Audio | Prayer | Song | Instrumental |
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कुरनेलियुस का परिवर्तन कुरनेलियुस न तो एक यहूदी था न ही यहूदी मत का मानने वाला। वह येपेत का वंशज था। वह एक रोमी सूबेदार था। यद्यपि वह एक सैन्य अधिकारी था, वह शाऊल जितना कठोर नहीं था। वह परमेश्वर का भय मानता था, और हमेशा प्रार्थना किया करता था। एक रोमी सूबेदार होने के कारण उसे कैसर की और रोमी देवताओं की पूजा करना था। तथापि, वह जीवते परमेश्वर पर विश्वास करता था और केवल उसी से प्रार्थना करता था। उस खोजे के मामले में, प्रभु ने फिलिप्पुस को भेजा था कि उससे बात करे। शाऊल के मामले में परमेश्वर ने सीधे उससे बात की। अब कुरनेलियुस के लिए वह पतरस, एक यहूदी को भेजता है कि उससे बात करे। हम पढ़ते हैं कि दिन के तीन बजे कुरनेलियुस ने एक दर्शन देखा और प्रभु के एक दूत ने उससे कहा, "तेरी प्रार्थनाएं और दान स्मृति के रूप में परमेश्वर के समक्ष पहुँचे हैं।" दिन के तीन बजे यहूदियों के सन्घ्या बलि का समय होता है। परमेश्वर का भय मानने वाले के रूप में, उसने यह सुना होगा कि इसी समय परमेश्वर ने दानिय्येल और एज्रा से उनकी प्रार्थना के उत्तर में बात की थी। परमेश्वर ने उसकी पुकार को सुना और उत्तर के साथ एक दूत को भेजा। उसे कहा गया कि कुछ व्यक्तियों को याफा भेजकर शमौन पतरस नामक एक व्यक्ति को बुलवा ले। पतरस उस समय शमौन नामक एक चमड़े का धन्धा करने वाले व्यक्ति के यहाँ अतिथि था। अतः उसने अपने व्यक्तियों को याफा भेजा। इस बीच परमेश्वर ने एक दर्शन के द्वारा पतरस से भी बात की। उसने एक बड़ी चादर जैसी कोई वस्तु चारों कोनों से लटकती देखा जिसमें सब प्रकार के शुद्ध एवं अशुद्ध पक्षी एवं पशु थे। पतरस से कहा गया कि उन्हें मारे और खाए। एक भक्त यहूदी होने के कारण पतरस ने किसी भी अशुद्ध वस्तु को छूने से मना कर दिया। प्रभु ने उसे दूसरी बार कहा, "जिसे परमेश्वर ने शुद्ध ठहराया है, उसे तू अपवित्र मत कह।" उसने तीन बार इस दर्शन को देखा। जब वह इस दर्शन के विषय में सोच रहा था, आत्मा ने उससे कहा, "देख, तीन मनुष्य मुझे ढूँढ़ रहे हैं। अब उठ और नीचे जा और निःसंकोच उनके साथ चला जा, क्योंकि स्वयं मैंने ही उन्हें भेजा है।" पतरस उनके साथ चला गया। कुरनेलियस अपने मित्रों तथा रिश्तेदारों के साथ पतरस की प्रतीक्षा कर रहा था। उसने पतरस को अपने दर्शन के विषय बताया और उससे बात करने के लिए कहा। पतरस ने उन्हें सुसमाचार सुनाया। कुरनेलियुस और उसके घराने ने वचन पर विश्वास किया और मसीह को ग्रहण किया। उन्होंने पवित्र आत्मा पाया। उन्हें प्रभु के नाम में बपतिस्मा दिया गया। इस घटना से हम क्या सीखते हैं? 1. परमेश्वर सब मनुष्यों का उद्धार करना चाहता है उसे किसी के नाश होने से खुशी नहीं होती है। 2. परमेश्वर की कलीसिया में यहूदी तथा अन्यजाति के मध्य कोई भेद नहीं है। दोनों मिलकर मसीह की देह बनाते हैं। 3. मनुष्य का उद्धार यीशु मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करने से होता है, न कि भले कामों के द्वारा। 4. सच्चा शुद्धिकरण केवल परमेश्वर की ओर से होता है।
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