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लेवीय बलिदान (क्रमागत) 1. पापबलि यह परमेश्वर द्वारा पापों की क्षमा के लिए ठहराई गई थी जिसके द्वारा मनुष्य एक दोषरहित विवेक के साथ जी सके। पाप का दण्ड मृत्यु है। परंतु एक पशु की बलि को ठहराया। मनुष्य के अनन्त उद्धार के लिए बलिदान के मेम्ने के रूप में परमेश्वर अपने एकलौते पुत्र को देने से नहीं हिचकिचाया, क्योंकि लोहू बहाए बिना पाप का प्रायश्चित नहीं है (इब्रा 9:22)। इस सिद्ध बलिदान के हमेशा के लिए चढ़ाए जाने के साथ अब किसी बलिदान की आवश्यकता नहीं रही है (इब्रा. 10:17,18)। पापबलि के सम्बंध में, परमेश्वर ने बलि चढ़ाए जाने वाले चार प्रकार के पशुओं के साथ इस्त्राएलियों को चार वर्गों में रखा। अ. याजक को एक दोषरहित बैल चढ़ाना था (लैव्य. 4:3)। ब. मण्डली को एक दोषरहित बछड़ा चढ़ाना था (लैव्य. 4:13)। क. अगुवे को एक दोषरहित बकरा चढ़ाना था (लैव्य. 4:22)। ड. साधारण व्यक्ति के एक दोषरहित बकरी चढ़ाना था (लैव्य. 4:27)। पाप की गंभीरता प्रत्येक व्यक्ति या समूह के दायित्व या पद पर निर्भर थी। मत्ती 11:20-24 में यीशु ने कहा कि न्याय के दिन सूर और सैदा की स्थिति 'स्वर्ग में महिमान्वित' नगर, कफरनहूम से बेहतर होंगी। शिक्षकों, प्रचारकों तथा अगुवों को सामान्य विश्वासियों से बढ़कर लेखा देना होगा (याकूब 3:1)। बलिदान की विधि और उसका महत्व 1. बलिदान के लिए एक दोषरहित पशु लाया जाता है। इसी रीति से, यीशु मसीह, एक निर्दोष ने स्वयं को पापी मनुष्य के लिए बलिदान दिया। 2. बलिदान चढ़ानेवाला अपने हाथ को बलिदान चढ़ाए जा रहे पशु के सिर पर रखता है कि स्वयं को उसके साथ एक करे, इस प्रकार अपने पाप को उस पशु पर स्थानांतरित करे। मसीह ने हमारे पापों को उसके अपने शरीर में क्रूस पर उठा लिया (1 पतरस 2:24)। यूहन्ना बपतिस्मादाता ने कहा, "देखो, परमेश्वर का मेम्ना जो जगत का पाप उठा ले जाता है" (यूहन्ना 1:29)। 3. बलिदान चढ़ानेवाला उस पशु को घात करके उसका लहू बहाता है। परमेश्वर उस पशु की मृत्यु को उस बलि चढ़ानेवाले की मृत्यु के रूप में स्वीकार करता है। 4. याजक उस लोहू को यहोवा के सामने पर्दे के सामने छिड़कता है, कुछ को वेदी के सींगों पर लगाता है,और शेष के वेदी के आधार पर उण्डेल देता है, इस प्रकार अपने पाप का प्रायश्चित करता है। क्रूस पर बहाए गए लोहू के द्वारा, मसीह हमारे पापों के लिए एक प्रायश्चित बना (रोमियों 3:25)। 5. पशु की समस्त चरबी को जला दिया जाता है। संसार के पापों के विरूद्ध परमेश्वर का क्रोध क्रूस पर अग्नि के समान भड़का मसीह एक होमबलि के समान चढ़ाया गया था और उसका बलिदान परमेश्वर के सम्मुख एक सुखदायक सुगंध था। इस प्रकार किए गए पाप के प्रायश्चित के साथ, बलि चढ़ानेवाला शांति के साथ घर लौट सकता हैः परंतु इन बलिदानों को पाप किए जाने पर दोहराया जाना या एक वर्ष से कम से कम एक बार किया जाना होना था, क्योंकि बलि चढ़ाए जाने वाला पशु अनंत उद्धार नहीं दे सकता था। यह तब प्राप्त हुआ जब यीशु ने एक बार और हमेशा के लिए एक सिद्ध बलिदान के रूप में अपना जीवन दिया। जो उस पर मात्र विश्वास करता है वह पापों की क्षमा पाता है। 