Class 6, Lesson 3: लेवीय बलिदान

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लेवीय बलिदान बलिदान लेवीय बलिदान जिस रीति से परमेश्वर द्वारा ठहराए गए हैं, दो प्रकार के हैंः अ. सुखदायक सुगन्ध वाले बलिदान ब. पाप बलिदान अ. सुखदायक सुगन्ध वाले बलिदान इन्हें सुखदायक सुगन्ध बलि इसलिए कहा गया है क्योंकि ये मसीह को उसकी अपनी सिद्धता में तथा परमेश्वर पिता की इच्छा के प्रति उसकी प्रेमपूर्ण भक्ति में दर्शाते हैं। निम्नलिखित सुखदायक सुगंध बलिदान हैंः 1.होमबलि बलिदान चढ़ाए जाने वाले पशु या पक्षी को पूरा जला दिया जाता था, जो कि परमेश्वर के प्रति पूर्ण आस्था का प्रतीक था। इस बलि को चढ़ाने वाले को निम्नलिखित बातें करने की आज्ञा दी गई थीः 1. दोषरहित नर पशु को मिलापवाले तम्बू के द्वार पर लाना था (लैव्य. 1:3)। 2. उस पशु के सिर पर अपना हाथ रखना, इसके द्वारा स्वयं को उस पशु के साथ एक करना और यह सत्य स्वीकार करना कि वह पशु उसके पाप के प्रायश्चित के लिए मरेगा (लैव्य. 1:4)। 3. यहोवा के सामने उस पशु को बलि करे (लैव्य. 1:5)। 4. बलि चढ़ाए गए पशु के लोहू को उस वेदी पर चारों और छिड़के (लैव्य. 1:5)। लोहू बहाए बिना कोई प्रायश्चित नहीं है, "क्योंकि शरीर का प्राण तो लोहू में है" (लैव्य. 17:14)। 5. सम्पूर्ण बलिदान को भस्म करे और वह यहोवा के लिए सुखदायक सुगन्धवाली अग्निबलि ठहरे (न्यायियों 13:20-21)। (4 एवं 5 को याजक द्वारा किया जाना था) होमबलि के विशेष पहलू 1. सुखदायक सुगन्धबलि को स्वेच्छा से चढ़ाया जाना था (लैव्य. 1:3)। 2. यह चढ़ानेवाले के पाप के लिए एक प्रायश्चित के रूप में ग्रहण किया जाना था (लैव्य. 1:4)। 3. यह पूर्णतः भस्म की जाती थी (लैव्य. 1:8,9)। आत्मिक शिक्षा बलि चढ़ाया जाने वाला पशु दोषरहित बछड़ा हो सकता था, जो कि मसीह को उसकी सम्पूर्ण सहनशीलता तथा स्थिरता में दर्शाता है; यह एक भेड़ या मेम्ना हो सकता था, जो मसीह की (क्रूस पर मृत्यु तक) एक स्वैच्छिक बलिदान का प्रतीक है; यह एक पंडुक या कबूतर भी हो सकता था, जो कि अबोधता तथा दरिद्रता का प्रतीक है (वह हमारे लिए दरिद्र बना - 2 कुरिं. 8:9)। 2. अन्नबलि यह होमबलि के साथ चढ़ाया जाने वाला एक लहूरहित बलिदान था (गिनती. 28:11,12)। यह बैतलहेम से क्रूस तक एक मनुष्य के रूप में यीशु मसीह के सम्पूर्ण जीवन के निष्पाप होने को दर्शाता है (1 पतरस 1:19)। इस बलिदान को चढ़ाने के लिए निम्नलिखित शर्तें थींः 1. उत्तम मैदा (लैव्य. 2:1) यह यीशु मसीह के चरित्र की सिद्धता को बताता है। वह निष्पाप और पवित्र है (2 कुरिं. 5:21)। 2. तेल (लैव्य. 2:1-6) यह तेल पवित्र आत्मा का रूपक है। मैदे के साथ मिला, तेल मसीह के पवित्र आत्मा द्वारा जन्म को बताता है (लूका 1:35)। मैदे पर तेल मसीह के पवित्र आत्मा के बपतिस्मे को बताता है (लूका 3:22)। टुकड़ों पर उण्डेला गया तेल मसीह को दर्शाता है जिसने अपने आपको पवित्र आत्मा द्वारा दे दिया (इब्रा9:14)। 