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ईश्वरीय संगति 'कलीसिया' शब्द का अर्थ 'बुलाए हुए लोगों की सभा' है। वे बुलाए हुए हैं और परमेश्वर के लिए संसार से अलग किए हुए हैं (1 कुरिं1:1,2)। वे बुलाए गए हैं कि आराधना एवं प्रार्थना में परमेश्वर को पुकारें और संसार में उसकी साक्षी दें। चालीस दिन पश्चात् पुनः जीवित हो उठा प्रभु स्वर्ग को उठा लिया गया, उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार पवित्र आत्मा उतरा (प्रे.काम 2:1-4)। पवित्र आत्मा के बपतिस्मे के द्वारा विश्वासी लोग एक देह में मिलाए गए और कलीसिया का जन्म हुआ (1 कुरिं. 12:13)। जितनों ने यीशु मसीह को उद्धारकर्ता और प्रभु करके ग्रहण किया (पिन्तेकुस्त के दिन से कलीसिया के उठाए जाने तक) वे इस सार्वभौमिक संगति के सदस्य हैं। एक स्थान विशेष पर विश्वासियों की सभा को स्थानीय संगति कहा जाता है। कलीसिया को मसीह की देह कहा जाता है जिसका सिर मसीह है। दूसरे शब्दों में, सारे विश्वासी इस देह के सदस्य हैं (प्रे.काम 2:47)। प्रत्येक विश्वासी को इस देह की उन्नति के लिए वरदान दिए गए हैं (1कुरिं. 12)। इस देह में पवित्र आत्मा द्वारा प्राचीन नियुक्त किए गए हैं और विश्वासियों द्वारा उनका आदर किया गया है (प्रे.काम 20:28; इब्रा 13:7,17,24)। विभिन्न सेवकाईयों के लिए सेवक भी हैं (फिलि. 1:1)। मसीह की देह में, सब विश्वासी उसके साथ और एक दूसरे के साथ संगति करते हैं (1 कुरिं. 1:9; 1 यूहन्ना 1:3)। देह एक है और सब विश्वासियों को इस एकता को बनाए रखने के लिए कहा गया है (इफिसियों 4:3)। देह तब ही प्रभावशाली रीति से कार्य कर सकती है जब इसकी एकता बनी रहे। इस संगति को मसीह की दुल्हिन भी कहा गया है। मसीह दूल्हा है। वर्तमान में यह दुल्हिन मंगेतर है (2 कुरिं. 11:2) और जब यीशु मसीह दुबारा आएगा तब विवाह होगा। दुल्हिन को अपने आपको पवित्र रखना है और जब दूल्हा आए तो उसे ग्रहण करने के लिए तैयार रहना है। मसीह ने अपनी दुल्हिन के लिए अपना प्राण दिया। आज वह इसे शुद्ध कर रहा है (इफिसियों 5:25-27) और शीघ्र ही वह महिमा के परमेश्वर की उपस्थिति में निष्कलंक प्रस्तुत की जाएगी (यहूदा 24)। कलीसिया के लिए भवन का रूपक भी उपयोग किया गया है। यह भवन जीवित पत्थरों से, अर्थात् विश्वासियों से बनाया जा रहा है (1पतरस 2:4)। इस आत्मिक भवन में, जिसे परमेश्वर का मंदिर भी कहा जाता है, पवित्र आत्मा निवास करता है। इस मंदिर के समस्त सदस्य याजकों का एक पवित्र समाज है। वे आत्मिक बलिदान चढ़ाते हैं, अर्थात् परमेश्वर की उपासना करते हैं (1 पतरस 2:5; इब्रा. 13:15)। पिन्तेकुस्त के दिन के पश्चात् से प्रभु उद्धार पाए हुओं को प्रतिदिन इस संगति में जोड़ता है (प्रे.काम 2:47)। यह काम निरंतर चल रहा है। विश्वासियों की साक्षी के द्वारा दूसरे लोग प्रभु यीशु को जानते हैं। जब वे पापियों के लिए उसकी मृत्यु एवं पुनरुत्थान के विषय सुनते हैं, जो सुसमाचार है तो वे पश्चाताप करते और परमेश्वर की ओर फिरते हैं। इस रीति से वे उद्धार पाते हैं। वे सब जो उद्धार पाते हैं इस संगति में मिलाए जाते हैं। इस संगति का एक और नाम परमेश्वर की भेड़ें हैं। यीशु ख्रीस्त प्रधान चरवाहा है और समस्त विश्वासी भेड़ें हैं। वह उन्हें खिलाता है, उनकी अगुवाई करता है। भेड़ें उसका शब्द सुनती हैं और उसके पीछे चलती हैं (यूहन्ना 10:4)। प्राचीनों को चरवाहे भी कहा जाता है। वे ही प्रत्येक स्थानीय कलीसिया में भेड़ों की अगुवाई करते हैं।
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