2.दोषबलि जबकि पापबलि मनुष्य के लिए उसके पाप से छुटकारा पाने के लिए थी, दोषबलि परमेश्वर या संगी भाई को पहुँचाई गई चोट, हानि या क्षति के लिए थी। यहाँ मुख्य बात पापी मनुष्य नहीं परंतु उसके 'पाप' हैं। अ. परमेश्वर के विरुद्ध अपराध: यह परमेश्वर की आज्ञाओं को तोड़ने तथा जाने-अनजाने में यहोवा के तम्बू के पवित्र पात्रों को दुरुपयोग से सम्बंधित है (लैव्य. 5:14,17)। ब. मनुष्य के विरुद्ध अपराध: पड़ोसी के विरूद्ध पाँच अपराधों का उल्लेख किया गया है (लैव्य. 6:2)। 1. पड़ोसी की धरोहर पर अधिकार करना। 2. मित्र को धोखा देना। 3. बलपूर्वक एक मित्र की सम्पत्ति ले लेना। 4. अपने मित्र से झूठ बोलना। 5. किसी खोई हुई वस्तु को पाकर उसके विषय में झूठ बोलना और उसे न लौटाना। किसी की सम्पत्ति या अधिकार को बलपूर्वक ले लेने जैसा अपराध परमेश्वर के विरूद्ध पाप है (रोमियों 14:7; 1 कुरिं. 6:9-10)। परमेश्वर या मनुष्य के विरूद्ध चाहे जो भी अपराध किया गया हो, दोषबलि को चढ़ाया जाना होता था। इस बलिदान के कुछ महत्वपूर्ण आयाम हैंः 1. जिसने पाप किया हो और उसका दोष सहना होगा (लैव्य. 5:17)। 2. एक मेढ़ें की मृत्यु के द्वारा उस पापी मनुष्य के लिए याजक द्वारा प्रायश्चित करना होगा। 3. उस पापी का दोष इस रीति से क्षमा किया जाएगा (5:16,18)। 4. उसे अपनी गलतियों के लिए क्षतिपूर्ति करना होगा (5:15)। 5. बलपूर्वक लिए गए धन सम्पत्ति को 1ध्5 अतिरिक्त मूल्य के साथ याजक को लौटाना होगा (5:16)। भजन 69:4 में लिखा है, "जो मैंने चुराया नहीं, वह भी मुझे भरना पड़ता है।" यह मसीह के विषय नबूवत है, उसने न केवल उसकी फिरौती दिया जो पाप के द्वारा खो गया था (अर्थात् अनंत जीवन) परंतु उसने विश्वासियों को अपने अनुग्रह का एक अतिरिक्त हिस्सा भी दिया। यद्यपि मसीह पर विश्वास करने के द्वारा पापों की क्षमा दी जाती है, विश्वासियों के लिए यह अपरिहार्य है कि उन्होंने अपने पाप के कारण यदि किसी की कोई हानि की हो तो उसकी भी क्षतिपूर्ति करे। 3. अन्य बलिदान 1.अभिषेक के बलिदान (लैव्य. 8) हारून और उसके पुत्रों की याजकीय सेवा के अभिषेक के लिए मण्डली द्वारा बलि चढ़ाई गई। 2. अग्नि द्वारा बलि (गिनती 28:3,4) दो मेम्नों की बलि, एक भोर को और एक सन्ध्या को, परमेश्वर के लिए सुखदायक सुगंध के रूप में होमबलि करके चढ़ाना था। 3. स्तुतिरूपी बलिदान यह मेलबलि का एक हिस्सा था। इब्रानियों 13:15 स्तुतिरूपी बलिदान के विषय बताता है जो कि हमारे होठों का फल है। यह परमेश्वर को उसके उस दान के लिए जो वर्णन से बाहर है, धन्यवाद देता है (2 कुरिं. 9:15)। 4. अर्ध (गिनती 28:7) दैनिक होमबलियों तथा विशेष दिनों पर यहोवा के सम्मुख मदिरा का अर्ध उण्डेला जाता था। अर्ध को कभी अकेले नहीं चढ़ाया जाता था। मुखाग्र पदः और व्यवस्था के अनुसार प्रायः सब वस्तुएं लोहू के द्वारा शुद्ध की जाती हैं; और बिना लोहू बहाए क्षमा नहीं होती। इफिसियों 9:22
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