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यहोवा के लिए पर्व यहोवा के लिए पर्वों का महत्व यहोवा ने लोगों को पर्वों को मनाने की आज्ञा दी ताकि वे - 1. एक मण्डली के रूप में एकत्र हों और यहोवा के सामने आनन्द मनाएं। 2. धार्मिक मामलों में संलग्न हों। 3. मन्नतें मानें और भेंटें लाएँ। 4. उसके मन्दिर में परमेश्वर की महिमा को देखें और आदर एवं भक्ति से उसकी उपासना करें। सात धार्मिक पर्वों के अतिरिक्त, विभिन्न पर्वों के लिए वर्ष के नब्बे दिन नियत थे। विश्वासी के लिए, प्रत्येक दिन यहोवा के पर्व का दिन है, अतः वह निरंतर आनन्द मनाता है। 1. फसह का पर्व इस्त्राएलियों के घरों के चौखटों तथा अलंगों पर एक घात किए गए मेम्ने का लोहू के कारण नाश करने वाला दूत लांघ कर चला गया था और उनके पहिलौठे जीवित छोड़ दिए गए थे, जबकि वे प्रत्येक घर जिन के चैखटों पर लोहू नहीं लगा था वे घर उनके पहिलौठों की मृत्यु द्वारा शापित हुए। उसी रात्रि इस्त्राएली बंधन से मुक्त किए गए। फिरौन ने महामारियों के होने पर भी अपने हृदय को कठोर किया और इस सबसे भयंकर दण्ड के कारण ही पछताया। मसीह हमारा फसह का मेम्ना है (1 कुरिं. 5:7)। उस पर हमारा विश्वास ही हमें स्वतंत्र करता है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि मसीह उस दिन मरा जिस दिन यहूदियों ने फसह मनाया। यह पर्व नव वर्ष के प्रथम महीने में मनाया जाना था। हमारे फसह के मेम्ने मसीह के लोहू द्वारा छुटकारा प्राप्त विश्वासी एक नए जीवन में प्रवेश करते हैं। वे शैतान के दासत्व से स्वतंत्र हैं। 2. अखमीरी रोटी का पर्व छुटकारे के फसह के पर्व के पश्चात् अखमीरी रोटी का पर्व होता है। आत्मिक विचार से 'खमीर' बुराई को दर्शाता है (1 कुरिं. 5:8; मत्ती 15:11-12)। हमारे सोच एवं कार्य बुराई से रंगे हैं एक विश्वासी को परमेश्वर के समक्ष पवित्र, शरीर की अशुद्धता से शुद्ध होना चाहिए (2कुरिं. 7:1; गला. 5:7-9)। एक विश्वासी के लिए निर्धारित क्रम है - पहला, छुटकारा, फिर पवित्र जीवन। इस पर्व को सप्ताह के सात दिन मनाया जाता था। यह इस बात को दर्शाता था कि सप्ताह के पूरे सात दिन हमें पवित्र जीवन जीना है। वह मन्ना जिसे इस्त्राएलियों ने 40 वर्षों तक खाया वह खमीर नहीं था। मन्ना परमेश्वर के वचन को दर्शाता है। हमें इसे पढ़ना, अध्ययन करना और उस पर मनन करना चाहिए, कि अपने जीवनों के खमीर को दूर करें। सात दिनों तक घरों में खमीरी रोटी होने पर प्रतिबंध था (निर्गमन12:15, 18-20)। हमें अपने घरों में पवित्र होना है। प्रभु यीशु का जीवन(लूका 1:52) दोषरहित था और एक पवित्र जीवन के लिए वह हमारा उदाहरण है। फसह के पर्व पर खमीर को पूरी रीति से अलग कर दिया जाता था। मसीह की मृत्यु एवं पुनरुत्थान के कारण हमने पवित्रीकरण पाया है (इब्रा10:14; 1 यूहन्ना 1:7)। 3. प्रथम फल का पर्व यह पर्व अखमीरी रोटी के पर्व के सप्ताह में ही मनाया जाता था, अर्थात् सब्त के पश्चात् पहले दिन को। यह कटनी का आरम्भ होता था। कटनी के प्रथम फल पूलों के रूप में लाए जाते और याजक द्वारा यहोवा के सामने हिलाए जाते थे, जो कि यह दर्शाता था कि भूमि की उपज यहोवा की थी। यहोवा को प्रथम फल चढ़ाने के पश्चात् ही उसका उपयोग किया जा सकता था। यह पर्व मसीह के पुनरुत्थान का एक प्रतिरूप है। प्रथम फल, पुनरुत्थित, मसीह है (1 कुरिं. 15:20,23) और अब परमेश्वर के सामने ग्रहण है। लैव्य. 23:11 के अनुसार, यह पर्व सब्त के अगले दिन होता था, यह दर्शाता है कि मसीह भी सब्त (फसह) के पश्चात् अगले दिन, अर्थात् सप्ताह के प्रथम दिन जी उठा (मत्ती 28:1)। एक पूले में, असंख्य दानों की बालियाँ होती हैं। जो मसीह में मरते हैं वे उसके साथ जी भी उठेंगे (1 कुरिं. 15:20-23) और संतों की उस बड़ी भीड़ का अंग होंगे। ये तीन पर्व स्पष्ट रीति से हमारे छुटकारे के मेम्ने की मृत्यु, उसके पश्चात् जो पवित्रीकृत जीवन होना चाहिए और परमेश्वर की दृष्टि में एक विश्वासी के ग्रहण किए जाने को दर्शाते हैं।
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