानी पीना और न उस मार्ग से लौटना जिससे तू जाएगा।" इसलिये वह बेतेल छोड़कर दूसरे रास्ते से घर चला गया। वह यारोबाम से कोई दान नहीं चाहता था। उसे परमेश्वर द्वारा निर्देश दिया गया था कि वह वहाँ भोजन भी न करे, जो उसे यारोबाम का कर्जदार बना देता। वह बेतेल छोड़कर दूसरे मार्ग से घर चला गया। यहाँ तक भविष्यद्वक्ता ने परमेश्वर की आज्ञा का विश्वासयोग्यता के साथ पालन किया था। वह एक बांज वृक्ष के नीचे रूक गया। बेहतर होता यदि वह चलता रहता क्योंकि एक दुष्ट उसकी राह देख रहा था। परमेश्वर का जन: उसका प्रलोभन बेतेल में एक और भविष्यद्वक्ता रहता था जो बूढ़ा था। वह न केवल राजा की सीमा के भीतर रहता था परंतु वह राजा की आराधना प्रणाली के केंद्र का हिस्सा भी था। उसके बेटों ने आकर उसे बताया कि परमेश्वर के जन ने उस दिन बेतेल में क्या किया था। उसने राजा से क्या कहा, उन्होंने वह भी अपने पिता को बताया। जब उन्होंने पिता को बताया कि परमेश्वर का जन किस मार्ग से गया है तो उसने कहा, "मेरे लिये गदहे पर काठी बांधो।" तब उन्होंने गदहे पर काठी बांधी और वह उस पर चढ़ा और परमेश्वर के जन के पीछे जाकर उसे एक बांज वृक्ष के नीचे बैठा हुआ पाया। और उससे पूछा, "परमेश्वर का जो जन यहूदा से आया था, क्या तू वही है?" उसने कहा, "हाँ वही हूँ।" उसने उससे कहा, "मेरे घर चलकर भोजन कर।" उसने उससे कहा, "मैं न तो तेरे संग लौट सकता, और न तेरे संग घर में जा सकता हूँ, और न मैं इस स्थान में तेरे संग रोटी खाऊंगा, न पीऊंगा। क्योंकि यहोवा के वचन के द्वारा मुझे यह आज्ञा मिली है कि वहाँ न तो रोटी खाना और न पानी पीना, और जिस मार्ग से जाएगा उससे न लौटना।" विश्वासयोग्य भविष्यद्वक्ता के इन्कार करने पर बूढ़े व्यक्ति ने दावा किया कि एक दूत के द्वारा परमेश्वर ने उसे सीधा प्रगटीकरण दिया है कि जवान व्यक्ति उसके साथ चला जाए। इस झूठ से वह परमेश्वर के जन को अपना निमंत्रण स्वीकार करवाने में सफल हो गया। वह बेतेल वापस लौटा और उसके साथ भोजन किया। यारोबाम की दुष्टता ने एक भविष्यवक्ता को भी प्रभावित कर दिया था जिसने वही स्वार्थी भावना अपनाया और राजा के समान परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन भी किया। जब वे साथ मिलकर भोजन कर रहे थे, परमेश्वर ने बेतेल के भविष्यवक्ता से कहा, और फिर उसने वही संदेश परमेश्वर के जन को बता दिया। वह परमेश्वर के जन पर चिल्ला पड़ा, "यहोवा यों कहता है इसलिये कि तूने यहोवा का वचन न माना, और जो आज्ञा तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे दी थी उसे भी नहीं माना, परंतु जिस स्थान के विषय उसने तुझसे कहा था, उसमें न तो रोटी खाना और न पानी पीना, उसी में तूने लौट का रोटी खाई और पानी भी पीया है इस कारण तुझे अपने पुरखाओं के कब्रस्तान में मिट्टी नहीं दी जाएगी।" सजा कठिन और गंभीर थी। हमें यह याद रखना चाहिये कि परमेश्वर उन लोगों के साथ ज्यादा सख्ती बरतता है जिनसे वह प्रेम करता है, जो उसके प्रवक्ता हैं और उनके साथ जो ज्यादा सहूलियत प्राप्त है। परमेश्वर का जन: उसकी मृत्यु और दफन घर वापसी के मार्ग पर, एक सिंह ने परमेश्वर के जन को मार डाला। रास्ते पर सिंह पाया जाना इस्राएल में सामान्य बात नहीं थी। लेकिन इस जानवर को ईश्वर की ओर से जवान भविष्यद्वक्ता को दंडित करने के लिये भेजा गया था जिसका प्रमाण यह है कि उस व्यक्ति को मार डालने के बाद सिंह उसके शव के पास खड़ा रहा, न तो उसने उसे खाया और न ही उसने गदहे पर हमला किया था। इस व्यक्ति की मृत्यु का समाचार बूढ़े भविष्यद्वक्ता तक पहुँचा। उसने जाकर उसके शरीर को उठाया, उसके लिये विलाप किया और उसे दफना दिया। जब उसने शव को अपनी कब्र में रखा तो चिल्ला पड़ा, "जब मैं मर जाऊँगा तब मुझे इसी कब्रस्तान में रखना जिससें परमेश्वर का यह जन रखा गया है, और मेरी हड्डियाँ उसी की हड्डियों के पास रख देना।" निसंदेह उसने परमेश्वर के जन की मृत्यु में उसकी भागीदारी की दोषी भावना के दर्द को महसूस किया। उसे पूरी तरह यकीन हो गया कि योशियाह के विषय भविष्यद्वाणी (पद 32) पूरी हो जाएगी। एक मजबूत शुरूवात का अंत दुखद दफन के साथ हुआ। यह कहानी परमेश्वर के वचन का पूरा और क्रमबद्ध पालन का महत्व बताती है। यह इस बात की भी शिक्षा देती है कि अतिरिक्त दान या अनुग्रह ज्यादा जवाबदारी लाता है। परमेश्वर ने उस भविष्यद्वक्ता के साथ ज्यादा सख्ती किया जिसके पास ज्यादा जवाबदारी उस व्यक्ति की तुलना में जिसकी जवाबदारी कम थी। "आज्ञापालन बलिदान चढ़ाने से बेहतर है।" (1 शमुएल 15:22)

Excercies

Song

Not Available