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मसीह के विषय मनुष्य की साक्षी 1.यूहन्ना बपतिस्मादाता मसीह द्वारा किया गया प्रायश्चित, प्रायश्चित के दिन चढ़ाए गए बलिदान की पूर्वप्रतिछाया है। दो बकरे उस प्रायश्चित के दोहरे स्वभाव का प्रतिरूप है (लैव्य. 16)। एक बकरा बलि किया जाता था और दूसरा जंगल में छोड़ दिया जाता था। पहला हमारे बदले हमारे पापों के लिए मसीह के मरने का प्रतिरूप है। दूसरा, यह बताता है कि मसीह द्वारा हमारे पाप उठा लिए गए। इस प्रकार, हमारे पापों को फिर कभी स्मरण नहीं किया जाएगा। इसका अर्थ यह भी है कि हम अपने पापों का सामना फिर नहीं करेंगे। यीशु पर दृष्टि करते हुए यूहन्ना बपतिस्मादाता ने कहा, "देखो, परमेश्वर का मेम्ना जो जगत के पापों को उठा ले जाता है।" उसने भीड़ से मसीह का परिचय उस व्यक्ति के रूप में कराया जो कि पुराना नियम के बलिदानों का प्रतिरूप था। 2. शमौन की साक्षी (लूका 2:25-35) यीशु मसीह के जन्म के समय यरूशलेम में शमौन नाम का पुरुष था। वह एक धर्मी और भक्त पुरुष था। वह इस्त्राएल की शांति की प्रतिक्षा कर रहा था और पवित्र आत्मा के द्वारा उस पर यह प्रकट किया गया था कि जब तक वह प्रभु के मसीह को न देख ले, तब तक मृत्यु को न देखेगा यह बात जानकर, इसे देखने के लिए कुछ लोग मंदिर के आसपास ही रहते थे (लूका 2:25-26)। जब यीशु के माता-पिता चालीसवें दिन उसे मंदिर लाए, शमौन पवित्र आत्मा की प्रेरणा से मंदिर में आया, तब उसने बालक को गोद में लिया और परमेश्वर की स्तुति करते हुए कहा, "मेरी आँखों ने तेरे उद्धार को देख लिया है जिसे तूने सब जातियों के समक्ष तैयार किया है, कि वह गैरयहूदियों के लिए प्रकाश देने वाली ज्योति और तेरी निज जाति इस्राएल के लिए महिमा हो!" 3. सामरी स्त्री का कथन यहूदी लोग सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते (यूहन्ना 4:1-26)। इसके अतिरिक्त वह स्त्री पापिनी थी। फिर भी प्रभु ने अपने आपको उस पर मसीह तथा जीवन के जल के रूप में प्रकट किया (यूहन्ना 4:26)। उसने विश्वास किया और वह नगर को दौड़ गई कि सबको बताए कि उसने मसीह से मुलाकात की थी। उसकी साक्षी के सुनने पर अनेक सामरियों ने आकर मसीह से भेंट की। 4.सूबेदार (लूका 7:2-10) रोमी सेना में एक सूबेदार सौ सैनिकों पर कप्तान होता था। यद्यपि वह गैरयहूदी था, उसने विश्वास किया कि प्रभु को रोग तथा मृत्यु पर अद्भुत अधिकार था। उसका एक अत्यंत आदरणीय दास मरने पर था। इस विश्वासी सूबेदार ने यीशु से कहा कि यदि यीशु केवल वचन कह दे तो उसका सेवक चंगा हो जाएगा। इस प्रकार उसने साक्षी दी कि यीशु सर्वसामर्थी था। 5. पिलातसु (यूहन्ना 18:38; 19:4-6) पिन्तुस पिलातुस रोमी राज्यपाल था। उसने मसीह से पूछताछ किया, परंतु उसमें कोई दोष नहीं पा सका। फिर भी उसने उसे क्रूस पर चढ़ाने की आज्ञा दी क्योंकि वह यीशु के न्याय के सम्बंध में डर गया था। तथापि, उसने यह पुष्टि किया कि यीशु निर्दोष था जिसने तीन बार यह कहा। 6. पिलातुस की पत्नी (मत्ती 27:19) यहूदियों ने यीशु पर ईश-निंदा का दोष लगाया था। उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिए चिल्लाया। पिलातुस की पत्नी ने जिसने एक स्वप्न देखा था, यह कहते हुए संदेश भेजा, "इस धर्मी के मामले में हाथ न डालना।" 7. क्रूस के निकट खड़ा सूबेदार वह हमारे प्रभु को क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए ठहराया गया था। उसने छः या सात घंटे मसीह को ध्यान से देखा था। यीशु की मृत्यु को देखने पर उसने कहा, "निश्चय, यह परमेश्वर का पुत्र था" (मत्ती 27:54; मरकुस 15:39; लूका 23:47)। 8. पश्चातापी डाकू यह माना जाता है कि वह एक यहूदी था। उसके लिए लिखा है कि वह एक डाकू (मत्ती 27:38; मरकुस 15:2), एक अपराधी था (लूका23:33)। यशायाह में उसे एक अपराधी कहा गया है (यशा. 53:12)। कुछ ही समय पहले तक उसने दूसरे डाकू के साथ जो उसके साथ क्रूस पर था मसीह का उपहास किया था। परंतु शीघ्र ही उसे यह समझ आ गया कि जो बीच वाले क्रूस पर लटका था वह मसीह एवं राजा था। उसने कहा, "यीशु, जब तू अपने राज्य में आए तो मेरी सुधि लेना।" 9. पतरस की साक्षी (मत्ती 16:13-20) कैसरिया फिलिप्पी में यीशु ने अपने चेलों से पूछा, "मनुष्य का पुत्र कौन है? लोग क्या कहते हैं?" अलग अलग उत्तर मिले - यूहन्ना बपतिस्मादाता, एलिय्याह, यिर्मयाह या नबियों में से एक। यीशु ने तब पूछा, "पर तुम क्या कहते हो? मैं कौन हूँ?" शमौन पतरस ने उत्तर दिया, "तू जीवित परमेश्वर का पुत्र मसीह है।" वास्तव में, बहुतों ने उस पर विश्वास किया और मसीह के रूप में अंगीकार किया। संसार को यह साक्षी देने का दायित्व हमारा है कि वही प्रभु और उद्धारकर्ता, नबी और राजा है।
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