3. लोबान (लैव्य. 2:2) यह जलाए जाने पर एक सुखदायी सुगंध देता था, जो कि परमेश्वर के समक्ष मसीह के जीवन की सुगन्ध को दर्शाता है (इफिसियों 5:2)। 4. नमक (लैव्य. 2:13) नमक स्वाद देता है। हमें स्मरण रखना है कि परमेश्वर की सन्तानें पृथ्वी का नमक हैं (मत्ती 5:13) और कि हमें इस संसार में मसीह का सा जीवन जीना है। इसका उपयोग संरक्षण के लिए भी किया जाता है। यह परमेश्वर एवं इस्राएल के मध्य विद्यमान "वाचा का नमक" के अनंत स्वभाव को दर्शाता है (गिनती 18:19; 2 इतिहास 13:5)। 5. मधु का न होना (लैव्य. 2:11) अन्न बलि में, मधु नहीं होता था। हमारा यीशु मसीह ममें अपने आपमें मीठा है। उसे किसी मीठी की जाने वाली वस्तु की आवश्यकता नहीं है। यह मसीही सेवकाई में यह भी प्रकट करता है कि इसके आकर्षण को बढ़ाने के लिए हमें इसमें कुछ जोड़ने की आवश्यकता नहीं है। 3. मेलबलि अ. महत्व मेलबलियाँ आनन्द के अवसरों से सम्बंधित थीं (व्यवस्था. 27:7)। यह परमेश्वर के साथ मेल को दर्शाती थी। पाप के प्रायश्चित के साथ, परमेश्वर एवं मनुष्य के मध्य खड़ी समस्त रूकावटें दूर हो जाती हैं। मेल हो जाता है। मसीह स्वयं हमारा मेलबलि है (इफिसियों 2:14)। उसने क्रूस पर अपनी मृत्यु द्वारा मेल किया (कुलु. 1:20), उनके लिए जो दूर थे ओर उनके लिए भी जो निकट थे (इफि. 2:13-17)। ब. मेलबलि के तीन पहलू - एक निर्दोष मेम्ने को बलिदान चढ़ाना होता था। - एक मन्नत या एक स्वेच्छाबलि, एक उठाने की भेंट के रूप में धन्यवाद के लिए इन बलियों को चढ़ाया जा सकता था (लैव्य. 7:11-21)। - ये बलिदान "परमेश्वर के साथ मेल" (रोमियों 5:1), "परमेश्वर में शांति" (यूहन्ना 14:27), "परमेश्वर की शांति" (फिलि. 4:7) और "शांति के परमेश्वर" (इब्रा. 13:20) को चित्रित करते हैं। जब शांति नदी के रूप में मेरे मार्ग में आती है, जब दुख समुद्र के समान गरजता है, तूने मुझे यही कहना सिखाया है, "मेरा प्राण सुरक्षित है, मेरा प्राण सुरक्षित है, मेरा प्राण सुरक्षित है। मेरा प्राण सुरक्षित है, मेरा प्राण सुरक्षित है। क. बलिदान चढ़ाने की विधि एक निर्दोष मेम्ने को परमेश्वर की उपस्थिति में लाना था, और बलिदान चढ़ानेवाले को उसके सिर पर अपना हाथ रखना था और उसे बलि करना था। याजकों को उसके लोहू को वेदी पर तथा उसके चारों ओर छिड़कना था। चरबी को एक होमबलि के रूप में चढ़ाना था। ड. बलिदान भोज चरबी को चढ़ाने के पश्चात् मांस को याजकों, उनके परिवार तथा चढ़ानेवाले में बाँट लिया जाता था। यही वह एकमात्र बलिदान था जिसका कुछ अंश चढ़ानेवाले को भी मिलता था। यह सच में धन्यवादी बलिदान था। बलिदान चढ़ानेवाले को तेल से सने अखमीरी फुलके, अखमीरी रोटी के साथ तेल मिले मैदे के फुलके चढ़ाने की आज्ञा थी। जबकि अखमीरी फुलके एवं फुलके मसीह की संपूर्ण पवित्रता को दर्शाता है, 'खमीरी रोटी' चढ़ानेवाले के पापी होने को दर्शाता है। मेलबलि वस्तुतः मसीह के दुखों को दर्शाती है जो कि अब प्रभुभोज की मेज़ द्वारा प्रदर्शित है।

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